पड रही भीषण गर्मी, तबियत संभालना जरूरी
अमरावती/दि.26– जारी सप्ताह में सभी दिन पारा 41 डिग्री सेल्सियस से उपर था और तीव्र उष्माघात की वजह से तीन लोगों की मौत हो जाने की भी जानकारी है. ऐसे में इस भीषण गर्मी से बचाव करने हेतु सभी आवश्यक उपाय करना बेहद जरूरी है. जारी मार्च महिना अब तक का सबसे गर्म महिना रहा. वहीं अब अप्रैल से जून माह के दौरान अच्छी-खासी गर्मी पडने के पूरे आसार है. ऐसे में सभी के लिए जरूरी है कि, वे खुद को गर्मी के भीषण प्रकोप से बचाये रखे. साथ ही अपने स्वास्थ्य की ओर पूरा ध्यान दें.
* पारा 41 डिग्री पर
जारी मार्च माह के दौरान तापमान में अच्छी-खासी वृध्दि हुई है. इस दौरान दो से तीन दिन तक 41 डिग्री से उपर तापमान दर्ज किया गया. वही अब बदरीला मौसम होने की वजह से तापमान 3 डिग्री सेल्सियस नीचे लुढका है. हालांकि वातावरण में उमस भरी हुई है.
* ये सावधानियां हैं जरूरी
भूखे पेट धूप में न घुमे, धुप में काम करना टाले, धुप में काम करना जरूरी होने पर ही खुद को छांव में रखे और थकान होने पर थोडी देर विश्राम करे. धुप के समय बाहर जाते वक्त गॉगल, टोपी व दुपट्टे का प्रयोग अवश्य करे.
* भरपूर पानी पीयें
गर्मी के मौसम दौरान थोडी-थोडी देर में पानी पिना बेहद जरूरी होता है. इसके साथ ही जलसंजीवनी व शरबत का भी सेवन किया जा सकता है. पीने का पानी पूरी तरह से साफ-सूथरा होना चाहिए. अत: इसे लेकर सावधानियां बरतें.
* उष्माघात टालने के लिए…
खुले आसमान के नीचे तेज धूप में मेहनत-मजदूरी के काम ज्यादा देर तक न करे. बॉयलर रूम, कांच के कारखाने तथा अधिक तापमान रहनेवाले स्थानों व कमरों में काम करना टाले. तंग कपडों का प्रयोग न करे. तेज धूप के समय बाहर घूमना टाले.
* ये हैं उष्माघात के लक्षण
शरीर से पसीना छूटना, थकान आना, बूखार होना, त्वचा का शुष्क पडना, भूख नहीं लगना, चक्कर आना, निरूत्साही लगना, सिरदर्द होना, जोडों में दर्द होना, रक्तदाब बढना, मानसिक बेचैनी व अस्वस्थता होना, बेहोशी छाना, शरीर का शुष्क पडना और बार-बार तेज प्यास लगना.
उष्माघात से बचाव हेतु जहां तक संभव हो, तेज धूप में निकलना टाला जाना चाहिए. दोपहर के वक्त तेज धूप में काम नहीं करने चाहिए. डिहाईड्रेशन की वजह से मूत्रपिंडों पर परिणाम हो सकता है.
– डॉ. विशाल काले
स्वास्थ्य व चिकित्सा अधिकारी, मनपा