अमरावती

अपनी जिंदगी अनुशासन में बिताना ही ‘तप’ है

गुरुमां चैतन्य मिरा ने तप का असली मतलब बताया

* देवरनकर नगर में शिव महापुराण कथा
अमरावती/ दि.9 – जब व्यक्ति के लिए सुख, दुख, सम्मान, अपमान जैसी सभी परिस्थितियां एक बराबर हो जाती हैं, उस अवस्था को तप कहा जाता है. जो जैसा है, उसेवैसे स्वीकार करना ही तप की परिभाषा है. तप का अर्थ होता है कि आप अपनी जिंदगी अनुशासन में बिताएं. ‘तप’ की यह परिभाषा गुरुमां चैतन्य मीरा ने बताई है. श्री संत गजानन महाराज बहुद्देशीय संस्था द्वारा गजानन महाराज प्रगट दिन महोत्सव के उपलक्ष्य में गुरु मां चैतन्य मीरा के मुखारविंद से शिवमहापुराण कथा का आयोजन 6 फरवरी से किया गया है. बुधवार को सती विवाह का प्रसंग सुनाते हुए, ‘तप’ का महत्व समझाया और अनेक उदाहरण भी दिए.
गुरु मां ने बताया कि, अधिकांश लोग अनुशासन रहित जीवन जी रहे हैं. लगभग हर कोई आज तप से दूर है. किसी को कु छ नहीं पड़ी कि, किस समय क्या करना है, क्या नहीं करना है. लोग बेवक्त सो रहे हैं, बे वक्त उठ रहे हैं. हर जगह अपनी मन-मर्जी चलाई जा रही है. आप शिवपुराण कथा में आइए, यहां तप करें और प्रसन्नता से जीवन व्यतीत करना सीखें. उन्होंने उपस्थित श्रोताओं से कहा कि, आप अपना जीवन मौलिकता से नहीं जीते. कोई व्यक्ति स्वयं के आधार पर जीवन जीकर दिखाने में समर्थ नहीं है. क्योंकि उसके लिए अपने आप को तराशने की जरुरत होती है. लेकिन लोगों का ध्यान हमेशा दूसरों की तरफ होता है, वे कभी अपने बारे में नहीं सोचते. आप मनन करिए कि, मेरे अंदर कौन से अच्छे गुण हैं, हमें उन्हें बाहर प्रकट करना होगा. जीवन में मौलिकता और इमानदारी से जीएं. खुद की सुंदरता को निखार कर जीने को ही तप करना कहते हैं और दुनिया का पहला पुरुष (आदिपुरुष) भी तप कर के जीया है. गुरु मां ने भगवान विष्णु को नारायण क्यों कहा जाता है, इसकी रोचक कहानी बताई. उन्होंने बताया कि, जब विष्णुजी ने तप किया तो जल धाराएं निकलीं. धरती पर जल का निर्माण सबसे पहले हुआ है. जिसके बाद उन्हें इतना सुकून मिला कि, उसी जल पर शयन कर लिया. इसलिए उनका नाम नारायण हो गया. नार मतलब पानी और अयन मतलब वहां रहने वाला. वैसे ही पानी पर रहने वाले का नाम पड़ा नारायण.
बुधवार को शिवपुराण के तीसरे दिन श्री गजानन महाराज संस्थान के धर्मेश मोहलकर, सूरज धानोरकर, श्याम ढोकने, मनीष ढोमने, संस्कार कोल्हटकर, डॉ. रामकिशोर कलंत्री, चंद्रप्रकाश बजाज, सुरेश करवा, योगेश करवा, राधेश्याम मालानी, अनिल अग्रवल, डॉ. राधेश्याम मालानी, अशोकभाऊ उपाध्याय, गोपालदास बजाज, माहेश्वरी वरिष्ठ नागरिक संगठन की ओर से डॉ. सूर्यप्रकाश मालानी, संतमणि सतगुरू परिवार की ओर से शंकर भुतड़ा, संजय जाजू, माहेश्वरी पूर्व प्रभाग की ओर से ओमप्रकाश लढ्ढा व कार्यकारिणी, राजस्थानी हितकारक मंडल, माहेश्वरी आधार सेवा समिति की ओर से बंकटलाल राठी, जयबाबारी मित्र परिवार की संपूर्ण कार्यकारिणी, महेश सेवा समिति के प्रवीण चांडक, बाबाभक्त परिवार की जम्मा गायक संगीता खंडेलवाल आदि ने शाल, श्रीफल व पुष्पगुच्छ देकर गुरू मां का स्वागत किया. मंच संचालन शिल्पी मंत्री, पूजा जोशी और प्रिया सादाणी ने किया. कथा के मुख्य यजमान कमलकिशोर मालाणी, स्वागताध्यक्ष लप्पीसेठ जाजोदिया, बुधवार के प्रसादी यजमान गोपाल अटल रहे. कथा में पवन जाजोदिया, अमित मंत्री, संजय अग्रवाल, नीलेश अग्रवाल, वीरेंद्र शर्मा, संजय भुतड़ा, सुनील मंत्री, रोशन सादाणी, देवेंद्र अग्रवाल, अशोक जाजू, नीलेश डागा, अमित शर्मा, अजय जोशी, चंदा भूतड़ा, डॉ. नंदकिशोर भुतड़ा, बंकटलाल राठी, लक्ष्मी पांडे, प्रा. बाबा राऊत, सुमित कलंत्री, मनीष करवा समेत सैकड़ों शिवभक्त उपस्थित रहे.

 

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