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क्या उच्च शासकीय अधिकारियों के निवास सुरक्षित?

विभागीय आयुक्त और न्यायाधीश के बंगलों में घुसा था तेंदुआ

अमरावती/दि.13- नागपुर रोड पर जिलाधीश निवास परिसर में दो आवारा कुत्ते घुसने की घटना के बाद प्रश्न उठाया जा रहा कि, क्या जिले के उच्च शासकीय अधिकारियों के निवास पूरी तरह सुरक्षित हैं. इससे पहले विभागीय आयुक्त और जिला न्यायाधीश के उपरोक्त परिसर में स्थित सरकारी बंगलों की हद में तेंदुआ घुस आने की घटनाएं हो चुकी है. जिससे जंगली जानवरों के शहरी बस्तियों की तरफ आने और विशेषकर अधिकारियों के निवास की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि गत रविवार देर रात अथवा कह लीजिए सोमवार तडके जिलाधीश बंगला परिसर में आवारा कुत्तों ने छह मुर्गियों का शिकार कर लिया. जिससे प्रशासन में हलचल मची थी. पुलिस और जंगल महकमे को होशियार किया गया था. जिन्होंने व्यापक पडताल पश्चात राहत भरी रिपोर्ट दी.
गौरतलब है कि गत फरवरी में कांतानगर परिसर स्थित जिला न्यायाधीश के सरकारी आवास पर एक ही दिन में दो बार तेंदुआ घुस आया था. जिससे दहशत मची थी. वन विभाग अलर्ट होकर वहां ट्रैप आदि लगाया गया. हालांकि तेंदुआ पकडा न जा सका फिर भी दहशत और हलचल मची थी. अनेक दिनों तक परिसर के लोग तेंदुए को लेकर चिंतित रहे थे. वहां कैमरे आदि भी लगाए गए थे. उसी दौरान तत्कालीन विभागीय आयुक्त पांढरपट्टे के निवासस्थान परिसर में भी तेंदुआ आने की घटना की पुष्टि वन विभाग ने की थी. जिससे साफ है कि नागपुर रोड के पास स्थित कुछ हेक्टेयर के जंगल में हिंसक पशुओं ने डेरा डाल रखा है और वे सरकारी अधिकारियों के निवास परिसर में घुस आते हैं.
शासकीय निवासस्थान की सुरक्षा आवश्यक है. बेशक प्रशासन ने दोनों घटनाओं के बाद उचित कार्रवाई की है, कदम उठाए हैं. तेंदुआ आने से वहां तैनात पहरेदार और छोटे-मोटे काम करनेवाले कर्मचारियों की सुरक्षा का भी मुद्दा है. इसलिए इन बंगलों की सुरक्षा व्यवस्था स्थायी और मजबूत होने की तरफ एक अधिकारी ने ध्यान दिलाया है. उनका कहना रहा कि ऐसी किसी घटना के बाद देर तक अधिकारी का ध्यान विचलित रहता है. इसलिए सुरक्षा सुनिश्चित करना बहुत ही आवश्यक है.

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