अमरावती/दि.7– शिशु के जन्म के पश्चात 6 महीने शिशु को माता के दूध की आवश्यकता होती है. दिन में कम से कम आठ बार माता ने शिशु को स्तनपान करना जरुरी है. यदि शिशु को माता का दूध नहीं मिला तो वह बालक कुपोषित होने की संभावना रहती है. इसलिए कुपोषित शिशु सिर्फ गरीबों के ही घरों में जन्म नहीं लेता, बल्कि किसी भी घर में कुपोषित बालक जन्म ले सकता है.
कई बार कुपोषण यह माता के पेट से शुरु होता है. मां कुपोषित व कमजोर रही या गर्भावस्था में यदि महिलाओं ने पोषणयुक्त आहार नहीं लिया तो इसका असर शिशु पर होता है. जिले में कुपोषण का प्रमाण मेलघाट में अधिक है. शिशु के जन्म के बाद 6 महीने शिशु को माता के दूध की आवश्यकता होती है. बाद में कम से कम दो वर्ष तक इस बालक को अन्न व दूध से उचित पोषण मिलना जरुरी है.
कुपोषण गिनने के लिए भुजा का घेर यह सरल पद्धति है. 1-5 वर्ष के बालक को यह समान लागू होता है. बाजुओं का घेर 13.5 सेंटीमीटर से अधिक होना अच्छा है. वहीं जन्म के समय 50 सेंटीमीटर, 6 महीने के आखिर में 65 सेंटीमीटर, 1 वर्ष के आखिर में 75 तो 2 वर्ष के आखिर में 85 सेंटीमीटर शिशु की ऊंचाई होनी चाहिए. इसके साथ ही उम्र के अनुसार वजन यह कुपोषण पहचानने के लिए अधिक प्रमाण में इस्तेमाल की जाने वाली पद्धति है. जन्म के समय शिशु तीन किलो का होना चाहिए, वहीं 6 महीने बाद 6 किलो तो एक वर्ष के आखिर में शिशु का वजन 9 किलो होना चाहिए. जन्म के समय सिर का घेर 34 सेंटीमीटर होना चाहिए. छठवे महीने के आखिर में 42, एक वर्ष के आखिर में 45, दो वर्ष के आखिर में 47 सेंटीमीटर सिर का घेर होना चाहिए.शिशु के शरीर के रक्तद्रव्य के आधार पर ही कुपोषण पहचाना जाता है. रक्तद्रव्य का प्रमाण 12 ग्राम से अधिक होना जरुरी है.
* कुपोषण का कारण- गर्भावस्था में महिला को पोषणयुक्त आहार न मिलना कुपोषण वृद्धि का कारण है. जन्म के बाद देरी से या कम स्तनपान करने से शिशु को उचित पोषण नहीं मिलता.
क्या है प्राथमिक उपचार?
शिशु के जन्म पश्चात 6 महीने तक सिर्फ माता ने स्तनपान कराना चाहिए, उन्हें दिन में 8 से 9 बार माता ने स्तनपान करवाना चाहिए. 6 महीने बाद 70 प्रतिशत स्तनपान से दूध व 30 प्रतिशत अन्न, एक वर्ष बाद 50 प्रतिशत दूध व 50 प्रतिशत अन्न, डेढ़ वर्ष बाद 30 प्रतिशत दूध व 70 प्रतिशत अन्न ऐसे दो वर्ष तक आहार दें.
यदि गर्भवती हो तो इन दिनों में पोषणयुक्त आहार व हरी साग सब्जियोंं का सेवन करना शिशु के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है. शिशु के जन्म के बाद 6 महीने तक रोज दिन में 8 से 9 बार माता ने स्तनपान कराना चाहिए.
– डॉ.दिलीप रणमले, जिला स्वास्थ्य अधिकारी