अमरावतीमहाराष्ट्र

जगदगुरु राजेश्वरमाऊली पब्लिक फाउंडेशन का वृक्षप्रेमियों को आह्वान

पी-4 अभियान के माध्यम से पर्यावरण संवर्धन का कार्य जारी

अमरावती/दि.3-जगदगुरु राजेश्वरमाउली पब्लिक फाउंडेशन पिछले दो वर्षों से पी 4 (प्यासे पेड को पानी पिलाओ) अभियान के माध्यम से वृक्ष संरक्षण और पर्यावरण संवर्धन का कार्य निरंतर कर रहा है. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य गर्मियों के दौरान सूखते पेड़ों को पानी देकर उन्हें बचाना है. पिछले वर्ष से इस कार्य में सेवाभावी संस्थाओं और वृक्षप्रेमी नागरिकों को भी जोड़ा गया है, जिससे समाज से जबरदस्त सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है. इसी सफलता को देखते हुए इस वर्ष यह अभियान और अधिक व्यापक रूप में संचालित किया जा रहा है. जहां भी पानी का टैंकर पहुँच सकता है, वहां पर मानसून शुरू होने तक नियमित रूप से पेड़ों को पानी देने की योजना बनाई गई है. भीषण गर्मी में पानी की कमी से पेड़ सूख रहे हैं और ऐसे में उन्हें जीवन देने के लिए यह अभियान समाज का कर्तव्य बन जाता है.
इस अभियान में सहयोग कर रहे प्रमुख मान्यवरों और संस्थाओं में संजय देशमुख-सारडा कॉलेज, अंजनगांव सुर्जी, प्रा. राजाभाऊ गोरे, कमलताई गवई, डॉ. शुभांगी मुंदडा, नवनीत सावरकर-श्री सत्यसाई समिति, ग्रीन पार्क कॉलोनी, प्रवीण वासनिक, अनिल घोम-अमरावती विश्वविद्यालय, श्रीकांत गिरी-उद्यान अधीक्षक, मनपा अमरावती, हरिहर बोचरे-अध्यक्ष, वृक्षसंवर्धन फाउंडेशन, डॉ. प्रकाश मानेकर -खापर्डे बगीचा, प्रा. कुंभारे-आईटीआई, सुधा ठोंबरे – आईटीआई कॉलेज, प्राचार्य बोरकर, प्रा. मंजुषा वाट, डॉ. सागर धानोडकर, डॉ. सी.एन. कुलकर्णी-अध्यक्ष, अमरावती साइकलिंग असोसिएशन, डॉ. राजेंद्र राऊत-समर्थ हाईस्कूल, आखरे मैडम-ट्रायबल स्कूल, धारणी, प्रवीण शशिकांत गुल्हाने-अध्यक्ष, मराठी विज्ञान परिषद, निलेश पोतदार-अमरावती कंप्युटर डीलर्स असोसिएशन, जयकुमार पेड्डी, परेश पारेख, और विवेक रामराव पारधकर-ग्रीन ब्रिगेड, अकोला आदि शामिल है. इन सभी मान्यवरों ने इस अभियान में सक्रिय भागीदारी दर्ज करवाई है. फाउंडेशन की ओर से सभी वृक्षप्रेमियों से विनम्र अपील की जा रही है कि वे इस अभियान का हिस्सा बनें और अपने क्षेत्र में लगे पेड़ों की रक्षा हेतु पहल करें. यह जिम्मेदारी केवल पर्यावरण प्रेम की नहीं, बल्कि हमारी धरती माँ के प्रति ऋणमुक्त होने की भावना से जुड़ी है. पी-4 (प्यासे पेंड को पानी पिलाओ) केवल एक नारा नहीं, बल्कि पेड़ों से हमारे जीवंत संबंधों को निभाने वाली एक सक्रिय और समर्पित जनचालना है.

 

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