अमरावती

असल इतिहास और महानायकों को जानना जरुरी

अमृतमंथन व्याख्यानमाला के पहले दिन आशुतोष अडोणी ने सुनाई ‘क्रांतिगाथा’

अमरावती/दि.12– विगत 10 वर्षो से तुषार भारतीय मित्र परिवार व्दारा अमृतमंथन व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा हैं. जिसके तहत इस वर्ष यह व्याख्यानमाला 11 से 13 नवंबर तक आयोजित की गई हैं, जिसका गत रोज शुभारंभ हुआ. इस व्याख्यानमाला के पहले दिन ख्यातनाम वक्ता आशुतोष अडोणी व्दारा ‘क्रांतिगाथा-1857 से सुभाष’ विषय पर प्रथम पुष्प प्रस्तुत किया गया. जिसके तहत उन्होंने वर्ष 1857 में ब्रिटीश सत्ता के खिलाफ ब्रिटीश सेना में रहनेवाले भारतीय सैनिकों व्दारा किए गए विद्रोह के साथ शुरु हुए स्वाधीनता संग्राम के विभिन्न प्रसंगों को उपस्थितों के समक्ष साकार किया. साथ ही स्वातंत्र वीर सावरकर व्दारा किए गए समर कार्यो का उल्लेख करते हुए नेताजी सुभाषचंद्र बोस व्दारा ब्रिटीश सेना में शामिल भारतीय सेैनिकों को साथ लेकर ब्रिटीश हुकूमत के खिलाफ स्थापित की गई आजाद हिंद सेना से संबंधित कई ज्ञात अज्ञात पहलूओं पर भी रोशनी डाली.
इस आयोजन में सर्वप्रथम उपस्थित गणमान्यों व्दारा भारत माता की प्रतिमा का पूजन किया गया. इस समय पूर्व महापौर चेतन गावंडे व मनपा के पूर्व सभागृह नेता तुषार भारतीय प्रमुख रुप से उपस्थित थे. पश्चात अपने संबोधन में आशुतोष अडोणी ने इस व्याख्यानमाला में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, अंग्रेजों के खिलाफ स्वाधिनता संग्राम का प्रारंभ सन 1857 के सैनिक विद्रोह से हुआ ऐसी एक आम धारणा है, लेकिन हकिकत यह है कि इससे भी करीब एक शतक पहले सन 1775 में सन्यासियों व्दारा किए गए विद्रोह से हकिकत में भारतीय स्वाधिनता संग्राम का प्रारंभ हुआ था. जिसे लेकर बकिमचंद्र चटोपाध्याय ने आनंदमठ नामक उपन्यास लिखा था. इसके पश्चात सन 1857 में सैनिक विद्रोह हुआ. जिसकी पूरी जानकारी स्वातंत्र वीर सावरकर ने अपने व्दारा लिखित किताब में संकलित की हैं. इसी तरह हमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की शौर्य गाथा तो पता है लेकिन महाराष्ट्र तथा बिहार में कुछ जनजातियों व्दारा दिखाए गए शौर्य और रानी चिन्नमा देवी व्दारा अंग्रेजों के खिलाफ किए गए संघर्ष के बारे में हमें आज तक विस्तार के साथ नहीं पढाया गया. बिहार के संथाल परगणा और विशाखापट्टणम में क्या हुआ, यह हमें कभी बताया ही नहीं गया. क्योंकि हमारे इतिहास का लेखन ब्रिटीश व साम्यवादी इतिहासकारों व्दारा किया गया. जिसमें प्रखर राष्ट्रवाद से ओतप्रोत घटनाओं का उल्लेख नहीं किया गया हैं. ऐसे में बेहद जरुरी है कि हम अपने इतिहास के सही स्वरुप को जाने और अपने महानायक के कार्यो से परिचित हो.
स्थानीय साईनगर परिसर के साईरत्न लॉन में शाम 6.30 बजे आयोजित इस व्याख्यानमाला के पहले दिन अपने विचार प्रस्तुत करने हेतु पहुंचे आशुतोष अडोणी का पूर्व पार्षद तुषार भारतीय व्दारा भावपूर्ण स्वागत किया गया. इस अवसर पर साईनगर परिसर सहित शहर के अनेकों गणमान्य नागरिक इस व्याख्यानमाला को सुनने हेतु उपस्थित हुए थे.
* आज अभिनेत्री निशिगंधा वाड का व्याख्यान
इस व्याख्यानमाला के दूसरे दिन यानी आज शनिवार 12 नवंबर की शाम 6.30 बजे ख्यातनाम फिल्म अभिनेत्री डॉ. निधीगंधा वाड व्दारा ‘माणुस म्हुणन जगताना’ (व्यक्ति के तौर पर जीवन जीते समय) विषय पर अपने विचार व्यक्त किए जाएंगे. वहीं इस आयोजन के तीसरे दिन कल रविवार 13 नवंबर को ‘थरथराट’ फेम अभिनेता राहुल सोलापुरकर व्दारा ‘कश्मीरनामा’ विषय पर अपना व्याख्यान दिया जाएगा. तुषार भारतीय मित्र परिवार ने सभी सुधीजनों से इस आयोजन में उपस्थित रहने का आवाहन किया हैं.

 

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