लडकों के लिए दुल्हन मिलना हुआ मुश्किल, लडकी वालों की अपेक्षाएं बढी
हर लडकी को चाहिए सरकारी नौकरी वाला लडका, किसान व निजी नौकरी वाले लडके नापसंद
अमरावती /दि.7– दीपावली और तुलसीविवाह के बाद वैवाहिक सीजन की धामधूम शुरु हो जाती है. ऐसे में विवाहयोग्य लडके व लडकियों के माता-पिता इससे पहले ही अपने बच्चों के लिए योग्य जीवनसाथी की तलाश करनी शुरु कर देते है. पहले जहां लडकियों के लिए अच्छा घर-वर खोजना काफी मुश्किल माना जाता था. वहीं इन दिनों लडकों के लिए अच्छा रिश्ता मिलना काफी मुश्किल हो चला है. क्योंकि लडकों को लेकर लडकियों की उम्मीदें काफी अधिक बढ गई है तथा हर लडकी अपने लिए सरकारी नौकरी वाला लडका ही चाहती है. वहीं दूसरी ओर खेती-किसानी अथवा निजी नौकरी करने वाले लडकों के लिए सीधे-सीधे मना कर दिया जाता है. जिसके चलते कई लडके 35 वर्ष की आयु में पहुंचने के बावजूद भी कुंवारे बैठे है.
पहले वैवाहिक संबंध बडी सहजता के साथ हो जाया करते थे और दोनों ओर से कोई विशेष अपेक्षाएं व उम्मीदें नहीं रखी जाती थी. परंतु अब समय बदल गया है. इन दिनों लडकियों में शहरी जीवनशैली का आकर्षण बढ गया है तथा अपने शहर से ज्यादा बडे शहर में रहने वाला आर्थिक रुप से संपन्न लडका ही मिलना चाहिए, ऐसी अपेक्षा अधिकांश लडकियों में बढ गई है. जिसके चलते अभिभावकों द्वारा भी ऐसा ही लडका खोजा जाता है. परंतु इस वजह से ग्रामीण क्षेत्र में खेतीबाडी करने वाले विवाहयोग्य युवकों को दुल्हन मिलना मुश्किल हो गया है और कुंवारे रहते हुए विवाह की उम्र पीछे छूट जाने के चलते लडकों सहित उनके अभिभावकों में भी चिंता व निराशा की भावना बढ रही है.
* लडकियों से ज्यादा अब लडकों के विवाह की चिंता
पहले लडकियों के विवाह की चिंता हुआ करती थी और लडके वालों द्वारा विवाह के लिए कई तरह की शर्तें व मांगे रखी जाती थी. परंतु अब लडकियों की अपेक्षाएं बढ गई है और लडकियों की शर्तों पर विवाह तय हो रहे है. जिसके चलते लडकों के विवाह के लिए चिंता बढ गई है.
* क्या है वजह?
– लडकियों की उम्मीदें बढी
अधिकांश लडकियों को भावी पति के तौर पर सरकारी नौकरीवाला लडका ही चाहिए होता है और ऐसे लडके की खोज करते समय खेती किसानी करने वाले या निजी क्षेत्र की नौकरी में रहने वाले लडकों को सीधे-सीधे मना कर दिया जाता है.
– जन्मदर घटने का परिणाम
लडकों की तुलना में लडकियों का जन्मदर कम रहने का परिणाम भी एक प्रमुख वजह है. विवाह हेतु इच्छूक रहने वाले लडकों की तुलना में विवाहयोग्य लडकियों की संख्या अपेक्षाकृत तौर पर कम दिखाई देती है.
– लडकियों में शिक्षा का प्रमाण अधिक
लडकों की तुलना में इन दिनों लडकियां पढाई-लिखाई में काफी आगे है और वे विभिन्न कार्यक्षेत्रों में भी उल्लेखनीय प्रदर्शन कर रही है. जिसके चलते वे अपने से कम पढे-लिखे व कमतर रहने वाले लडकों को वैवाहिक संबंध रहे पसंद नहीं करती.
* इन लडकों के लिए लडकी मिलना मुश्किल
– किसान
खेतीबाडी को आज लोगबाग कोई कीमत नहीं देते. क्योंकि खेतीबाडी के काम में काफी मेहनत मजदूरी करनी पडती है. जिसके चलते विवाहयोग्य युवतियां खेतीबाडी का काम करने वाले लडकों के साथ विवाह करने हेतु तैयार नहीं होती.
– ग्रामीण युवक
आज लगभग प्रत्येक युवक शिक्षित है और उनमें से ज्यादातर की पढाई-लिखाई शहर में रहकर हुई है. ऐसे में वे ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले युवकों को विवाह हेतु पसंद नहीं करती.
– अल्पशिक्षित
उच्च शिक्षा प्राप्त प्रत्येक युवती की उम्मीद रहती है कि, लडका भी उसकी तरह अच्छा पढा-लिखा हो, जिसके चलते कम शिक्षित रहने वाले लडकों को कोई विशेष भाव नहीं मिलता.
– कम वेतन
निजी क्षेत्र में काम करने वाला और कम वेतन प्राप्त करने वाला लडका अपने परिवार को सुखी व समाधानी नहीं रख सकता. ऐसी आम धारणा इन दिनों युवतियों व उनके अभिभावकों में घर कर गई है. जिसके चलते वे सरकारी नौकरी अथवा अधिक वेतनवाला लडका खोजते है.