सुनकर अच्छा लगा, करोंगे तो कितना अच्छा लगेगा
राजदीदी का पोटे शिक्षा संस्थान में प्रेरक प्रतिपादन
* विद्यार्थियों के साथ हजारों को किया मुग्ध
* सकारात्मक विचार तथा कार्यो का प्रण
अमरावती/दि.17- विश्वविख्यात प्रेरक मार्गदर्शक राजेश्वरी मोदी उर्फ राजदीदी ने कहा कि प्रार्थना का मनुष्य के जीवन में बडा महत्व हैं. इतना है महत्व है जितना मछली के जीवन में पानी का. उसकी शक्ति अगाध है. इस शक्ति से शत्रु को मित्र बनाया जा सकता है. इसलिए अपने जीवन को संवारने, सुख समृद्धि से परिपूर्ण करने सकारात्मक विचारों और उन पर कृति का संकल्प करें. राजदीदी आज दोपहर पोटे शिक्षा संस्थान के भव्य स्वामी विवेकानंद सभागार में मार्गदर्शन कर रही थी. उनकी सकारात्मक, सातों सुखों से परिपूर्ण जीवन जीने की ‘कक्षा’ में न केवल पोटे संस्थान के छोटे-बडे छात्र-छात्राएं अपितु जिले के हजारों गणमान्य विशेषकर महिला वर्ग चाव से सम्मिलित हुआ. दीदी ने लोगों को मोहित, सम्मोहित कर दिया. जब उनका करीब सवा दो घंटे का उद्बोधन पूर्ण हुआ तो विवेकानंद सभागार से बाहर निकले लोगों की आंखों के पोर सजल हो गए थे. उनके आवाहन पर सभी ने अपने दोनों हाथ उठाकर सकारात्मक कार्य व कृति का प्रण व्यक्त किया.
उल्लेखनीय है कि पोटे शिक्षा संस्थान में टेक्लाँस 2023 अंतर्गत दीदी का विशेष उद्बोधन आयोजित किया गया. मंच पर आधारस्तंभ रामचंद्र पोटे, अध्यक्ष प्रवीण पोटे, अनुराधा पोटे, उपाध्यक्ष श्रेयस पोटे पाटिल, श्रुतिताई पोटे पाटिल, अभियांत्रिकी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. डी.टी. इंगोले, उपप्राचार्य डॉ. मोहम्मद झुहेर, फार्मसी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. डी.बी. रुईकर, आर्किटेक्चर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रा. एस.डब्ल्यू. देशमुख आदि उपस्थित थे. अंबानगरी में दूसरी बार पधारी विश्वविख्यात मार्गदर्शिका तथा नारायण रेकी संस्थान की संस्थापिका राजदीदी ने अनेक प्रसंगों, कथाओं तथा दैनंदिन जीवन में घटी घटनाओं के माध्यम से अपनी बात को समझाया. उनका अंदाज सभी को बेहद प्रभावित कर गया. लोग दत्तचित्त होकर उन्हें सुन रहे थे. बढिया प्रतिसाद दे रहे थे.
* 21 राम नाम माला से आरंभ
राजदीदी के नाम से देश-विदेश में जानी जाती तथा लाखों अनुयायी बना चुकी मार्गदर्शिका ने सर्वप्रथम राम की 21 बार नाम की माला से प्रारंभ किया. उनके साथ सभी ने उत्साह से माला की. फिर अपने अंदाज में उन्होंने जीवन में शत्रु को मित्र बनाने की और सकारात्मक व्यवहार तथा सोच से सुख, शांति, समृद्धि, प्रगति का आलेख बतलाया. राजदीदी ने विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए.
* अनेक वेद का सार है नारायणशास्त्र
राजदीदी ने कहा कि वेद, शास्त्र, संतो की वाणी का सार बनाकर रचित ग्रंथ का नाम नारायणशास्त्र है. जिससे नारायण को हर समय हर क्षण हमारे साथ रखने से सर्वोत्तम दिन, सफलता, गुड न्यूज मिलती है. जीवन चमत्कारों से लबालब हो जाता है. उन्होेंंने सकारात्मक और नकारात्मक दो प्रकार की ऊर्जा प्रकृति में रहने का उल्लेख कर सकारात्मक वेवज से ेसुख, शांति, समृद्धि की बयार सदैव बहने की बात कही. नकारात्मक ऊर्जा से होने वाले नुकसान से भी आगाह किया.
* कलाम और कर्ण के किस्से
अपनी बात को बकायदा सफेद बोर्ड पर लाल और नीले, हरे रंगों के पेन से स्केच बनाकर राजदीदी ने समझाया. उसी प्रकार कहा कि 100 प्रतिशत प्रयत्न के बाद भी सफलता नहीं मिलने पर चिंतित अथवा निराश न हो. प्रकृति ने आपके लिए कुछ और बडा, बेहतर देने का सोच रखा होगा. इस बात को उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति तथा महान वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल कलाम के जीवन का उदाहरण देकर समझाया. ऐसे ही सकारात्मक सोच रखने से ठीक समय पर मेधाक्लिक होने की बात भी महाभारत में कर्ण के चंदन के सिंहासन दे देने के प्रसंग को उद्धृत कर बतलाया.
* प्रार्थना सामर्थ्यशाली
दीदी ने कहा कि प्रार्थना में असीम शक्ति होती है. उसी प्रकार आपके व्यवहार से भी आपके आसपास की वेवज तरंगे बनती है. मीरा का प्रसंग बताकर उन्होंने कहा कि आपके शब्दों में ताकत है. सोच सकारात्मक है तो विष का प्याला भी अमृत हो जाता है. सत्कर्मो का संकल्प ले लिया तो नारायण भी सहयोग करते है. कर्म व्दारा सब कुछ पाया जा सकता है. भाग्य का निर्माण किया जा सकता है.
* सुनकर अच्छा लगा, करोंगे तो कितना अच्छा लगेगा
दीदी ने अपनी बात को विराम देते हुए हालफिलहाल के अनेक अनुभव उपस्थितों के साथ साझा किए. उन्होंने अनेक अच्छी बातें छोटी-छोटी कथाओं के जरिए बतलाई जिससे सभागार मुग्ध नजर आया. अनेक की आंखों से आंसू झर आए. जिसे तुरंत रेखांकित कर राजदीदी ने कहा कि सुनकर अच्छा लगा, करोंगे तो कितना अच्छा लगेगा. आज यहां से कुछ प्रण कर जाए. सकारात्मक तरंगे आपके जीवन में प्यार, आदर, सम्मान, प्रशंसा, उन्नती, प्रगति, सफलता, आनंद से भर देगी. सरलता से कार्य होते चले जाते है. भाग्य सहज आकर्षित होते हैं. समारोह में सर्वश्री डॉ. रामगोपाल तापडिया, अनिल नरेडी, प्रशांत पनपालिया, किशोर पनपालिया, देवेंद्र बाबू अग्रवाल, नवरतन सोमानी, सतीश भट्टड, सुभाष राठी, प्रकाश केला, मधुसूदन करवा, महेश मोहता, उमेश पनपालिया, राजेश पड्डा, सोनीजी बजरंग टे्रडिंग, राजेश पड्डा, लीलाधर मोर, कैलाश गिरोडकर सहित बडी संख्या में विविध क्षेत्र के गणमान्य और राजदीदी की अनुयायी महिलाओं की बडी संख्या में उत्साहपूर्ण उपस्थिति रही.