अपने भ्रष्टाचार से जवाहर दुबे ने खडा कर दिया था काली कमाई का साम्राज्य
जिप के यांत्रिक विभाग को बना डाला था भ्रष्टाचार का अड्डा
* कई सहकर्मियों को बना रखा था काली कमाई में हिस्सेदार
* पत्नी व बच्चों सहित नौकरों के नाम पर खरीदी थी करोडों की प्रॉपर्टी
* सन 2001 उजागर हुआ था भ्रष्टाचार का मामला, 2002 में जवाहर दुबे को किया गया था निलंबित
* वर्ष 1978 से जिप के यांत्रिक व सिंचाई विभाग में पदस्थ थे जवाहर दुबे
* करीब 23 वर्ष जिला परिषद को जमकर लूटा सहायक अभियंता जवाहर दुबे ने
* 19 साल बाद अदालत ने मामले में सुनाया फैसला, जवाहर दुबे को पत्नी व दो बेटों सहित जेल
* 3 अन्य आरोपी भी दोषी करार, एक माह के भीतर सरकारी कोष में 50 लाख जमा कराने का भी आदेश
अमरावती/दि.8 – वर्ष 1973 से कनिष्ठ अभियंता के तौर पर सरकारी सेवा में आये और वर्ष 1978 से अमरावती जिला परिषद के यांत्रिक पाठबंधारे विभाग में कनिष्ठ अभियंता के तौर पर कार्य शुरु करते हुए वर्ष 1986 में सहायक अभियंता बनने वाले जवाहर दुबे ने लगभग 23 वर्षों तक जिला परिषद के भ्रष्टाचार और काली कमाई का अड्डा ही बना रखा था तथा अपने कुछ सहकर्मियों के साथ मिलीभगत करते हुए अपनी पत्नी और दोनों बच्चों सहित कई निकट संबंधियों व नौकरों के नाम पर करोडों रुपयों की बेनामी संपत्ति जमा कर रखी थी. वर्ष 2001-02 में इस मामले के सामने आते ही जिले सहित समूचे राज्य में हडकंप मच गया था और इस मामले की गूंज मुंबई स्थित मंत्रालय में भी सुनाई दी थी. जहां से जारी हुए दिशा-निर्देशों के बाद भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग ने इस मामले की जांच शुरु करते हुए वर्ष 2002 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट के सामने आते ही जिला परिषद की सेवा से सहायक अभियंता जवाहर दुबे को निलंबित कर दिया गया था और बेनामी संपत्ति के मामले को लेकर जवाहर दुबे व अन्य आरोपियों के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया गया था. जिसमें विगत शनिवार 6 जुलाई को करीब 19 साल बाद अदालत की ओर से फैसला सुनाते हुए जवाहर दुबे सहित उनकी पत्नी व दोनों बेटों तथा तीन अन्य आरोपियों को दोषी करार देते हुए सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई. साथ ही जवाहर दुबे के लिए यह आदेश भी जारी किया गया कि, वे आगामी एक माह के भीतर सरकारी खजाने में 50 लाख रुपए की रकम जमा कराये. विगत शनिवार को इस मामले में 19 वर्ष बाद आये अदालती फैसले के चलते एक बार फिर यह मामला खासोआम के बीच चर्चा का विषय बन गया है. साथ ही इस घोटाले से जुडी तमाम यादें भी ताजा हो गई है.
* क्या था 3.20 करोड रुपए का घोटाला मामला
इस संदर्भ में अमरावती एसीबी द्वारा अदालत में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक अमरावती जिला परिषद में करीब 23 साल तक कार्यरत रहने वाले जवाहर दुबे ने जिला परिषद को लूटने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी. जिसके तहत जवाहर दुबे ने अपने दोनों बेटों व निजी नौकरों के नाम पर अलग-अलग व्यवसायिक फर्म दर्शाते हुए जिला परिषद के लिए कागजों पर ही कम्प्यूटर सहित विभिन्न साहित्य की खरीदी दर्शायी. जबकि उन साहित्य की जिला परिषद को कभी आपूर्ति ही नहीं की गई और बिना आपूर्ति के ही उन तमाम साहित्य की बिल जमा कराते हुए बिलों का भुगतान भी किया गया. इसके अलावा चालू स्थिति में रहने वाले वाहनों को दुरुस्ती हेतु गैरेज में दिखाने और गैरेज में दुरुस्ती हेतु खडे रहने वाले वाहनों की टंकी में क्षमता से अधिक डीजल भरने के बील प्रस्तुत करने जैसे कारनामें भी जवाहर दुबे द्वारा किये गये.
