किसान समूह बनाकर ले सकते हैं लाभ
नागपुर/दि.10- दूध की डिमांड और संकलन सदैव संशोधन का मामला रहा है. मिलावटी दूध पीकर हम बीमारियों को बुलाते हैं. किंतु आयवीएफ ईटीटी भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से न केवल गुणवत्तापूर्ण गौवंश संभव है. बल्कि नाममात्र खर्च में रोज 18 लीटर तक दूध देनेवाली गाय उपलब्ध हो सकती है. नागपुर में ऐसी प्रयोगशाला बनाई गई है, जिसमें भ्रूण जैव तकनीक का उपयोग हो रहा है. प्रयोग सफल रहा है. नागपुर के अलावा गडचिरोली और वर्धा में भी प्रयोग सफल रहा है. जिससे दूध उत्पादन बढाने प्रयोगशाला का भी विस्तार करना पड सकता है.
महाराष्ट्र पशु व मत्सय विज्ञान विद्यापीठ के संशोधन विभाग ने करीब पौने दो करोड रुपए खर्च कर आधुनिक विद्यापीठ बना दी है. यहां भ्रूण तैयार करने से लेकर प्रत्यारोपण तक कार्य विद्यापीठ के संशोधन संचालक डॉ. नितिन कुरकुरे, सहयोगी डीन डॉ. ए.पी. सोमकुवर और विभाग प्रमुख डॉ. डी.एस. सोमवंशी के मार्गदर्शन में हो रहा है.
* साहिवाल गायों पर प्रयोग सफल
पशु वैद्यकीय महाविद्यालय नागपुर के सहायक प्राध्यापक डॉ. मनोज पाटिल ने कहा कि, आयवीएफ-ईटीटी से नस्लिय गौवंश संभव है. विदर्भ में साहिवाल प्रजाति की गायों पर प्रयोग सफल हुआ है. प्रक्रिया के लिए 25 हजार रुपए खर्च अपेक्षित है. किंतु किसान समूह बनाकर एक साथ 20-25 गायों के साथ प्रयोग करें तो केवल डेढ से दो हजार रुपए खर्च आएगा.
* कैसे होता प्रत्यारोपण
विद्यापीठ के पशु उत्पादन क्षेत्र में साहिवाल, गौलाउ, देवनी, डांगी, गिर प्रजाति की 22 दाता गाय उपलब्ध है. इन गायों को संप्रेरक अर्थात हार्मोन्सय के इन्जेक्शन देकर अधिक स्त्रीबीज बनाए जाते है. अल्ट्रासाउंड मशीन के माध्यम से बीज बाहर निकाले जाते है. उन्हें इक्यूबेटर में परिपक्व किया जाता है. उपरांत गुणवत्तापूर्ण सांड के वीर्य से उनका फलन होता है. 7 दिनों तक यह प्रक्रिया चलती है. प्रयोगशाला में तैयार भ्रूण दूसरी गाय के गर्भ में प्रत्यारोपित होता है. उपरांत 45 दिनों में गाय की गर्भधारणा जांची जाती है.