अमरावती
(जय श्री राम)डर और आशंका से परे चहुंओर बस उत्साह-उल्लास में डूबा अयोध्या
बुरी स्मृतियां भुलाकर अब रामनगरी ने चुनी सृजन की राह
अमरावती /दी ६-रामनगरी के जिस प्राचीन प्राचीन रामकोट मोहल्ले में रामजन्मभूमि है, उसी के नुक्कड़ पर स्थित रामप्रियाकुंज के महंत उद्धोशरण नितनेम के बाद घमौनी (धूप सेंकना)कर रहे है.सामने से श्रद्धालुओं का जत्था लगातार रामनगरी की ओर बढ रहा है.कही कोई चिंता अथवा तनाव की लेशमात्र भी उपस्थिति नही है.डर और आशंका से परे चहुंओर बस उत्साह-उल्लास का समावेश है.हनुमानगढ़ी,रामलला के जन्मस्थान से लेकर समूची रामनगरी पूरे निश्चिंत भाव से पुण्य सलिला सरयू की पूरी रौ में प्रवाहमान है.सहज ही अहसास होता है कि बुरी स्मृतियां भुला अयोध्या सृजन की राह चुन चुकी है.सुबह आठ बजे का वक्त है.घंटे-घड़ियाल की ध्वनियों के बीच अवधपुरी की सड़कों पर श्रद्धालुओं का रेला उत्सवी माहौल सृजित कर रहा है.बजरंगबली की प्रधानतम पीठ पर श्रद्धालुओ की जुटान से सामने की सड़क भी ठसाठस है.यहां से रामलला के जन्म स्थान की ओर बढ़ रही श्रद्धालुओ की भीड़ के संग हम भी बढ़ते है.कुछ दूरी पर आचार्य पीठ दशरथमहल बड़ास्थान के महंत विदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य से मुलाखात होती है.उन्हें याद ही नही है कि सोमवार को ढांचा ढहाये जाने की बरसी है.बोल पड़ते है कि वो इस तारीख को याद भी रखना नही चाहते. कहते है-जब गगनचुंबी राममंदिर के साथ संपूर्ण अयोध्या शिखर का स्पर्श करेंगी,बस अब उस दिन की प्रतीक्षा है.बगल ही स्थित मंगलभवन एवं रामसुंदरधाम के महंत रामभूषणदास कृपालु रामनगरी के बदले माहौल से गदगद हो कहते है, आज भव्य राम मंदिर के साथ दिव्य रामनगरी के निर्माण की प्रशस्त होती संभावनाएं परम संतोष देनेवाली है.नौ बजे चुके है.रामलला के दर्शन के लिए लंबी लाइन लगी हुई है.इसी कतार में रायपुर के युवा सुरेश भौमिक से बात होती है.पूछने पर पता चलता है कि वह ढांचा ध्वंस की बरसी उन्हें याद नही
-न शौर्य न शर्म…बस सृजन ही धर्म-:
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ही पिछले वर्ष विहिप ने शौर्य दिवस खत्म करके जो पहल की उसका असर दिख रहा है.समूची अयोध्या शौर्य या शर्म से आगे बस सृजन के धर्म को अंगीकार कर चुकी है.पीढ़ियों से विवादित मस्जिद के पक्षकार रहे मो.इकबाल मोहल्ला कोटिया स्थित अपने आवास के सामने आराम फरमाते मिलते है.पूछते की कहते है-मैंने तो फैसला आने के साथ ही विबाद खत्म कर दिया और सभी से मेरा यह कहना है कि विबाद को पीछे छोड़ अपनी और मुल्क की तरक्की में लगे, यही वक्त की मांग है.यह विकास अयोध्या में पग-पग में नजर भी आने लगा है.रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के साथ श्रीराम एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन का पुनर्निर्माण आदि से जुड़ी विकास की योजनाएं मूर्त रूप ले रही है.नव्य अयोध्या के लिए 12 सौ एकड़ जमीन में से आधी का अधिग्रहण हो चुका है.