अमरावतीमहाराष्ट्र

एम्बुलेंस वाहनों का भी स्वास्थ्य ठीक रहना जरुरी

जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम अंतर्गत 102 क्रमांक की एम्बुलेंस देती है सेवा

अमरावती /दि.4– प्रत्येक व्यक्ति द्वारा अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाता है, परंतु कब किसके साथ कौनसी घटना घटित हो जाये, यह बताना थोडा मुश्किल रहता है. जिसके चलते हार्ट अटैक व हादसे जैसी स्थिति में कभी भी मरीज को अस्पताल पहुंचाने हेतु एम्बुलेंस वाहनों की जरुरत पडती है. साथ ही कई बार गर्भवती महिला व छोटे बच्चों के लिए भी एम्बुलेंस वाहनों की सेवा लेनी पडती है. ऐसी स्थिति में मरीजों को अस्पताल में पहुंचाने वाली एम्बुलेंस का पूरा तरह से दुरुस्त रहना बेहद जरुरी होता है.

बता दें कि, जिले में शिशु सुरक्षा कार्यक्रम अंतर्गत महिला व बच्चों हेतु 102 क्रमांक की 72 एम्बुलेंसों द्वारा सेवा दी जा रही है. गंभीर मरीजों को अस्पताल में तत्काल भर्ती करने हेतु एम्बुलेंस की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है. जिसके चलते एम्बुलेंस का स्वास्थ्य यानि स्थिति बिल्कुल ठीक रहना बेहद जरुरी होता है. क्योंकि यदि एम्बुलेंस वाहन ही पूरी तरह से चूस्त दुरुस्त नहीं है और रास्तें मेें कहीं पर भी खराब होता है, तो गंभीर स्थिति वाले मरीजों को अस्पताल में पहुंचाने को लेकर विलंब भी हो सकता है. जिससे मरीजों की जान भी जा सकती है.

* जिले में 102 क्रमांक की 72 एम्बुलेंस
अमरावती जिले में जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम अंतर्गत कुल 102 एम्बुलेंस वाहन अपनी सेवाएं दे रही है. जिसके तहत मेलघाट जैसे दुर्गम क्षेत्र में महिलाओं व बच्चों को इन एम्बुलेंस वाहनों द्वारा अपनी सेवा दी जाती है.

* ऐसे रखे एम्बुलेंस के स्वास्थ्य का ध्यान
– इंश्योरेंस
सभी एम्बुलेंस वाहन यद्यपि अच्छी फिटनेस वाली स्थिति में हो, लेकिन इसके बावजूद उनका प्रतिवर्ष इंश्योरेंस निकाले जाने की जरुरत होती है. खास बात यह है कि, आज तक इंश्योरेंस नहीं रहने की वजह को लेकर किसी भी एम्बुलेंस के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
– पीयूसी
सभी एम्बुलेंस वाहनों के लिए पीयूसी यानि पोल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टीफिकेट निकाले जाने की जरुरत होती है. यह प्रमाणपत्र खुद एम्बुलेंस के चालक ही पूराना पीयूसी एक्सप्रायर होने के बाद बनवा लेते है. जिले मेें लगभग सभी एम्बुलेंस वाहनों के पास पीयूसी रहने की जानकारी सामने आयी है.
– 15 वर्ष से अधिक कालावधि
स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत रहने वाले सभी वाहनों की कालावधि फिलहाल 15 वर्ष से कम है. जिसके चलते सभी एम्बुलेंस वाहनों की फिटनेस को पूरी तरह से चूस्त-दुरुस्त कहा जा सकता है.

* इन वाहनों पर कौन लगाएगा दंड?
एम्बुलेंस को अति महत्वपूर्ण व अतिआपात सेवा में ग्राह्य माना जाता है. इन वाहनों द्वारा यातायात नियमों को लेकर कोई भी चूक करने पर उनके खिलाफ आरटीओ विभाग अंतर्गत कार्रवाई करने के निर्देश दिये गये है. परंतु एम्बुलेंस वाहनों के फिटनेस सर्टीफिकेट को लेकर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. किसी भी हादसे के समय एम्बुलेंस वाहन पूरी तरह से फिट है अथवा नहीं, यह देखने की बजाय घायल व्यक्ति की जान बचाने को महत्व दिया जाता है. वहीं एम्बुलेंस में कोई मरीज नहीं रहने के बावजूद भी सायरन बजाये जाने पर कार्रवाई की जाती है.

* फिटनेस प्रमाणपत्र जरुरी
एम्बुलेंस को नॉन ट्रान्सपोर्ट वाहनों वाले प्रकार में रखा जाता है. जिन्हें 15 वर्ष में एक बार और फिर 5 वर्ष के अंतराल पर फिटनेस सर्टीफिकेट हासिल करना होता है. साथ ही प्रत्येक 2 वर्ष में वाहन की फिटनेस पडताल करवाना अनिवार्य होता है.
– आर. टी. गीते,
प्रादेशिक परिवहन अधिकारी

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