
अमरावती /दि. 26– गर्मी के मौसम दौरान अपने वाहन लेकर बाहर निकलते समय वाहनों के टायर की स्थिति और टायर में हवा के प्रेशर के बीच संतुलन रखने की ओर अनदेखी करना महंगा साबित हो सकता है. गर्मी के मौसम दौरान सडक की सतह गर्म रहती है. साथ ही सडक पर दौडनेवाले वाहनों के टायर भी गर्म होते है. जिसके चलते टायर में रहनेवाली हवा का फैलाव होकर टायर के फटने का खतरा रहता है. जिससे वाहन में सवार लोगों की जान के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है. ऐसे में गर्मी के मौसम दौरान वाहन से यात्रा करते समय वाहनों के टायर की स्थिति और टायर में हवा के प्रेशर के बीच संतुलन रहने की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए.
बता दें कि, इस समय अमरावती शहर में अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सीअस के आसपास है. जिसमें आगामी कुछ दिनों के दौरान और भी अधिक वृद्धि होने की संभावना है. गर्मी के मौसम दौरान वातावरण में अच्छी-खास उष्णता रहती है. जिसके चलते रास्ते से गुजरते समय टायर में रहनेवाली हवा भी गर्म रहती है. ऐसे में टायर के फट जाने और हादसा घटित होने की अच्छी-खासी संभावना रहती है. इसके अलावा टायर के चार वर्ष से अधिक पुराने रहने और टायर के किनारे पर दरार रहने की वजह से भी टायर फूटने की घटनाएं घटित होती है. जिसके चलते यह बेहद जरुरी है कि, अगर किसी वाहन से लंबी दूरी की यात्रा पर जा रहे हैं तो सबसे पहले टायर की स्थिति और टायर में रहनेवाले हवा के दाब की ओर ध्यान रहना चाहिए.
* नायट्रोजन ज्यादा सुरक्षित
ज्यादातर लोग अपनी कार के टायर में सामान्य हवा ही भरवाते है. जो कार के टायरों के लिहाज से अच्छी नहीं होती. बल्कि कार के टायरों में नायट्रोजन हवा भरवाना काफी योग्य माना जाता है. क्योंकि वाहनों के टायर को सुरक्षित रखने के लिए नायट्रोजन गैस भरवाना ही बेहतरीन उपाय है और नायट्रोजन भरवाने पर तुलनात्मक रुप से हादसों का खतरा कम हो जाता है.
* गर्मी में बढते है टायर फूटने के मामले
इन दिनों चहुंओर सिमेंट काँक्रीट की सडके बनी हुई है और डांबर से बनी सडकों की तुलना में सिमेंट से बनी सडके ज्यादा तपती है. ऐसे समय यदि टायरों में हवा का प्रमाण थोडा भी कम-ज्याद रहता है तो टायरों के फूटने का खतरा अधिक रहता है.
* कितने किमी पर बदले जाए टायर
टायर निर्मिती करनेवाली कंपनियों द्वारा प्रत्येक तीन साल में टायर बदलने की बात कही जाती है. वहीं क्षेत्रीय मौसम के अनुसार स्थानीय टायर व्यवसायियों द्वारा प्रत्येक चार वर्ष में टायर बदलने की सलाह दी जाती है. इसके साथ ही टायर में कट लग जाने या बलून बनने पर टायर को तुरंत बदला जाना चाहिए. साथ ही 30 से 50 हजार किमी चलने के बाद टायर को बदलना ही चाहिए. परंतु यह सबकुछ टायर की क्वॉलिटी, ड्राईविंग शैली व परिस्थिति आदि पर निर्भर करता है.
* पुराने व कट लगे टायर यात्रा के लिहाज से खतरनाक
किसी भी वाहन की सुरक्षितता उसके टायरों की अच्छी स्थिति पर निर्भर करती है. यात्रा हेतु निकलते समय या कहीं बाहरगांव जाते समय टायर में हवा योग्य प्रमाण में अथवा नहीं इसकी तस्दीक की जानी चाहिए. साथ ही वाहनों की समय-समय पर सर्विसींग भी करवानी चाहिए और किसी भी तरह का संदेह होने पर वाहन की पूरी जांच भी करवानी चाहिए.