जल व्यवस्था का अभ्यास कर उसे अमल में लाना आवश्यक
जिप सीईओ संगीता मोहपात्रा का प्रतिपादन

* संगाबा विद्यापीठ में जल साक्षरता कार्यशाला
अमरावती / दि. 27-मनुष्य बदला, जीवन जीने के संदर्भ बदले और मानवता भी लुप्त होती जा रही है. मनुष्य स्वार्थी हो गया है. प्रकृति ने भी पीठ फेर ली है. जमीन का जलस्तर नीचे चला गया. जिससे पानी के टैंकर शुरू हुए. इसके लिए जल व्यवस्था का अभ्यास कर उसे अमल में लाना आवश्यक है, ऐसा प्रतिपादन जिप सीईओ संगीता मोहपात्रा ने व्यक्त किया. वे संगाबा विद्यापीठ के आजीवन अध्ययन व विस्तार विभाग अंतर्गत आजीवन अध्ययन व विस्तार पाठ्यक्रम की ओर से आयोजित विश्व जल दिवस के निमित्त राज्यस्तरीय कार्यशाला में बतौर प्रमुख अतिथि के रूप में बोल रही थी.
कार्यक्रम की अध्यक्षता मानव विद्या शाखा की अधिष्ठाता डॉ. मोना चिमोटे ने की तथा प्रमुख अतिथि के रूप में आजीवन अध्ययन व विस्तार मंडल सदस्य डॉ. रविन्द्र सरोदे, बीज भाषक प्रा. अनिरूध्द पाटिल, विभाग के संचालक डॉ. श्रीकांत पाटिल उपस्थित थे. जिप सीईओ मोहपात्रा ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का जल व्यवस्थापन हमारे विभाग का आदर्श होना चाहिए. आज बिगडी हुई जल व्यवस्था को बदलना होगा और उसकी शुरूआत स्वयं से करनी होगी. तब जल आंदोलन बडा और सफल होगा.
जिन सीईओ मोहपात्रा ने आगे कहा कि आज के जल किल्लत के काल में पानी का महत्व समझना चाहिए. इसके लिए चलाए जा रहे जलयुक्त शिवार अभियान, पानी अडवा, पानी जिरवा, अभियान में गांव- गांव में संगठित रूप से काम होना चाहिए. इन सभी उपक्रमों की महत्ता विषद करते हुए उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज का जल व्यवस्थापन आज कितना महत्वपूर्ण है. इस बात का भी विचार गंभीरता से किया जाना चाहिए. कार्यक्रम अध्यक्षा डॉ. मोना चिमोटे ने कहा कि पानी जीवन जीने का प्रत्येक मनुष्य का अनिवार्य विषय होना चाहिए.
कार्यक्रम के दौरान अन्य अतिथियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए. छत्रपति शिवाजी महाराज और संत गाडगे बाबा के तैलचित्रों का पूजन कर जल साक्षरता का मत विषद करने का घोष वाक्य रहनेवाली छत्री घुमाकर मान्यवरों ने जल पूजन किया. आजीवन अध्ययन विभाग की ओर से शुरू कौशल्ययुक्त व स्वयं रोजगार प्राप्त करानेवाले 8 पाठ्यक्रम व 164 अल्पकालीन प्रमाणपत्र पाठ्यक्रमों का परिचय उपस्थितों को करवाया गया. कार्यक्रम का संचालन प्रा. वैभव जिचकार ने किया तथा आभार प्रा. प्रणव तट्टे ने माना. कार्यक्रम में विद्यापीठ परिसर व शहर के गणमान्य नागरिक, जल आंदोलन के कार्यकर्ता, अभ्यासक, शोधकर्ता प्राध्यापक सहित बडी संख्या में नागरिक उपस्थित थे.