आरोप पत्र के मुताबिक जवाहर दुबे ने अपनी नौकरी की कालावधि में अपनी पत्नी मंगला दुबे के नाम पर इर्विन अस्पताल के पास भामकर मार्केट को खरीदा, जहां पर ख्वाजा ग्रुप का कार्यालय खोलने के साथ ही एमएस कम्प्यूटींग एण्ड बिजनेस सर्विस सेंटर को खोला गया. जिसे सारिका भास्कर चोपडे व गिरीष वसंत पाटिल के नाम पर दर्शाया गया. इस सर्विस सेंटर से जिप ग्रामीण जलापूर्ति विभाग को 36 कम्प्यूटरों की आपूर्ति की गई. जबकि यह कम्प्यूटर कभी जिला परिषद में भेजे ही नहीं गये. बावजूद इसके जवाहर दुबे ने स्टॉक रजिस्टर में कम्प्यूटर मिलने की जानकारी दर्ज की और 36 कम्प्यूटर के बिलों का भुगतान भी एमएस कम्प्यूटींग एण्ड बिजनेस सर्विस सेंटर को किया गया, जो हकीकत में जवाहर दुबे की प्रत्यक्ष देखरेख नियंत्रण व निवेश से संचालित व्यावसायिक फर्म थी.
इसके साथ ही अमरावती जिप में कार्यरत मधुकर पुंडकर के साथ रहने वाले अपने अच्छे संबंधों का फायदा उठाते हुए जवाहर दुबे ने मधुकर पुंडकर के बेटे चंद्रशेखर पुंडकर के नाम पर रॉयल ट्रेडिंग कंपनी व संजय पुंडकर के नाम पर दत्तात्रय इंटरप्राइजेस नामक दो दुकानें कागजों पर दिखाई और इन दोनों कथित दुकानों के जरिए जिला परिषद को वाहनों के स्पेयर पार्ट व इलेक्ट्रीक वस्तुओं की आपूर्ति का ठेका दिया और वस्तु आपूर्ति किये बिना ही इन दोनों दुकानों के नाम पर फर्जी बिलों का भुगतान भी किया गया. विशेष उल्लेखनीय यह था कि, चंद्रशेखर पुंडकर उस समय जवाहर दुबे द्वारा बोरगांव धर्माले के पास शुरु किये गये केजीएन मोटर्स में व्यवस्थापक के तौर पर काम किया करता था.
इसके अलावा जवाहर दुबे ने अपने दोस्त महेंद्र नारायण गुल्हाने को अपने बेटे विशाल दुबे के बोरगांव धर्माले स्थित एमएस वर्ल्ड रिसोर्ट में मैनेजर पद पर नियुक्ति की और महेंद्र गुल्हाने के नाम पर कैपिटल इंटरप्राइजेस नामक बनावटी फर्म खोलते हुए अमरावती जिला परिषद को इलेक्ट्रीक वस्तु व स्पेयर पार्ट की आपूर्ति का काम हासिल करते हुए बिलों का भुगतान भी जारी किया.
इसी तरह जवाहर दुबे ने जिप यांत्रिक विभाग में वाहन चालक के तौर पर काम करने वाले रामदास गोविंदराव घेवड के बेटे नितिन घेवड के नाम पर झेन इंटरप्राइजेस नामक बनावटी दुकान दिखाकर अमरावती जिला परिषद हेतु वस्तु खरीदी किये जाने की बात दर्शायी और इस खरीदी की एवज में बिलों का भुगतान भी जारी किया.
* मध्यप्रदेश से खाली हाथ नौकरी करने आये और देखते ही देखते करोडों की माया जुटाई.
