अमरावती/दि.१५-खेती के लिए अच्छी मिट्टी और पानी जरूरी है, ताकि जमीन आसानी से और ज्यादा उत्पादन कर सके. मृदा (मिट्टी )परीक्षण करने से हमें फसल के लिए आवश्यक तत्वों की आवश्यकता का पता चलता है, यह बात एमएससी कृषि अभ्यर्थी छात्रा मुग्धा श्याम पिंजरकर ने कही. उन्होंने कृषि में मिट्टी परीक्षण क्यों जरूरी है, इस बारे में जानकारी देने हुए कहा कि, मिट्टी परीक्षण से यह ज्ञात होता है, कि मिट्टी में किन तत्वों की कमी या अधिकता है, ताकि उसमें सुधार किया जा सके. जिससे जमीन में कौनसे पोषक घटक की कमी है, यह जानने में मदद मिलती है. और इसके तहत खाद की मात्रा तय करने किसानों को सहायता होती है. साथही उत्पादन खर्च में बचत भी होती है. इसके अलावा खाद का अतिरिक्त प्रयोग भी टाला जा सकता है. तथा उत्पादन भी बढ़ता है. सालोंसाल से अतिरिक्त प्रमाण में खाद, कीटनाशक का उपयोग करने से मिट्टी का शोषण हो रहा है. मिट्टी परीक्षण करके किसान मिट्टी को सही पोषण देकर उसे और भी कसदार बना सकते है. इसके लिए सरकार ने प्रधानमंत्री मृदा आरोग्य कार्ड योजना भी शुरु की है. मिट्टी परीक्षण से भूमि में उपलब्ध पोषण का प्रमाण जाना सकता है. इसके अनुसार खाद आपूर्ति करना आसान होता है. भूमि की उपज क्षमता सुधारने मिट्टी परीक्षण का फायदा होता है. तथा फसलों के विकास के लिए आवश्यक पोषण का संतुलन बनाए रख सकते है. कृषि में मृदा परीक्षण या भूमि की जांच एक मृदा के किसी नमूने की रासायनिक जांच है जिससे भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा के बारे में जानकारी मिलती है. इस परीक्षण का उद्देश्य भूमि की उर्वरकता मापना तथा यह पता करना है कि उस भूमि में कौन से तत्वों की कमी है. देश में लगभग ७० प्रतिशत आबादी जीवन निर्वहन के लिए खेती पर निर्भर है. फसल उत्पादन में मिट्टी अत्यन्त आवश्यक घटक है, जो पौधों को पोषण प्रदान करती है. इसलिये आवश्यक है, कि मिट्टी का स्वास्थ्य अच्छा हो और पौधों को आवश्यक तत्व उपलब्ध हो व जीवाणु वृद्धि के लिए भी उपयुक्त हो. विभिन्न फसलों की आवश्यकतानुसार पोषक तत्व की उपलब्धता न होने से उत्पादन पर विपरीत प्रभाव देखा गया है. मिट्टी में किसी विशेष पोषक तत्व की अधिकता या कमी हो सकती है, जो फसल की वृद्धि व पैदावार पर प्रभाव डालती है. इसलिये मिट्टी का परीक्षण सबसे महत्वपूर्ण है. इसलिए वर्तमान परिस्थितियों में फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए आवश्यक है, कि खेत की मिट्टी का परीक्षण कराया जाये और परिणामों के आधार पर उर्वरकों की अनुशंसित मात्रा का संतुलित रूप में प्रयोग सुनिश्चित किया जाए. परिणामस्वरूप खेती की लागत कम करने के साथ-साथ उपज में भी बढ़ोत्तरी प्राप्त की जा सकती है.
* मिट्टी परीक्षण के लिए स्थल का चुनाव कैसे करें
फसल कटाई के बाद या बुवाई से पहले और रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के ३ महीने पहले या बाद में मिट्टी का नमूना लेना चाहिए. खेत के अलग-अलग हिस्सों की जुताई मिट्टी के रंग, जमीन के पथरीलेपन, ऊंचाई और समतल, जुताई या जुताई की स्थिति को ध्यान में रखते हुए करनी चाहिए. प्रत्येक भाग को एक विशिष्ट संख्या दी जानी चाहिए. पशुओं के बैठने की, पेड़ों के नीचे, कचरे डालने की जगह, पानी के ठहराव की अथवा बांध के पास की जगह का नमूना लेने के लिए चयन नहीं किया जाना चाहिए.
सैम्पल जांच के लिए देने योग्य जानकारी
* किसान का नाम
* गांव
* खेत का सर्वे अथवा गट क्रमांक
* सैम्पल लेने की तारिख
* भूमि का स्तर
* पिछले सत्र में ली फसल व अगले सत्र में ली जाने वाली फसल पद्धति
मिट्टी का सैम्पल लेते समय ली जाने वाली सावधानी
फसल की कटाई होने के बाद मशागत पूर्व मिटटी का सैम्पल लें. खेत के चारों ओर से बांध से १ मीटर की दूरी छोडकर सैम्पल लें. खेत में फसल होंगी तो २ लाइन की जगह से मिट्टी का सैम्पल लें. जमीन को खाद आपूर्ति करने पर ढाई से ३ महिने के बाद मिट्टी का सैम्पल लिया जाए. लैब में सैम्पल भेजने के लिए खाद की खाली थैलियों का उपयोग न करें.
* मिट्टी परीक्षण के फायदे
भूमि में उपलब्ध पोषण घटक के प्रमाण की जानकारी मिट्टी परीक्षण से मिलती है. इसके नुसार खाद की आपूर्ति करना आसान होता है. तथा खाद व्यवस्थापन कर फसल उत्पादन बढता है. किसानों ने मिट्टी परीक्षण कर तथा आवश्यक और योग्य पद्धति से जमीन की उपजता बढाने का आह्वान मुग्धा पिंजरकर ने किया है.
* मिट्टी के सैम्पल लेने की पद्धति
-मिट्टी परीक्षण के लिए प्रति हेक्टेयर १०-१२ स्थान पर गड्ढा खोदकर सैम्पल लें.
-सभी गड्ढों में मिट्टी इकट्ठा करने के बाद कचरा, पत्थर अलग करें.
– इकट्ठा की गई मिट्टी के ढेर कर उसके समान ४ भाग करें. कृति मिट्टी आधे से १ किलो रहने तक करें.