सांसारिक उन्नति के लिए खुद को नियमों में बांधना आवश्यक
संत डॉ.संतोष देव महाराज का कथन

अमरावती/दि.24– स्थानीय सिंधु नगर स्थित पूज्य शिवधारा आश्रम सिंधु नगर में चल रहा शिवधारा झूलेलाल चालिहा का आज नौवे दिन पर परम पूज्य संत श्री डॉ. संतोषदेव जी महाराज की मधुर वाणी में फरमाया, कि जैसे संसारी उन्नति के लिए खुद को नियमों में बांधना आवश्यक है, जैसे यातायात के नियमों के अनुसार जो गाड़ी चलाएगा वह खुद भी सुरक्षित होगा और दूसरों को भी एक्सीडेंट से बचा पाएगा. सेना हो या प्राइवेट कंपनियां में अपने-अपने नियमों के अनुसार अगर काम कर रहे हैं तभी तो वह उन्नति कर पा रहे हैं, वैसे ही आध्यात्मिकता के नियम है पूजा, पाठ, भजन, संध्या, ध्यान, योग प्राणायाम, भोग लगाना, रोज कुछ ना कुछ सेवा कार्य करना, दान पुण्य करना, अधिक से अधिक व्रत नियमों का पालन करना (एकादशी, चतुर्थी, पूर्णिमासी या सप्ताह में एक उपवास रखना, महाशिवरात्रि, रामनवमी, जन्माष्टमी, नवरात्रि, गणेश उत्सव आदि) और अपने व्यवहार और स्वभाव में सौम्यता, पारदर्शिता, सहयोगी स्वभाव, दया भाव, करुणा, श्रद्धा, आस्था आदि जो जितना इन नियमों को अपने जीवन में धारण करेगा, संसार हो या आध्यात्मिकता हो उन्नति जरूर करेगा. इस अवसर पर सत्संग दौरान संत संतोष महाराज ने विविध उदाहरण देकर भक्तों का मार्गदर्शन किया.
गुरुवार के दिन दोपहर लगभग 12 बजे सात केले, दो गांठें हल्दी की, संभव हो तो पीले कलर की मिठाई जो भगवान विष्णु, नारायण, राम या कृष्णा के मंदिर में जाकर अपनी मनोकामना के साथ भेंट रखते हैं, उन पर भगवान की विशेष कृपा होती है और मनोकामना पूर्ण होती है.