अमरावती

जन्म से सुनाई न देने की बीमारी का अब नई तकनीक से इलाज संभव

पाटील ईएनटी अस्पताल में नि:शुल्क सेवा

अमरावती-दि.31 बच्चों में जन्म से सुनाई न देने की बीमारी का अब नई तकनीक के साथ इलाज संभव है. ० से ९ साल तक बच्चों में जन्म से सुनाई न देने की बीमारी रहने पर कॉक्लियार इम्प्लांट शल्यक्रिया से इलाज किया जाएगा. वैसे तो इस शल्यक्रिया के लिए ८ से १० लाख रुपए तक का खर्च आता है. लेकिन राजापेठ स्थित पाटील कान-नाक-गला अस्पताल में सर्जन डॉ. मिनेश जुवेकर इन मेंटॉर की मदद से यह सेवा नि:शुल्क प्रदान की जा रही है. जिसके तहत शुक्रवार को दो बालकों के ऑपरेशन किए गए. मुंबई के पधारे कॉक्लियार इम्प्लांट सर्जन डॉ.मिनेश जुवेकर ने बताया कि, जो बच्चे जन्म के पश्चात ३ साल की आयु तक सुन नहीं सकते उन बच्चों की सुनने की शक्ति को विकसित किया जा सकता है. उन्हें मशीन की आवश्यकता नहीं होती. श्राव्य कार्यक्रम के तहत राधामोहन मेहरोत्रा मेडिकल रिलीफ ट्रस्ट द्वारा शहर-शहर जाकर यह सेवा प्रदान करते हुए उन्हें कॉक्लियार इम्प्लांट सर्जरी उपलब्ध करवायी जा रही है. विविध शहरों के बाद यह सेवा देने का पाटील अस्पताल ने मौका दिया है. यहां २ वर्ष की ह्दया सपकाल तथा पौने २ साल के जियान अजीज खान पर यह शल्यक्रिया की गई. इन बच्चों की संपूर्ण शल्यक्रिया नि:शुल्क रूप से की गई. पाटील कान-नाक-गला के विशेषज्ञ तथा संचालक डॉ.एम.एम.पाटील व डॉ.क्षितीज पाटील ने बताया कि, विदर्भ में नागपुर के बाद अब अमरावती में यह शल्यक्रिया हो रही है. जिसका स्थानीय मरीजों को लाभ मिलेगा.उनके बच्चों की सुनने की शक्ति वापस लौटेगी.आगामी समय में कॉक्लियार इम्प्लांट शल्यक्रिया निशुल्क रूप में उपलब्ध की जाएगी. इसके लिए अनुभवी विशेषज्ञ डॉ.जयेश इंगले, श्रवण विशेषज्ञ लक्ष्मण मोरे, बालरोग विशेषज्ञ डॉ.अपूर्व काले, ईएनटी विशेषज्ञ डॉ.वैभव लहाने, डॉ.रेशमा सुशान, मनोविकार विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट, परिचारिका व अस्पताल के कर्मचारी सेवा देंगे. उन्होंने बताया कि, मुझे हमेशा यह लगता था कि, कॉक्लियार इम्प्लांट शल्यक्रिया अमरावती में नि:शुल्क होनी चाहिए. इस संकल्पना को साकार किया है. इन विशेषज्ञों की मदद से तीन साल तक के बच्चों को स्पीच थेरेपी के माध्यम से बोलने की कला सिखाई जाएगी, ताकि उनकी भाषा और वाचन विकसित हो सके, यह प्रयास रहेगा.

Related Articles

Back to top button