अमरावती जिप के यांत्रिक व सिंचाई विभाग में हुए घोटाले की जांच पूरी करते हुए भ्रष्टाचार प्रतिबंध विभाग व विक्रीकर अधिकारी कार्यालय द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया कि, अमरावती जिप में सहायक अभियंता रहने वाले जवाहर दुबे मुलत: मध्यप्रदेश के जबलपुर की कटनी तहसील अंतर्गत कंमोर गांव के निवासी है. जिनके पिता कटनी स्थित एसीसी सिमेंट फैक्टरी में नौकरी किया करते थे और उनका वर्ष 1972 में निधन हो गया था. पिता के जीवित रहने के दौरान ही जवाहर दुबे ने कंमोर व रिवा में अपनी पढाई-लिखाई पूरी करते हुए अभियांत्रिकी की पदवी प्राप्त की. जवाहर दुबे को 4 भाई व 2 बहने है और सभी अलग-अलग रहते है. वर्ष 1973 में जवाहर दुबे की कनिष्ठ अभियंता के तौर पर भंडारा जिलांतर्गत लघु सिंचन विभाग में पहली बार नियुक्ति हुई थी और उस समय तक जवाहर दुबे के नाम पर कोइ चल-अचल संपत्ति नहीं थी. जिसके उपरान्त वर्ष 1974 से 1978 तक वे अमरावती जिलांतर्गत पर्यावरण यांत्रिकी विभाग के तहत दर्यापुर व सिंगणापुर सहित अन्य स्थानों पर पदस्थ रहे और वर्ष 1978 में अमरावती जिला परिषद के यांत्रिकी व सिंचाई विभाग में नियुक्त हुए जहां पर उन्हें वर्ष 1986 में सहायक अभियंता के तौर पर पदोन्नति मिली. विशेष उल्लेखनीय है कि, वर्ष 1978 में अमरावती जिला परिषद में नियुक्त होते समय भी जवाहर दुबे व उनकी पत्नी के नाम पर अमरावती जिले में कही पर भी कोई संपत्ति नहीं थी. इसी दौरान वर्ष 1974 में जवाहर दुबे का विवाह हुआ था और उनकी ससुराल भंडारा जिले की मोहाडी तहसील अंतर्गत खोडगांव में है. जहां पर उनके ससुर चंद्रमोहन शिवबालक तिवारी के नाम पर 25 एकड खेती है. वहीं चंद्रमोहन तिवारी को 4 बेटे व 1 बेटी है. जिसमें से जवाहर दुबे की पत्नी मंगला दुबे को पुश्तैनी जमीन में हिस्से के तौर पर वर्ष 1989 में करीब 2 एकड खेत मिला था. साथ ही चंद्रमोहन तिवारी ने जवाहर दुबे को वर्ष 1998 में 8 एकड खेत बक्षीस के तौर पर दिया था. वहीं शेष कृषि भूमि पर चंद्रमोहन तिवारी के 3 बेटे खेतीवाडी करते हुए अपना उदर निर्वाह किया करते थे. साथ ही जवाहर दुबे ने अपने सास-ससुर चंद्रमोहन तिवारी व किशोरीबाई तिवारी को रहने के लिए अमरावती बुला लिया था. जिनकी स्थिति संपत्ति अर्जीत करने लायक नहीं थी. परंतु जवाहर दुबे ने अवैध तरीके से कमाये गये पैसों को निवेश करने हेतु मौजे सातुर्णा, प्रगणे बडनेरा, भूमापन क्रमांक-19, प्लॉट क्रमांक-52, क्षेत्रफल 1625 चौरस फूट वाली जमीन पर अपने ससुर के नाम पर दो मंजिला घर बनाया था.
लगभग इसी तरह जवाहर दुबे ने अपने नजदीकी रिश्तेदारों तथा बेहद भरोसे में रहने वाले नौकरों व दोस्तों के नाम पर भी शहर में अलग-अलग जगहों पर बेनामी संपत्ति खरीदी थी, जिसका मूल्य करोडों रुपयों में था. इसके अलावा जवाहर दुबे ने उस समय अपने संपर्क में रहने वाले सभी लोगों के लिए अपने खर्च पर महंगे मोबाइल हैंडसेट खरीदने के साथ ही सभी लोगों के मोबाइल बिलों का भुगतान भी किया था, जिसकी रकम उस जमाने में भी हजारों-लाखों रुपयों के आसपास थी. यानि वर्ष 1978 में कुछ 100 रुपयों की एक अदद सरकारी नौकरी करने हेतु खाली हाथ अमरावती आये जवाहर दुबे ने उसी नौकरी को भ्रष्टाचार का जरिया बनाते हुए अमरावती में करोडों रुपयों की काली कमाई का साम्राज्य खडा कर लिया था. जिसका भांडा वर्ष 2001-02 में फूटा था. जिसके चलते 23 वर्ष अमरावती जिला परिषद को जमकर लूटने वाले जवाहर दुबे को जिप की सेवा से निलंबित करते हुए उनके खिलाफ जांच शुरु की गई थी.
