कहीं अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र हेतु अभिशाप तो नहीं राज्यमंत्री पद?
विनायक कोरडे व वसुधा देशमुख के बाद बच्चू कडू की भी विधायकी गई
अमरावती /दि.27– हालिया संपन्न विधानसभा चुनाव में अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व राज्यमंत्री बच्चू कडू की पराजय के चलते एक बात काफी चर्चा में चल रही है. जिसमें माना जा रहा है कि, संभवत: अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र के लिए राज्यमंत्री पद अभिशाप हो सकता है. क्योंकि इससे पहले भी क्षेत्र के विधायक रहने वाले विनायक कोरडे व वसुधा देशमुख को भी राज्यमंत्री रहने के बाद विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पडा था. वहीं अब लगातार चार बार अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र में एक तरफा जीत हासिल करने वाले बच्चू कडू को भी विगत कार्यकाल दौरान राज्यमंत्री रहने के बाद इस बार के चुनाव में हार का सामना करना पडा है. ऐसे में अब इस सहयोग को लेकर अचलपुर क्षेत्र में जबर्दस्त चर्चाएं चल रही है.
उल्लेखनीय है कि, महाराष्ट्र की राजनीति मेें अपनी अलग पहचान बनाने वाले कई बडे नेता अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए और तीन बार इस निर्वाचन क्षेत्र के हिस्से में राज्यमंत्री पद भी आया. विशेष उल्लेखनीय यह भी रहा कि, अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र में इससे पहले कोई भी नेता लगातार 3 बार विधायक निर्वाचित नहीं हुआ था. लेकिन निर्दलीय रहने के बावजूद बच्चू कडू ने इस निर्वाचन क्षेत्र से 4 बार विधानसभा का चुनाव जीता और अपने पिछले कार्यकाल में वे कई महकमों के राज्यमंत्री भी रहे. जिसके तहत उन्होंने दिसंबर 2019 से जून 2022 तक राज्यमंत्री रहने के साथ-साथ अकोला जिले के पालकमंत्री पद का जिम्मा भी संभाला.
वहीं इससे पहले वर्ष 1995 से 1999 तक विनायक कोरडे तथा वर्ष 1999 से वर्ष 2004 तक वसुधा देशमुख ने अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र का विधानसभा में प्रतिनिधित्य करने के साथ ही राज्यमंत्री पद का जिम्मा संभाला. जिसमें से विनायक कोरडे ने राज्यमंत्री रहने के साथ निर्वाचन क्षेत्र के कई युवाओं को सरकारी नौकरीे में भी शामिल करवाया और दो बार अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए बडे पैमाने पर इस क्षेत्र में विकास कार्य भी कराये. लेकिन उनके द्वारा राज्यमंत्री का पद संभाले जाते ही उन्हें अगले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के हाथों हार का सामना करना पडा. इसी कार्यकाल में राज्य की सत्ता भाजपा के हाथ से निकलकर कांग्रेस के पास चली गई. ऐसे में उस समय अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक निर्वाचित होने वाली वसुधा देशमुख को वर्ष 1999 से वर्ष 2004 तक राज्यमंत्री व जिला पालकमंत्री रहने का अवसर मिला. उस समय सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग की राज्यमंत्री रहते हुए वसुधा देशमुख ने अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र के लगभग सभी रास्तों को सुधारकर चकाचक करवा दिया और कई सरकारी इमारतें भी खडी करवाई. ऐसे में अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र का जमकर विकास हुआ. लेकिन इतना सबकुछ करने के बाद भी राज्यमंत्री रहने पश्चात अगले चुनाव में वसुधा देशमुख को निर्दलीय प्रत्याशी बच्चू कडू के हाथों हार का सामना करना पडा.
इसके बाद प्रहार पार्टी के मुखिया बच्चू कडू ने अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से एक के बाद एक लगातार 4 बार विधानसभा चुनाव जीतने का अनूठा रिकॉर्ड बना डाला और निर्दलीय विधायक रहने के बावजूद भी उन्होंने उद्धव ठाकरे की सरकार में दिसंबर 2019 से जून 2022 तक विविध विभागों के राज्यमंत्री के तौर पर काम किया. जिसके साथ ही शिंदे-फडणवीस सरकार ने भी बच्चू कडू द्वारा किये गये प्रयासों की बदौलत ही राज्य सहित देश में पहली बार दिव्यांग कल्याण मंत्रालय की स्थापना की और राज्यमंत्री का दर्जा रहने वाले दिव्यांग मंत्रालय के अध्यक्ष पद का जिम्मा भी बच्चू कडू को सौंपा. इस मंत्रालय ने कई दिव्यांगों को विविध योजनाओं का सीधा लाभ देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. साथ ही साथ राज्यमंत्री रहने के दौरान बच्चू कडू ने अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र में हजारों-करोडों रुपए के काम भी लाये. लेकिन वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव में बच्चू कडू को भाजपा प्रत्याशी के हाथों हार का सामना करना पडा और वे लगातार पांचवीं बार अचलपुर से विधायक निर्वाचित होने में चुक गये.
इन तीनों उदाहरणों को देखते हुए अब अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र में यह चर्चा जोर पकड रही है कि, राज्यमंत्री पद पर रहने वाले विधायकों को अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र में विविध विकास कार्य करने के बावजूद हार का सामना करना पडता है. ऐसे में कही ऐसा तो नहीं कि, अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र के विधायकों हेतु राज्यमंत्री का पद ही अभिशाप है.