छत्रपति संभाजीराजा की धर्मनिष्ठा और राष्ट्रभक्ति को याद रखना जरूरी : प्रमोद पोकले

छत्रपति संभाजी महाराज जयंती पर सुसंस्कार शिविर में कथन

तिवसा /दि.16– समाज में रहते हुए प्रत्येक व्यक्ति का यह नैतिक दायित्व है कि वह अपने मातृ, पितृ, सामाजिक और राष्ट्रीय ऋण को चुकाए. हम खुशहाल जीवन जी रहे हैं, क्योंकि हमारे देश के सैनिक सीमा पर राष्ट्र सेवा का अपना कर्तव्य निभा रहे हैं. इसे ध्यान में रखते हुए आज के युवाओं को धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज के त्याग, पराक्रम और स्वराज्यनिष्ठा का स्मरण करना चाहिए, उनकी राष्ट्रीय बलिदान की वीरगाथा को ध्यान में रखते हुए देश-धर्म-संस्कृति एवं समाज के उत्थान के लिए काम करना चाहिए. समाज में हर किसी को धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज की धर्मनिष्ठा और राष्ट्रभक्ति पर विचार करना आवश्यक है, इस आशय का कथन दूरदर्शन और आकाशवाणी के लोक कलाकार एवं गुरुदेव सेवा मण्डल के प्रचारक प्रमोद पोकले गुरुजीने किया.
धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज जयंती के अवसर पर समिपस्थ दासटेकड़ी स्थित राष्ट्रसंत अध्यात्म केंद्र में 1 मई से चल रहे श्री गुरुदेव सर्वांगीण सुसंस्कार शिविर में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को मार्गदर्शन करते हुए प्रमोद पोकले गुरुजी बोल रहे थे. इस शिविर में विदर्भ से 120 शिविरार्थियों को मार्गदर्शन करते हुए उन्होंने आगे कहा कि, स्वराज्य की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले स्वराज्य रक्षक संभाजी राजा के असाधारण कार्य की विरासत को आगे बढ़ाना, उनकी देशभक्ति और धर्म के प्रति समर्पण को दर्शाना, भावी पीढ़ी का कर्तव्य है. लगभग 20 दिनों तक चलने वाले इस शिविर में सेवाभावी शिक्षकों से बौद्धिक, व्यायाम एवं भजन-संगीत का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. श्री गुरुदेव राष्ट्रधर्म प्रचार संस्था द्वारा संपूर्ण जनसहयोग के आधार पर चलाए जाने वाले इस शिविर की सफलता के लिए शिविर प्रमुख रवींद्र ढवले, रूपेश मोरे, गणेश दरवरे, योगेश मेंढे, मयूर इंगले, वेदांत अढाऊ, नयन प-हाड, ओम नन्नावरे, कुंदन गुडधे, पुष्कर गुडधे, निवृत्ति इंदुरकर, अरुण फंदे, हभप दिनकर चोरे, प्रमोद पोकले, अभिनय काले, डॉ. नरेंद्र तराले, छगनराव मोरे, प्रशांत दुधे, किशोर रायबोले, जबकि प्रबंधन की जिम्मेदारी रवींद्र वानखड़े संभाल रहे हैं.

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