अस्पताल के मेडिकल से ही दवा खरीदना जरुरी नहीं
अब किसी भी मेडिकल स्टोअर से खरीदी जा सकती है दवा
अमरावती /दि.25– इन दिनों लगभग सभी निजी अस्पतालों के भीतर ही मेडिकल स्टोअर खोले जाते है. पहले उन्हीं मेडिकल स्टोअर से ही अस्पताल में भर्ती रहने वाले मरीजों के लिए डॉक्टर द्बारा लिखी गई दवाईयां खरीदना अनिवार्य किया जाता था. परंतु अब निजी अस्पतालों के मेडिकल स्टोअर से ही दवा खरीदना अनिवार्य नहीं है, ऐसा फलक सभी अस्पतालों व उनसे संबंधित मेडिकल स्टोअर में लगाना अनिवार्य है.
शहर के निजी अस्पतालों में स्थित मेडिकल स्टोअर के समक्ष ऐसे बोर्ड साफ तौर पर लगे दिखाई देते है. परंतु कई स्थानों पर बोर्ड कुछ इस तरह से लगाए जाते है, ताकि वे मरीजों के परिजनों को दिखाई न दे. इसके अलावा कई बार डॉक्टरों द्बारा लिखी गई दवाई की पर्ची को लेकर अलग-अलग मेडिकल स्टोअर पर चक्कर लगाने के बावजूद भी वहां दवाई नहीं मिलती. ऐसे में घुम फिरकर अस्पताल में रहने वाले मेडिकल स्टोअर पर ही वापिस आना पडता है. क्योंकि संबंधित डॉक्टर द्बारा लिखी गई दवाई उसी के अस्पताल के मेडिकल स्टोअर पर मिलती है. यानि कुलमिलाकर बात फिर वहीं के वहीं आ जाती है कि, किसी अस्पताल में भर्ती रहने वाले मरीज के इलाज हेतु उसी अस्पताल के मेडिकल स्टोअर से दवा खरीदनी पडती है.
* क्या है आदेश
अस्पताल के मेडिकल स्टोअर से ही मरीजों के लिए दवा खरीदने की सख्ती नहीं है. बल्कि अस्पताल में भर्ती रहने वाले मरीज व उसके रिश्तेदार द्बारा किसी भी लाईसेंसधारक दवा विक्रेता से दवा खरीदी जा सकती है. इस आशय का बोर्ड स्पष्ट तौर पर दिखाई दे और ऐसे बोर्ड को अस्पताल के मेडिकल स्टोअर के दर्शनी हिस्से में लगाए जाए, ऐसा आदेश है.
बॉक्स
* अस्पताल के मेडिकल स्टोअर से ही दवा खरीदने की कोई सख्ती नहीं है. इस आशय का बोर्ड लगाने का आदेश मेडिकल स्टोअर वाले सभी अस्पतालों को दिया गया है. इसमें से लगभग सभी अस्पतालों द्बारा इस नियम का पालन किया जाता है. साथ ही किसी भी मरीज के परिजनों की ओर से अब तक ऐसी कोई शिकायत सामने नहीं आयी है.
– स्वाती बरडे,
औषधी निरीक्षक, अन्न व औषधी प्रशासन
* क्या है जमीनी हकीकत
– बाहर की दवाईयां स्वीकार नहीं
कई बार ऑपरेशन के लिए लगने वाली महंगी दवाईयां मरीज के रिश्तेदार अपनी जान पहचान के मेडिकल स्टोअर से लेकर आते है. परंतु बाहर से लायी गई दवाईयां किसी अलग कंपनी की है और यह दवाईयां नहीं चलेगी, ऐसा कहकर उन दवाईयों को स्वीकार करने से मना कर दिया जाता है.
– अस्पताल के मेडिकल में ही मिलती है दवाई
डॉक्टर द्बारा दवा लिखकर दिए जाने के बाद उसे अस्पताल के साथ रहने वाले मेडिकल से खरीदने हेतु कहा जाता है. कई बार ऐसी दवाईयां बाहर मिलती भी नहीं. जिसकी वजह से बाहर के मेडिकल स्टोअर के चक्कर काटने की बजाय मरीज के परिजनों द्बारा अस्पताल के मेडिकल स्टोअर से ही उक्त दवाई की खरीदी कर ली जाती है.
– ‘सख्ती नहीं’ का बोर्ड गायब
औषध प्रशासन द्बारा इन दवाखानों में मेडिकल स्टोअर हैं, वहां पर ‘सख्ती नहीं’ का बोर्ड लगाने का आदेश दिया गया था. परंतु शहर के अधिकांश अस्पतालों में मेडिकल स्टोअर के आसपास ऐसा बोर्ड लगा दिखाई ही नहीं देता.