अमरावती

विद्यापीठ में ऑनलाइन व्हायवा से पीएचडी प्राप्त करना हुआ सरल

अमरावती/दि.7 – कोरोना महामारी के चलते संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ ने ऑनलाइन व्हायवा (मौखिक) परीक्षा शुरु करने से नवसंशोधक आचार्य पदवी (पीएचडी) प्राप्त करना सरल हो गया है. संशोधनार्थी उम्मीदवारों को बेफिजुल के खर्च को प्रतिबंध लगा है. जून से नवंबर 2020 इस समयावधि में 100 से अधिक नवसंशोधकों को ऑनलाइन व्हायवा के कारण पीएचडी प्राप्त करना संभव हुआ है.
महाविद्यालय में अध्यापन के कार्य कोरोना महामारी के कारण अभी भी बंद ही है. विद्यापीठ के अंतिम वर्ष की परीक्षा के रिजल्ट जाहीर किये जा रहे है, इस रिजल्ट के कारण अनेक विद्यार्थियों को जॅकपॉट लगा है. परीक्षा में उत्तीर्ण होने का प्रमाण 95 से 100 प्रतिशत है. ऑनलाइन, ऑफलाइन बहुपर्यायी प्रश्नपत्रिका यह कुल मिलाकर विद्यार्थियों को पर्वनी सिध्द हुई है, जिसके कारण आने वाले सत्र में बॅकलॉक परीक्षा फॉर्म आने जैसे चित्र नहीं दिखाई दे रहे है.
पीएचडी संशोधकों को भी कोरोना से लाभ ही हुआ है. कोरोना महामारी को देखते हुए शिक्षण मंच की ओर से पीएचडी व्हायवा ऑनलाइन ली जाए, ऐसी मांग कुलगुरु मुरलीधर चांदेकर से की थी. उसके अनुसार विद्यापीठ ने पीएचडी के लिए ऑनलाइन व्हायवा प्रणाली लागू करते हुए संशोधकों को लगने वाला अनावश्यक खर्च को ब्रेक लगा दिया है. इस प्रक्रिया के कारण परीक्षा पध्दति में पारदर्शकता आयी. संशोधनार्थी उम्मीदवारों का बेफिजुल होने वाला खर्च और समय की बचत ऑनलाइन व्हायवा के कारण संभव हुआ है, ऐसा शिक्षण मंच के अध्यक्ष प्रदीप खेडकर ने बताया.

पहले ऐसा होता था व्हायवा

लॉकडाउन के पहले पीएचडी का व्हायवा याने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम रहता था. जिस विभाग में व्हायवा रहता था, वहां सिपाही से लेकर विभाग प्रमुखों तक सभी को उसका लाभ मिलता था. जैसे खाने में मेन्यू क्या रखना, इसपर खर्च होता था इतना ही नहीं तो खाने में व्हेज, नॉनव्हेज या महाप्रसाद यह परीक्षक के रुप में कौन आयेंगे इसपर निर्भर रहता था. अनेक जन पहले ही दिन आते थे और उनकी मेजवानी उसी दिन से विद्यापीठ के गेस्ट हाउस में शुरु होती थी. भोजन के लिए कौनसा होटल अच्छा, कौनसा पैकेट किसको देना है, कोैन-कौनसी कार से जायेंगे आदि सवालों को हल करने के लिए कार्यालय के हर वक्त संपर्क में रहने वाले मध्यस्थ प्राध्यापक करते थे व 50 से 60 हजार रुपए की बर्बादी होती थी तब जाकर पीएचडी व्हायवा संपन्न होता था.

पीएचडी सेल का कारोबार ऑनलाइन रहना चाहिए

पीएचडी सेल का शोधप्रबंध भेजने के काम अभी भी ऑफलाइन ही है. शोधप्रबंध की पांच प्रति पेश करना ही होगा इस बात पर जोर दिया जाता है. कुल मिलाकर पीएचडी सेल के सभी कामकाज ऑनलाइन करने के लिए टेक्नोसॅव्ही कर्मचारियों की जरुरत होती है. लेकिन इस विभाग में संगणक प्रशिक्षित कर्मचारी उपलब्ध नहीं है. इसलिए फिलहाल संगणकीकरण का सपना, सपना ही रहेगा, ऐसी प्रतिक्रिया उठ रही है.

अब पीएचडी व्हायवा ऑनलाइन व सरल

अब पीएचडी व्हायवा ऑनलाइन हुआ है, उसमें सरलता आ गई है. परीक्षक घर बैठे सवाल पूछते है, संशोधनार्थी घर बैठे ही सवालों के जवाब दे सकते है और मार्गदर्शक भी घर बैठे ही मार्गदर्शक भी भूमिका अदा कर सकते है. इसलिए संशोधनार्थीओं के यात्रा में होने वाले खर्च में बचत हुई है. परीक्षा विभाग के संचालक हेमंत देशमुख, पीएचडी सेल के सुजय बंड इन्होनें किये प्रयास के कारण ही यह सफल हुआ है.

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