अमरावतीमहाराष्ट्र

कहीं आपके बच्चे की स्कूल को ‘बोगस’ नहीं?

स्कूलों के दस्तावेजों की पडताल करना भी जरुरी

* प्रवेश के समय अभिभावकों ने बरतनी चाहिए सतर्कता
अमरावती /दि.18– इस समय लगभग सभी शालाओं में वार्षिक परीक्षाएं चल रही है. साथ ही विविध कारणों के चलते अपने बच्चों की स्कूल बदलने और अगले शैक्षणिक सत्र से बच्चों को नई स्कूल में प्रवेशित कराने हेतु कई अभिभावको की दौडभाग चल रही है. परंतु नई शाला में बच्चे का प्रवेश कराते समय अभिभावको द्वारा शाला से संबंधित कुछ दस्तावेजो की जांच-पडताल करना बेहद आवश्यक होता है. इस लिहाज से शिक्षा विभाग ने शाला का चयन करते समय अभिभावकों से सतर्कता बरतने का आवाहन किया है.
ज्ञात रहे कि, जारी वर्ष की वार्षिक परीक्षा निपट जाने के बाद कई विद्यार्थियों को अगले साल अपनी शाला बदलनी है. वहीं कई बच्चों को पहली बार शाला में प्रवेश लेना है. एक शाला से दूसरी शाला में जाते समय अथवा पहली बार किसी शाला में प्रवेश करते समय कई तरह के प्रलोभन मिलने की संभावना रहती है. जिसके चलते किसी भी प्रलोभन या आकर्षक विज्ञापन के झांसे में फंसने की बजाए हर बात की अच्छे से पडताल करना बेहद जरुरी होता है. क्योंकि ऐसा करना विद्यार्थियों के भविष्य के लिहाज से महत्वपूर्ण होता है.
शिक्षा विभाग द्वारा प्रति वर्ष ही शहर सहित जिले में रहनेवाली अवैध व बोगस शालाओं की सूची जारी की जाती है. विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान टालने हेतु ऐसी शालाओं में प्रवेश नहीं लेने का आवाहन भी जिला परिषद के प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा किया जाता है. जिसे अभिभावकों द्वारा गंभीरता से लिया जाना बेहद आवश्यक होता है.

* बच्चे का प्रवेश कराने से पहले इन दस्तावेजों की पडताल जरुरी
– नाहरकत प्रमाणपत्र – संबंधित शाला को शिक्षा विभाग की ओर से नाहरकत प्रमाणपत्र मिला है अथवा नहीं, इसकी पडताल अभिभावकों द्वारा अवश्य की जानी चाहिए.
– शिक्षा मंडल की मान्यता – प्रत्येक शाला के लिए शिक्षा मंडल से मान्यता व प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक होता है. अभिभावकों ने इस बारे में भी पूछताछ करनी चाहिए.
– राज्य सरकार की ओर से दिया जानेवाला इरादा पत्र – राज्य सरकार द्वारा सभी मान्यताप्राप्त शालाओं को इरादा पत्र दिया जाता है. इसके बारे में भी अभिभावकों ने संबंधित शाला से पूछताछ करनी चाहिए.

* सावधानी व सतर्कता जरुरी
जिस तरह से घर खरीदते समय जालसाजी से बचने हेतु सभी दस्तावेजों की जांच-पडताल की जाती है और कई बार इसके लिए वकिलों की सलाह भी ली जाती है. वहीं दूसरी ओर शाला में बच्चे का प्रवेश कराते समय संबंधित शाला की वैधता से संबंधित दस्तावेज तक नहीं देखे जाते. जबकि यह बच्चों के भविष्य का सवाल है.

* बच्चों का शाला में प्रवेश कराते समय अभिभावकों ने सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों के साथ ही शाला के यू-डायस नंबर की भी जांच-पडताल करनी चाहिए.
राजेश सावरकर
राज्य प्रतिनिधि, प्राथमिक शिक्षक समिति.

* जिले में शालाओं की संख्या
जिप शाला –                1575
अंशत: अनुदानित –        702
विना अनुदानित –          293

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