केवल मुंबई, पुणे व नागपुर ही पूरा महाराष्ट्र है क्या?
पूर्व वित्त राज्यमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने दागा संतप्त सवाल
* केंद्रीय बजट में महाराष्ट्र के लिए नगण्य प्रावधान पर जताया रोष
अमरावती /दि. 25- केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन द्वारा वर्ष 2024-25 हेतु संसद में देश का बजट पेश किया. जिसमें मोदी सरकार को सहारा देनेवाले आंध्र प्रदेश व बिहार के लिए जमकर रुपयों की बारिश की गई है. वहीं केंद्रीय करो में सर्वाधिक हिस्सेदारी देनेवाले महाराष्ट्र के हिस्से में कुछ भी नहीं दिया गया. जिसे लेकर मीडिया द्वारा की गई आलोचना का जवाब देते हुए राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई, पुणे व नागपुर के प्रकल्पो हेतु किए गए आर्थिक प्रावधानों का हवाला दिया है. जिससे लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के पूर्व वित्त राज्यमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने सवाल दागा है कि, क्या मुंबई, पुणे व नागपुर को ही पूरा महाराष्ट्र मान लिया जाए और यदि इन तीन शहरों के एक-एक प्रकल्प को केंद्रीय बजट में शामिल किया गया है, तो क्या इससे विदर्भ सहित मराठवाडा व शेष महाराष्ट्र की जरुरते पूरी हो जाती है.
इस संदर्भ में यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में पूर्व वित्त राज्यमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, विदर्भ में सिंचाई की दृष्टि से बेहद महत्वाकांक्षी रहनेवाले वैनगंगा-पैनगंगा नदी जोड प्रकल्प को राज्यपाल की मान्यता मिल चुकी है और इस प्रकल्प की पहली प्राथमिकता के साथ शुरु करने की घोषणा खुद उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कुछ समय पहले की थी. लेकिन इसके बावजूद भी इस प्रकल्प हेतु केंद्रीय बजट में एक फुटी कौडी का भी प्रावधान नहीं किया गया. इसके साथ ही लगभग हर दिन किसान आत्महत्याओं के मामले में महाराष्ट्र राज्य नए-नए किर्तीमान स्थापित कर रहा है. जिसका सीधा मतलब है कि, राज्य के किसान भयानक तरीके से आर्थिक दिक्कतो व विविध समस्याओं में फंसे हुए है. लेकिन इसके बावजूद महाराष्ट्र के किसानों हेतु पैकेज देना तो दूर, एक अक्षर का उल्लेख भी केंद्रीय बजट में नहीं किया गया. पूर्व राज्यमंत्री डॉ. सुनील देशमुख के मुताबिक मुंबई, पुणे व नागपुर के मेट्रो प्रकल्प सहित नागपुर के नाग नदी प्रकल्प तथा पुणे के मुला-मुठा संवर्धन प्रकल्प हेतु करीब 5331 करोड रुपए का प्रावधान केंद्रीय बजट में किया गया है. इससे उलट सिंचाई अनुशेष का सामना करनेवाले विदर्भ व मराठवाडा के सिंचाई प्रकल्प हेतु केवल 600 करोड रुपए के प्रावधान की घोषणा की गई है. जबकि विदर्भ व मराठवाडा के सिंचाई अनुशेष के बैकलॉग को पूरा करने हेतु एकमुश्त 5 हजार करोड रुपयों का प्रावधान किए जाने की जरुरत थी और ऐसा प्रावधान होने की अपेक्षा भी जताई जा रही थी. परंतु केंद्र व राज्य सरकार का फिलहाल ऐसा कोई मानस दिखाई नहीं दे रहा.
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहनेवाले पूर्व राज्यमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने यह आरोप भी लगाया कि, हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में विदर्भ व मराठवाडा सहित ग्रामीण महाराष्ट्र ने भाजपा को लगभग पूरी तरह से खारिज कर दिया. संभवत: केंद्र में रहनेवाली मोदी व शाह की जोडी अब इसी बात का बदला महाराष्ट्र के आम नागरिकों से ले रही है. जिसका कतई समर्थन नहीं किया जा सकता.