अमरावती

जैन धर्म निर्भयता सिखाता है

आचार्य विद्या सागर महाराज का प्रतिपादन

* मुनिश्री के दर्शन के लिए उमडा जनसैलाब
अमरावती/दि.29– जैन धर्म सभी को निर्भयता सिखाता है. किसी का भय रखना नहीं और किसी को भयभीत करना नहीं. यह जैन धर्म का सार है, ऐसा प्रतिपादन संत शिरोमणी आचार्य विद्यासागर महाराज ने व्यक्त किए. वे मंगलवार को सुबह रहाटगांव परिसर स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन यहां आयोजित प्रवचन में वे उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित कर रहे थे.
इस अवसर पर मुनिश्री ने आगे कहा कि जब हम सिनेमा घरों में फिल्म देखने जाते है तो सर्वप्रथम पर्दे पर सूचना आती है शांतता रखे. किंतु शांतता मन में रहेगी तभी बाहर आयेगी. आज मानव जीवन में अशांति का वातावरण बना हुआ है. लोग डॉक्टर के पास जाते है. उन्हें भय होता है कि उनका रोग ठीक होगा या नहीं. किंतु डॉक्टर उसे विश्वास दिलाता है और उसे निर्भय बनाता है. जैन धर्म भी प्रत्येक मनुष्य को निर्भयता की शिक्षा देता है.
सच्चा निर्भय इंसान दूसरे को भयभीत नहीं करता. अनेक जैन मंदिरों के बाहर एक ओर सिंह के शावक को दूध पिलाती हुई गाय का चित्र और दूसरी ओर गाय के बच्चे को दूध पिलाती हुई शेरनी का चित्र रहता है. निर्भयता यह मानव का स्वभाव है. हर इंसान निर्भय हुआ तो सही मायनों में शांति प्रस्थापित हो सकेगी. इसीलिए सभी का निर्भय बनना आवश्यक है, ऐसा मुनिश्री विद्यासागरजी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा.
इस समय समाजसेवक तथा अनाथों के नाथ के नाम से विख्यात शंकरबाबा पापलकर, सुप्रसिध्द व्यवसायिक सतीष संगई, सामाजिक कार्यकर्ता वैशाली वालचाले, अतुल कलमकर, डॉ. उल्हास संगई, पंकज जैन, राजकुमार बडजात्या, शशि पाटनी, राहुल जैन, गुड्डू जैन, राजेन्द्र जैन, विजय पंचोरी, सुधा शहा, पुष्पा बडजात्या, अमित बडजात्या, योगेश विटालकर, भावेश जैन, राजकुमार बगत्रे, नवीन बडजात्या उपस्थित थे.

* शिरपुर में हो सकता है चातुर्मास
आचार्य श्री का विहार चातुर्मास के लिए शुरू है. चातुर्मास की अधिक संभावना शिरपुर (जैन) में होने की अधिक संभावनाएं. उल्लेखनीय आचार्य श्री का मराठी भाषिक क्षेत्र में यह पहला चातुर्मास होगा. जिसके कारण जैन समाज के भारी उत्साह नजर आ रहा है. हर कोई आचार्य श्री की एक झलक पाने और उनके दर्शन करने के लिए लालायित नजर आ रहे है. संत निरंकारी भवन में प्रवचन सुनने पधारे अमरावती, कारंजा, भातकुली तथा श्री क्षेत्र मुक्तागिरी के पदाधिकारियों ने आचार्य श्री से उनके यहां चातुर्मास करने का विनम्र निवेदन किया.

* 40 साल बाद आचार्य श्री का मंगल विहार जिले में
संत शिरोमणी आचार्य विद्यासागर महाराज, मुनिश्री प्रसाद सागर महाराज, मुनिश्री चंद्रप्रभसागर महाराज, निरामयसागर महाराज, सिध्दांतसागर महाराज का मंगलवार, 28 जून को नांदगांव पेठ से रहाटगांव तक मंगलविहार हुआ. लगभग 40 सालों के बाद आचार्य श्री विद्यासागरमहाराज का मंगल विहार अमरावती जिले में हुआ. जिससे जिले में ही नहीं संपूर्ण विदर्भ में चैतन्य निर्माण हुआ.

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