अमरावती

पुरातन भारतीय ज्ञान परंपरा की पुनर्स्थापना होना जरुरी

श्रीनाथ पीठाधीश्वर स्वामी जितेंद्रनाथ महाराज का कथन

हव्याप्रमं में राज्य का पहला आईकेएस केंद्र उद्घाटित
अमरावती/दि.19 – लंबे समय तक विदेशी आक्रमणकारियों के हमले और उनकी दास्ता ने पुरातन भारतीय ज्ञान परंपरा को एक तरह से हाशिए पर ढकेल दिया था. आजादी के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि, देशवासियों के समक्ष हमारे देश के शौर्य, ज्ञान व तेज का इतिहास रखा जाएगा. जिसके बाद भारतीय ज्ञान परंपरा एक बार फिर अपने पुराने गौरव को प्राप्त करेगी. लेकिन तत्कालीन सत्ताधीशों ने अंगे्रजों द्बारा लागू की गई शिक्षा प्रणाली को जस का तस कायम रखा. जिसके चलते भारतीय ज्ञान परंपरा के दुर्दिन समाप्त नहीं हुए. परंतु अब स्थिति बदल गई है. जिसके चलते भारतीय ज्ञान परंपरा की पुनर्स्थापना होना अब बेहद जरुरी है. इस आशय का प्रतिपादन अंजनगांव सुर्जी स्थित श्री देवनाथ पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य श्री जितेंद्रनाथ महाराज ने व्यक्त किया.
बता दें कि, केंद्रीय शिक्ष मंत्रालय की पहल पर समूचे देश भर में भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र शुरु किए जा रहे है. जिसके तहत महाराष्ट्र में सबसे पहले केंद्र का उद्घाटन गत रोज स्थानीय श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल में किया गया. इस केंद्र का उद्घाटन करते समय स्वामी श्री जितेंद्रनाथ महाराज ने उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही कहा कि, विगत कुछ वर्षों के दौरान आयुर्वेद चिकित्सा, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा सहित भारतीय ज्ञान परंपरा को अंधेरे से निकालकर सबके सामने उजाले में लाकर रखने का प्रयास केंद्र सरकार द्बारा किया जा रहा है और इस पारंपारिक व पुरातन ज्ञान विधा के साथ ही भारतीय पांरपारिक खेलों के संदर्भ में राष्ट्रीय व आंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध कार्य करने के साथ ही इसका प्रचार-प्रसार करने के इरादे से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल ने इस ज्ञान केंद्र को शुरु करने हेतु अपना अनुमोदन दिया. यह अपने आप में दुग्धशर्करा योग है.
श्री हव्याप्रमं के प्रधान सचिव पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य के मार्गदर्शन में गुरुवार की शाम 5 बजे हव्याप्रमं के स्व. सोमेश्वर पुसदकर सभागार में आयोजित इस उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता हव्याप्रमं की सचिव एवं भारतीय ज्ञान केंद्र की समन्वयक प्रा. डॉ. माधुरी चेंडके ने की. इस अवसर पर संगाबा अमरावती विद्यापीठ के प्र-कुलगुरु डॉ. प्रसाद वाडेगावकर, हव्याप्रमं के उपाध्यक्ष प्रा. डॉ. श्रीकांत चेंडके, आचार्य अनुराग देशपांडे, आचार्य श्रेयश कुर्‍हेकर, डिग्री कॉलेज ऑफ फिजिकल एज्यूकेशन के प्राचार्य डॉ. श्रनिवास देशपांडे, भारतीय ज्ञान केंद्र के सहसमन्वयक प्रा. प्रणव चेंडके व प्रा. डॉ. मयुरेश शिंगरुप बतौर प्रमुख अतिथि उपस्थित थे. कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी उपस्थित गणमान्यों द्बारा मंच पर दीप प्रज्वलन किया गया. जिसके पश्चात भारतीय ज्ञान केंद्र की समन्वयक प्रा. डॉ. माधुरी चेंडके ने प्रस्तावना रखते हुए भारतीय ज्ञान केंद्र के महत्व एवं इस केंद्र के जरिए आगे किए जाने वाले कामों के बारे में जानकारी दी. जिसके उपरान्त उद्घाटक के तौर पर उपस्थित आचार्य श्री जितेंद्रनाथ महाराज के हाथों फिता काटकर इस ज्ञान केंद्र का विधिवत उद्धाटन किया गया. इस समय अपने विचार व्यक्त करने के साथ ही आचार्य जितेंद्रनाथम महाराज ने भारतीय ज्ञान केंद्र के लिए श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल को अमरावती व विदर्भ सहित समूचे महाराष्ट्र राज्य में सर्वाधिक उपयुक्त स्थान बताया. साथ ही उद्घाटन समारोह के उपरान्त हव्याप्रमं का दौरा करते हुए यहां पर चलने वाले भारतीय पारंपारिक खेलों के प्रशिक्षण एवं शैक्षणिक गतिविधियों के बारे में जाना. इस समय प्रा. विलास दलाल के मार्गदर्शन में हव्याप्रमं के छात्र-छात्राओं ने मलखंब सहित विभिन्न क्रीडा प्रात्याक्षिक प्रस्तुत किए. उद्घाटन समारोह में संचालन प्रा. आशिष हाटेकर व आभार प्रदर्शन आचार्य श्रेयश कुर्‍हेकर द्बारा किया गया. पश्चात कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान की प्रस्तूती से हुआ.

Related Articles

Back to top button