कही आपका बच्चा किसी बात को लेकर टेंशन में तो नहीं?
शालेय व महाविद्यालयीन बच्चों की ओर ध्यान देना बेहद जरुरी
अमरावती/दि.26 – आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में तनाव काफी अधिक बढ गया है. जिससे अब कम उम्र वाले छोटे बच्चे भी अछूते नहीं है. ऐसे में बढती स्पर्धा की वजह से छोटे बच्चों की मानसिक स्थिति भी बिगड रही है. ऐसे में बच्चों द्वारा पढाई को लेकर कोई तनाव न लिया जाये, इस हेतु सरकार द्वारा उपाय योजनाएं तैयार की जा रही है. इसी के तहत 16 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को कोचिंग क्लास नहीं लगाने का निर्देश शिक्षा मंत्रालय द्वारा घोषित किया गया.
उल्लेखनीय है कि, कोविडकाल के बाद शालेय विद्यार्थियों के दैनिक जीवन में काफी सारे बदलाव हो गये है. साथ ही ऑनलाइन पढाई के नाम पर बच्चों के हाथ में मोबाइल आ गया और मोबाइल के जरिए पढाई करने के साथ-साथ बच्चों की इंटरनेट व कई सोशल मीडिया साइट्स तक भी पहुंच बन गई. जिसका विपरित परिणाम बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पडता दिखाई दे रहा है और इन दिनों कई बच्चों में चिडचिडापन बढ रहा है. वहीं अत्याधिक तनाव का शिकार होकर कई बच्चे आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम भी उठाने लगे है. ऐसे में यह बेहद जरुरी है कि, अपना बच्चा क्या विचार करता है, उसके मित्र कैसे है, उस पर कोई तनाव या दबाव तो नहीं है. इन बातों की समय-समय पर पडताल की जानी चाहिए. साथ ही समय रहते बच्चों के साथ संवाद साधते हुए उन्हें सही और गलत के बारे में समझाकर बताया जाना चाहिए. जिसके जरिए बच्चों के मन में सकारात्मकता का निर्माण किया जा सकता है.
* 2023 में 18 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों की आत्महत्या
लडके – 4
लडकियां – 3
* पढाई व परीक्षा का तनाव
परीक्षा काल के दौरान बच्चों पर अपने अभिभावकों की अपेक्षाओं का काफी जबर्दस्त दबाव रहता है और अभिभावकों की उम्मीदों के बोझ तले बच्चे लगभग दब जाते है. इसके अलावा उनके मन में पढाई और परीक्षा को लेकर भी काफी हद तक तनाव रहता है. साथ ही साथ पढाई व परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के दबाव से भी वे जुझते रहते है और उन पर अपने अभिभावकों की उम्मीदों पर खरा उतरने का भी तनाव रहता है.
* क्या है कारण?
– संवाद का अभाव
इन दिनों अभिभावकों की अपने बच्चों से अपेक्षाएं काफी अधिक बढ गई है. परंतु उनके बीच संवाद काफी हद तक कम हो गया है. जहां एक ओर अभिभावक अपने बच्चों के साथ बैठकर उसने प्यार भरी बातें नहीं करते है, वहीं दूसरी ओर बच्चे भी अपने अभिभावकों से अपनी मन की बातों को सांझा नहीं करते.
– अन्य वजहें
कई लोग मानसिक समस्याओं, निराशा, व्यसनाधिनता, लगातार बढते तनाव व पारिवारिक कलह जैसी वजहों के चलते आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते है.
* कैसे कम करें तनाव को?
बच्चों ने अपनी पढाई सहित अन्य किसी भी बात को लेकर टेंशन नहीं लेना चाहिए. इसके लिए उन्होंने अपने हम उम्र दोस्तों के खेलने-कूदने के लिए समय देना चाहिए. साथ ही अभिभावकों ने भी बच्चों को मैदानी खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्हें मोबाइल देने का प्रमाण कम करना चाहिए. इसके अलावा अभिभावकों ने बच्चों के साथ हमेशा संवाद बनाये रखना चाहिए. जिससे बच्चों में तनाव को घटाया जा सके.
* अभिभावकों का बच्चों से संवाद आवश्यक
अभिभावकों ने हमेशा ही अपने बच्चों के साथ सुसंवाद वाली स्थिति को बनाए रखना चाहिए और यदि बच्चों से कही कोई गलती हो रही है, तो उन्हें प्रेमपूर्वक समझाना चाहिए. इसके साथ ही छोटी-छोटी बात को लेकर बेवजह तनाववाली स्थिति में जाने वाले बच्चों ने भी इस बात को समझना चाहिए कि, आत्महत्या से किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता, बल्कि बात व स्थिति और अधिक बिगड जाती है. ऐसे में किसी भी बात को लेकर तनाव, निराशा अथवा अवसाद महसूस होने पर किसी योग्य मनोविश्लेषक व समूूपदेशक से संपर्क कर आवश्यक परामर्श जरुर लेना चाहिए.
– अमिता दुबे,
क्लिनिकल साईकोलॉजिस्ट,
संचालिका, अस्तित्व परामर्श केंद्र.