* कहां-कहां खरीदी थी संपत्ति?
– विवरण
मौजे सातुर्णा, प्रगणे बडनेरा, शेत सर्वे नं. 19, प्लॉट क्रमांक-45 शिवशक्ति नगर में जवाहर दुबे के नाम पर प्लॉट. (कीमत 6,500 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
मौजे सातुर्णा, प्रगणे बडनेरा, शेत सर्वे नं. 19, प्लॉट क्रमांक-49, क्षेत्रफल 800 चौरस फूट का प्लॉट मंगला दुबे के नाम पर (कीमत 37,000 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
मौजे सातुर्णा, प्रगणे बडनेरा, शेत सर्वे नं. 19, प्लॉट क्रमांक-44, क्षेत्रफल 825 चौरस फुट, मंगला दुबे के नाम पर (कीमत 50,000 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
इसी प्लॉट पर धीरज निवास नामक बंगले का निर्माण. सन 1988-89 में पीडब्ल्यूडी द्वारा किये गये मूल्यांकन के अनुसार कीमत 14,16,400 रुपए.
मौजे सातुर्णा, प्रगणे बडनेरा, शेत सर्वे नं. 19, प्लॉट क्रमांक-52, क्षेत्रफल 1625 चौरस फूट का प्लॉट जवाहर दुबे के ससुर चंद्रमोहन तिवारी के नाम पर (कीमत 50,000 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
इसी प्लॉट पर चंद्रमोहन तिवारी के नाम पर ही दो मंजिला घर का निर्माण. कीमत 10,72,200 (मूल्यांकनानुसार).
मौजे सातुर्णा, प्रगणे बडनेरा, शेत सर्वे नं. 19, प्लॉट क्रमांक-45, क्षेत्रफल 3791 चौरस फूट का प्लॉट, जवाहर दुबे के नौकरी चंद्रशेखर पुंडकर के नाम पर (कीमत 62,500 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
मौजे कैम्प, प्रगणे बडनेरा, सीट क्रमांक-48, प्लॉट क्रमांक-16, क्षेत्रफल 612 चौरस फूट का प्लॉट जवाहर दुबे की पत्नी मंगला दुबे के नाम पर (कीमत 1,25,000 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
मौजे कैम्प, प्रगणे बडनेरा, सीट क्रमांक-48 में 300 चौरस फूट वाला प्लॉट जवाहर दुबे की पत्नी मंगला दुबे के नाम पर (कीमत 70,000 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
मौजे कैम्प, प्रगणे बडनेरा, सीट क्रमांक-48 में 100 चौरस फूट क्षेत्रफल वाला प्लॉट जवाहर दुबे की पत्नी मंगला दुबे के नाम पर (कीमत 80,000 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
मौजे कैम्प, प्रगणे बडनेरा, सीट क्रमांक-48, क्षेत्रफल 100 चौरस फूट का प्लॉट जवाहर दुबे की पत्नी मंगला दुबे के नाम पर (कीमत 10,000 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
मौजे कैम्प, प्रगणे बडनेरा, सीट क्रमांक-48, प्लॉट क्रमांक-16, क्षेत्रफल 120 चौरस फूट का प्लॉट जवाहर दुबे की पत्नी मंगला दुबे के नाम पर (कीमत 62,500 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
मौजे कैम्प, प्रगणे बडनेरा, सीट क्रमांक-49, प्लॉट क्रमांक-16, क्षेत्रफल 75 चौरस फूट का प्लॉट जवाहर दुबे की पत्नी मंगला दुबे के नाम पर (कीमत 5,000 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
मौजे कैम्प, प्रगणे बडनेरा, सीट क्रमांक-16, प्लॉट क्रमांक-15, क्षेत्रफल 1281 चौरस फूट का प्लॉट जवाहर दुबे की पत्नी मंगला दुबे के नाम पर (कीमत 1,00,000 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
मौजे कैम्प, प्रगणे बडनेरा, सीट क्रमांक-48, प्लॉट क्रमांक-16, क्षेत्रफल 2599 चौरस फूट का प्लॉट जवाहर दुबे की पत्नी मंगला दुबे के नाम पर, जिस पर ख्वाजा ग्रुप के नाम से व्यापारिक संकुल का निर्माण तथा जवाहर दुबे के बेटे व नौकर के नाम पर एमएस कम्प्यूटींग व बिजनेस सर्विस सेंटर नामक दुकान शुरु (कीमत 16,39,280 रुपए, रिपोर्ट के अनुसार).
