अमरावती

जमात-ए-इस्लामी हिंद का ईद मिलन रहा शानदार

आयोजन में दिया गया इस्लाम व मस्जिदों का परिचय

अमरावती/ दि. 21- गत रोज जमात-ए-इस्लामी हिंद की अमरावती शाखा द्वारा वलगांव मार्ग पर सैफी स्कूल के पास स्थित मस्जिद ए तौहिद में ईद मिलन व मस्जिद परिचय समारोह का आयोजन किया गया था, जो बेहद शानदार रहा. जमात-ए-इस्लामी हिंद के औरंगाबाद शहर अध्यक्ष वाजीद कादरी की अध्यक्षता में आयोजीत इस कार्यक्रम में मराठा सेवा संघ के राज्य प्रशिक्षक एड. गणेश हलकारे, गाडगेनगर पुलिस स्टेशन के थानेदार आसाराम चोरमले, क्राइम ब्रांच के पीआई अर्जुन ठोसरे, पंचायत समिति के विषयतज्ञ चंद्रशेखर रामटेके बतौर प्रमुख अतिथी उपस्थित थे. इ इस आयोजन में सर्वप्रथम हाफिज मो. कादिर द्वारा कुरान का पठन किया गया, जिसका मुमताज हुसैनी ने भाषांतर किया. इस अवसर पर मराठा सेवा संघ के एड. गणेश हलकारे ने विचार रखते हुए कहा कि कार्यक्रम में उपस्थित रहकर खुशी महसूस हो रही है. भारत के 85 फीसदी लोगों को ढाई हजार वर्षो तक प्रताडित किया गया. यह बातें इतिहास से पता चलती हैे. आज मैने पहली बार नमाज कैसे अदा की जाती है. इसे प्रत्यक्ष रूप से देखा. जकात के माध्यम से इस्लाम आर्थिक विषमता को दूर करता है. इस्लाम धर्म का अर्थ ही शांति है. मुट्ठीभर लोग दंगा फसाद व गुंडागर्दी करते है. जिसका खामियाजा सभी को भुगतना पडता है.शांतिप्रियता को अपनाकर ऐसे लोगों पर लगाम कसने की कोशिश होना चाहिए. वहीं पंचायत समिती विशेषज्ञ चंद्रशेखर रामटेके ने कहा कि हर किसी ने जातिभेद को भुलाकर मानवता का प्रचार करना चाहिए.
इस अवसर पर गाडगेनगर के पीआई आसाराम चोरमले ने कहा कि नफरत को मिटाने के लिए ईद मिलन जैसे कार्यक्रम निरंतर होते रहना चाहिए. जिससे लोगों में भाईचारा बना रहता है. क्राइम ब्रांच के अर्जुन ठोसरे ने कहा कि एक व्यक्ति की गलती की सजा समाज को भुगतनी पडती है. समाज के अच्छे लोगो की निष्क्रियता गुंडागर्दी को बढावा देती है.हमें सक्रिय होकर ऐसे विचारों को जड से नष्ट करने में पहल करनी चाहिए.
आयोजन के अध्यक्ष औरंगाबाद के वाजिद कादरी ने कहा कि इस्लाम का अर्थ शांति होता है. राष्ट्र्रसंत तुकडोजी महाराज के भजनों में अल्लाह का जिक्र हमेशा होता है. अल्लाह ने सृष्टि निर्माण करने के बाद करीब 1 लाख 25 हजार प्रेषित संसार में इंसानों का मार्गदर्शन करने के लिए भेजे. उन्होंने कहा कि, एक रोजा इन्सान को सच्चा इन्सान बनाता है. जब किसी मुस्लिम भाई का पडोसी भूखा है और वह पेट भर खाना खा रहा है, तब वह इन्सान नहीं कहलाया जाता. हमें इसी भाईचारे को बरकरार रखते हुए अपने पडोंसियों के दु:ख सुख में सहभागी होकर एक दूसरे के साथ मिलजुलकर रहने की कोशिश करनी चाहिए. अंत में उन्होंने वजु, नमाज व दुआ का स्पष्टीकरण दिया.
कार्यक्रम का संचालन अजमत उल्लाह खान ने किया. प्रस्तावना शहराध्यक्ष रफीक अहमद खान ने रखी. कार्यक्रम में काजी लईक अहमद, रफीक अहमद, प्रो. मो. अयूब, वाजिदउल्लाह खान, जावेदउल्लाह खान, नजर खान, खालिद जमील, मो. जमीर, अतहर हुसैन, मो. नासिर, मो. शाकीर, मो. रफीक, शब्बरभाई, हारिस हुसैन, आसिफ खान, गुलाम रब्बानी इकरामोद्दीन, रियाज देशमुख, मो. अनीस, अब्रू हुजेफा, सैयद अब्बाब हुसैन, फवाद खान, डॉ. इरशाद अहमद अरशद, मो. सलीम, डॉ. मो. आसिफ, अकील अहमद, साहेब हुसैन सुभेदार, प्रो. मेहफूज अली, मुख्याध्यापक दाऊद खान, काजी अ. मतीन, फरहलउल्लाह खान, इनामुर रहीम खान, शेख सुअद, लईकउद्दीन इनामदार, खेरूल हुदाखान, हाफिज नजोमोद्दीन, सै. साबिर अली, इरफान, सुरेश पाचंगे, दिनेश तवले, रामदास तायडे, नितीन चौधरी, आशीष कडू, दत्ता अरोकार, अशोक धर्माले, प्रमोद जोशी, प्रा. शंकर वाकोडे, राजू खिरोडे, चंद्रशेखर रामटेके, प्रदीप पाटिल, राजेन्द्र अढाऊ, शुभम शेरेकर, वैभव देशमुख, आकाश देशमुख, निलेश कंचनपुरे, दीपक तायडे, हरेन्द्र वाघमारे, सुरेश काचटे, विनोद गडलिंगे, अमोल कडूकार, विनायक कापसे, नितिन भटकर, रामनारायण शुक्ला, प्रफुल्ल कछबे, बालासाहब वानखडे, एनसी साकडे, किशोर सावरकर, रोशन पाटिल समेत बडी संख्या में नागरिक उपस्थित थे.

 

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