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* प्रहार जनशक्ति पार्टी का आयोजन
परतवाडा /दि. 18– समिपस्थ विदर्भ की ऐतिहासिक प्रचीन लंबे समय तक चलनेवाली बहिरम यात्रा को पारंपरिक यात्रा का दर्जा पूर्व विधायक बच्चू कडू ने दिलवाया था और उन्होंने ही शंकरपट की शुरुआत यहां की थी. इसी परंपरा को आगे बढाते हुए पूर्व विधायक बच्चू कडू के नेतृत्व में 21 से 23 जनवरी तक प्रहार जनशक्ति पार्टी द्वारा जंगी शंकरपट का आयोजन किया जा रहा है. शंकरपट में पुरस्कार के तौर पर मोटरसाइकिल सहित लाखों रुपए के नकद पुरस्कार दिए जाएंगे. विगत 20 वर्षों से पूर्व विधायक बच्चू कडू की संकल्पना से शंकरपट का आयोजन किया जा रहा है. जिसका इंतजार ग्रामीण परिसर के लोगों को रहता है. हजारों की संख्या में इस शंकरपट को देखने लोग आते है.
मंगलवार 21 जनवरी को शंकरपट का विधिवत उद्घाटन मेलघाट के पूर्व विधायक राजकुमार पटेल, अचलपुर के उपविभागीय अधिकारी बलवंत अरखराव, सुप्रसिद्ध शल्य चिकित्सक डॉ. प्रभु जवंजाल, तहसीलदार रामदास शेलके, थानेदार महेंद्र गवई, गुटविकास अधिकारी पंस नारायण आमझरे की उपस्थिति में संपन्न होगा. शंकरपट में परिसर के अलावा दूर-दूर से किसान अपनी बैलजोडियों के साथ सहभाग लेंगे. दो गुटो में विभाजित इस शंकरपट में विजेता स्पर्धक को मोटरसाइकिल व नकद लाखों रुपए के पुरस्कार दिए जाएंगे. 23 जनवरी को अमरावती मध्यवर्ती सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष अभिजीत ढेपे, संचालक नरेशचंद्र ठाकरे, जयप्रकाश पटेल, सुनील वर्हाडे, अजय मेहकरे, आनंद काले, चित्रा डहाणे की उपस्थिति में पुरस्कार वितरण किया जाएगा. इस भव्यदिव्य शंकरपट में सहभागी होने का आवाहन प्रहार जनशक्ति के संस्थापक पूर्व विधायक बच्चू कडू ने किया है.
* 20 वर्ष पूर्व शुरु की थी बच्चू कडू ने शंकरपट की परंपरा
श्रीक्षेत्र बहिरम यात्रा महोत्सव को प्राचीन और ऐतिहासिक विरासत प्राप्त है. किंतु कुछ वर्ष पूर्व यात्रा के मायने ही कुछ और थे. पहले यहां तमाशा परंपरा चली. जिससे कई घर उजड गए. पूर्व विधायक बच्चू कडू ने 20 वर्ष पूर्व बहिरम यात्रा को फिर से पारंपरिक दर्जा दिलवाया और शंकरपट की शुरुआत की. जिस समय बच्चू कडू ने तमाशे बंद करवाए उस समय व्यापारियों को अपने व्यवसाय की चिंता होने लगी. ऐसे में बच्चू कडू ने उन्हें आश्वासन दिया कि, बहिरम यात्रा को पारंपरिक दर्जा प्राप्त होने के बाद व्यवसाय दुगुना होगा और वैसा ही हुआ. बहिरम यात्रा में शंकरपट के साथ विविध उपक्रमों का आयोजन यहां प्रहार द्वारा किया जाता है. जिससे बहिरम यात्रा में अब लाखों की तादाद में लोग यहां आते है. तमाशा बंद होने के बाद महिलाओं ने राहत की सांस ली और बच्चू कडू का आभार माना. हर शनिवार-रविवार को महिलाएं भी अपने परिवार के साथ आती है. शनिवार-रविवार को रेकॉर्डतोड भीड भाविकों की रहने से बैतुल रोड को बोदवड की ओर मोड दिया जाता है. इस पौष रविवार को रेकॉर्डतोड गर्दी यहां देखी.
* बहिरम की पहचान किसान यात्रा के रुप में
एक समय बहिरम यात्रा किसानों की यात्रा के नाम से जानी जाती थी. यहां किसानों को अपनी कृषि से संबंधित सामग्री उपलब्ध रहती थी. किंतु धीरे-धीरे तमाशा संस्कृति ने बहिरम को जकड लिया और सैकडों परिवार बर्बाद हुए. पूर्व विधायक बच्चू कडू ने 20 वर्ष पूर्व इस यात्रा को फिर से पारंपरिक यात्रा का दर्जा दिलवाया. अब यहां किसानों, गृहणियों से संबंधित सभी वस्तुएं उपलब्ध है और व्यापार भी दोगुना हो बढ चुका है.
* शहीद किसान दुतोंडे की स्मृति में करवाया सभागृह का निर्माण
कुछ साल पहले किसान नेता स्व. दादासाहेब हावरे के नेतृत्व में बहिरम यात्रा में एकाधिकार के खिलाफ कपास आंदोलन किया गया था. जिसमें गोलीबारी में किसान विठ्ठलराव दुतोंडे शहीद हुए थे. पूर्व विधायक बच्चू कडू ने शहीद विठ्ठलराव दुतोंडे का सम्मान करते हुए बहिरम यात्रा में उनकी स्मृति में सभागृह का निर्माण करवाया.
* कर्मयोगी संत गाडगेबाबा ने बंद करवाई बली प्रथा
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सीमा पर सतपुडा की तलहटी में बसे प्राचीन बहिरम यात्रा में पहले भाविक भक्त अपनी मन्नत पूर्ण होने पर बकरे की बली देते थे और यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही थी. संत गाडगेबाबा को जब यह बात पता चली तब उन्होंने वहां पहुंचकर अपने प्रभावी प्रबोधन के माध्यम से बली प्रथा बंद करवाई. उसी तर्ज पर पूर्व विधायक बच्चू कडू ने भी यात्रा में तमाशा की प्रथा बंद करवाने के लिए कानूनी लडाई लढकर अथक संघर्ष किया तब जाकर यहां तमाशा प्रथा बंद हुई और अब यह यात्रा किसान, आम नागरिकों की यात्रा के नाम से पहचानी जा रही है.