अमरावती

कहीं आपके कानों में भी बैठे- बैठे आवाज तो नहीं गूंजती ?

अमरावती / दि. 4– कई बार आसपास किसी भी तरह की कोई ध्वनि उत्पन्न नहीं होने के बावजूद कान में अजीब तरह की आवाज गूंजती है जो सिरदर्द जैसी तकलीफ भी पैदा करती है. इसे कर्णनाद यानी टिनीट्स भी कहा जाता है. कई लोग विशेषकर बुजुर्ग नागरिक कान में सिटी बजने जैसी आवाज से त्रस्त होते है. आयुर्वेद में उल्लेख है कि 80 तरह की वात- व्याधियों में से यह भी एक तरह की व्याधि है. ऐसा वैद्यो द्बारा बताया जाता है. जिसके लिए कई तरह के कारण होते है. वहीं अपने आप पैदा होनेवाली कणकर्कश आवाज की वजह से कनेन्द्रिय पर परिणाम होता है.

* क्या है वजह
हमेशा ही ठंडे नमी वाले व सर्द वातावरण में रहने, बारिश में भींगने या ज्यादा समय तक तैरने आदि वजहों के चलते कानों में क्षत या उपसर्ग होकर कर्णनाद की तकलीफ हो सकती है.
तेज आवाज, तैलीय व ठंडे आहार का सेवन, रात का जागरन, दोष क्षय व रक्त विकार से भी यह तकलीफ हो सकती है.
* किसे हो सकती है तकलीफ
यह तकलीफ किसी भी उम्रवाले व्यक्ति का हो सकती है. वहीं 40 वर्षीय आयु के बाद वात प्रकोप बढने के चलते इस बीमारी का भी प्रमाण बढ सकता है.
– हेडफोन का सतत प्रयोग करने से भी कुछ लोगों को कर्णनाद की तकलीफ हो सकती है. साथ ही सतत वात विकार से त्रस्त रहनेवाले लोगों में यह बीमारी प्रमुख रूप से हो सकती है.

* कौन सी सतर्कता जरूरी
कर्ण नाद की तकलीफ रहनेवाले लोगों ने मोटर साइकिल पर यात्रा करते समय इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए कि उनके कानों में हवा न लगे.साथ ही सर्दियों के मौसम में ठंडी फर्श पर नंगे पांव चलने की बजाय चप्पल का प्रयोग करना चाहिए.

* कर्णनाद से पीडित मरीजों ने आयुर्वेद में बताए गये अनुसार चिकित्सा करनी चाहिए और डीेजे व तेज आवाज से दूर रहना चाहिए.े लगातार कान खोदते रहने की वजह से भी कान सूखा पड जाता है और इससे भी बीमारी हो सकती है. कान में अपने आप आवाज गुंजने का लक्षण समझ में आते ही विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए.
वैद्य मंगेश काले,
आयुर्वेदाचार्य

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