अमरावती

बेटी को मां की अनुसूचित जाति वैधता का प्रमाणपत्र जारी करें

हाईकोर्ट का फैसला, महिला सक्षमिकरण को बढावा

नागपुर /दि.1- याचिकाकर्ता बेटी को उसके नाम के आगे मां का नाम लगाकर अनुसूचित जाति वैधता प्रमाणपत्र जारी करने के आदेश हाईकोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने जारी किये. इसके लिए कोर्ट ने वर्धा जिला जाति प्रमाणपत्र जांच समिति को 4 हफ्ते का समय दिया है.
इस मामले में न्यायमूर्ति अतुल चांदूरकर व उर्मिला जोशी के पीठ के समक्ष सुनवाई हुई. संबंधित बेटी के माता-पिता ने 29 दिसंबर 2001 को घटस्फोट लिया. उस वक्त याचिकाकर्ता बेटी मां के पेट में थी. 21 मई 2002 को उसका जन्म हुआ. तब से वो मां के साथ रह रही है. उसे 24 जुलाई 2019 को मां के दस्तावेजों के आधार पर जाति प्रमाणपत्र मिला है. वहीं उसकी मां को 29 अक्टूबर 2013 को अनुसूचित जाति का वैधता प्रमाणपत्र जारी हुआ है. ऐसी स्थिति में पिता के दस्तावेज पेश नहीं करने का कारण आगे कर जाति जांच समिति ने 31 अक्टूबर 2019 को बेटी के जाति वैधता प्रमाणपत्र का दावा नामंजूर किया था. जिस पर बेटी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. इस दौरान कोर्ट के आदेश पर हुए जांच में याचिकाकर्ता के पिता के पास भी अनुसूचित जाति के दस्तावेज मिले है. कोर्ट ने इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता बेटी को राहत दी है.

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