ख्वाजा ग्रुप में एमएस कम्प्यूटींग व बिजनेस सर्विस सेंटर खोलकर व्यवसाय शुरु करने हेतु सारिका चोपडे व गिरीष पाटील के नाम पर फर्म स्थापित कर 5 लाख रुपए का पंजीयन निवेश लगाया.
मौजे मासोद, प्रगणे मांजरखेड, शेत सर्वे क्रमांक-93/1 गट क्रमांक-337, क्षेत्रफल 2.53 आर में से 1.22 लाख खेती जवाहर दुबे के बेटे विश्वास दुबे के नाम पर (कीमत 1,48,500 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
मौजे धर्माले, शेत सर्वे क्रमांक-42/5, गट क्रमांक-131 क्षेत्रफल 1.59 आर मंगला दुबे व चंद्रमोहन तिवारी के नाम पर खेत (कीमत 5,00,000 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
इस प्लॉट पर जवाहर दुबे के नाम पर विश्वास दुबे के नाम से केजीएन मोटर्स नामक फर्म का निर्माण किया. जिसकी कीमत सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग ने 39 लाख 77 हजार 880 रुपए आकी.
मौजे बोरगांव धर्माले, शेत सर्वे क्रमांक 42/2, गट क्रमांक-90, क्षेत्रफल 0.86 आर का खेत जवाहर दुबे की पत्नी मंगला दुबे व ससुर चंद्रमोहन तिवारी के नाम पर (कीमत 2,40,000 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
इस प्लॉट पर जवाहर दुबे के बेटे विशाल दुबे के नाम से एमएस वर्ल्ड रिसोर्ट का निर्माण किया गया. जिसकी कीमत सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग ने 1 करोड 21 लाख 91 हजार 755 रुपए आकी.
मौजे डोकेपार तलाठी सा.जा. क्र.-19, भूमापन क्र. 46, 48, 302, क्षेत्रफल 1.10, 1.32 व 0.14 ऐसे कुल 2.56 आर खेत जवाहर दुबे के नाम पर (कीमत 1,50,000 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
मौजे डोकेपार तलाठी सा.जा. क्र.-19, भूमापन क्र. 44, 45, 47, क्षेत्रफल 3.63, 2.00 व 2.15 आर ऐसे कुल 8.78 आर खेत जवाहर दुबे की पत्नी मंगला दुबे नाम पर (कीमत 4,50,000 रुपए, पंजीयन दस्तानुसार).
मौजे डोकेपार स्थित दुबे पति-पत्नी के नाम पर रहने वाले खेत पर फार्महाउस का निर्माण (कीमत 3,03,750 रुपए, पीडब्ल्यू रिपोर्ट के अनुसार).
कुल अचल संपत्ति की कीमत – 2,40,08,265
* चल संपत्ति
जवाहर दुबे के नाम पर मारोती वैन क्रमांक एमएच-31/जी-7890 – कीमत 2,00,000 रु.
मंगला दुबे के नाम पर मारोती इस्टीम क्रमांक एमएच-27/एच-601 – कीमत 5,74,146 रु.
विश्वास दुबे के नाम पर मारोती बलोने क्रमांक एमएच-27/एल-786 – कीमत 6,00,000 रु.
विशाल दुबे के नाम पर अकोला अर्बन बैंक की अमरावती शाखा में 6,00,000 रु. का डिपॉझिट.
विश्वास दुबे के नाम पर अभिनंदन बैंक में 25,000 रु. के शेयर खरीदी.
विशाल दुबे के नाम पर बैंक ऑफ बडौदा में 5,00,000 रु. की एफडी.