जगतजननी रुख्मिणी माता की पालखी का जगह-जगह पर स्वागत
वारकरियों के भोजन व मुकाम की हो रही व्यवस्था
कुर्हा/दि.16- विदर्भ की एकमात्र सम्मान की व श्री संत सदराम महाराज ने 1594 में शुरु की गई माहेर की माता रुख्मिणी की पालखी का 23 मई को श्री क्षेत्र कौंडण्यपुर से प्रस्थान हुआ. सबसे पुरानी पालखी 850 कि.मी. की दूरी पर पैदल यात्रा करते हुए 24 जून को श्री क्षेत्र पंढरपुर में प्रवेश करेगी. मार्ग में अमरावती, वाशिम, हिंगोली, परभणी, बीड, उस्मानाबाद व सोलापुर इन जिलों से पालखी की यात्रा शुुरु होती है. प्रत्येक स्थान पर माता की पालखी का उत्फूर्त स्वागत किया जा रहा है.
सभी जिलों में पुलिस बंदोबस्त तैनात किया गया है. कानेरगांव नाका, भांडेगांव, हिंगोली, परभणी जिले में जगह-जगह पर वारकरियों की परंपरानुसार भोजन व मुकाम की व्यवस्था की गई है. कानेरगांव में कमलकिशोर बाहेती परिवार ने पालखी का पूजन कर वारकरियों के मुकाम की व्यवस्था की, सिंगणापुर में राजेश शर्मा ने पालखी का पूजन व वारकरियों का पूजन किया व भोजन की व्यवस्था की. अमरावती के नारायण गुरु पालखी का आशीर्वाद कुलकर्णी ने शताब्दी निमित्त वारकियों को भेंट वस्तु व फलहार के साहित्य का वितरण किया. परभणी जिले के श्री नृसिंह मंदिर पोखरनी में निवास की विशेष व्यवस्था की गई.
संस्था के अध्यक्ष वाघ ने पालखी का पूजन किया व श्री विठ्ठल रुक्मिणी संस्थान श्री क्षेत्र कौंडण्यपुर के अध्यक्ष ना. बा. अमालकर का स्वागत किया. पालखी के वारकरियों द्वारा जगह-जगह पर स्वागत स्वीकारते हुए पंढरपुर की ओर यात्रा कर रहे हैं. पालखी के साथ श्री सदानंद साधू तथा समारोह प्रमुख सुरेश चव्हाण, पालखी प्रमुख नामदेवराव अमालकर उपस्थित हैं.