यह तो मृत्यु का मार्ग
अमरावती/दि.30 – दस्तुरनगर से एमआइडीसी मार्ग का नूतनीकरण किया गया है. यह रास्ता वाहनधारकों के लिए दिन के समय सुविधाजनक साबित हो रहा है फिर भी दिन ढलते ही इस रास्ते से होने वाला बेधड़क वाहन मात्र धोकादायक साबित हो रहा है. महानगरपालिका ने इस मार्ग स्ट्रीट लाईट की सुविधा न किए जाने से घने अंधेरे में तेज गति से आने वाले वाहन और उनके हेडलाईट्स के तेज प्रकाश के कारण रास्ते के दूसरी ओर से जाने वाले चालकों की आंखें चकाचौंध होती है. सिलिे वाहन पैदल चलने वाले या साइकिल सवारों को रौंद सकते हैं या नादुरुस्ती के कारण बंद पड़े एखाद वाहन पर टकरा सकते हैं. ऐसी घटनाएं बढ़ने लगी है. इसलिे यह अंधेरे का रास्ता मृत्यु का मार्ग बना है.
दस्तुरनगर से एमआइडीसी रास्ते का नूतनीकरण मात्र पथदियों का क्या?
फुटपाथ बना पार्किंग
इन रास्तों पर जगह-जगह पर होटल, बार व छोटे-बड़े रेस्टोरेंट हैं. रात के समय यहां भीड़ रहती है. लेकिन इन प्रतिष्ठानों की स्वतंत्र पार्किंग व्यवस्था न होने से वाहन आधे से अधिक फुटपाथ का इस्तेमाल कर खड़े किए जाते हैं. इसलिए यातायात में बाधा निर्माण होती है. परिणामस्वरुप दुर्घटना की संभावना निर्माण होने का चित्र है.
सप्ताह में दो मृत
गत सप्ताह में पुराना बायपास मार्ग पर साइकिल सवार सहित दुपहिया सवार नाहक बलि गया. एक दुर्घटना में यशोदानगर पेट्रोल पंप के पास तो दूसरी दुर्घटना लॉर्ड्स के सामने हुई.
गतिरोधक आवश्यक
इस रास्ते से वाहनों की संख्या व कही पर भी गतिरोधक न होने से तेजी भी बढ़ी है. आजू बाजू के निवासियों को जान मुट्ठी में लेकर रास्ता पार करना पड़ता है. इस रास्ते पर गतिरोधक बिठाना आवश्यक है.
- रास्ते से सटी मूलभूत सुविधाओं की जिम्मेदारी महानगरपालिका की है. पुराने बायपास का यह रास्ता निर्माणकार्य विभाग ने निर्माण किया. पथदियों के लिए डीपीसी में निधि की मांग की गई है.
– सुनील थोटांगे, कार्यकारी अभियंता बी एंड सी