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जिजाउ बैंक के चुनाव पर चढा राजनीतिक रंग

हाईप्रोफाइल हो गया चुनाव, शहर में छिडी पोस्टर जंग

* राजकमल चौराहे पर दोनों पैनलों ने लगाये बडे-बडे पोस्टर
* लोकसभा व विधानसभा के चुनाव जैसा हो रहा एहसास
अमरावती/दि.27 – जिले सहित संभाग के सहकार क्षेत्र में प्रतिष्ठित रहने वाली जिजाउ कमर्शियल को-ऑपरेटीव बैंक के 15 सदस्यीय संचालक मंडल का चयन करने हेतु आगामी 31 दिसंबर को मतदान कराया जाना है. इस चुनाव के लिए बैंक के मौजूदा अध्यक्ष अविनाश कोठाले के नेतृत्व में सहकार पैनल तथा पूर्व अध्यक्ष अरविंद गावंडे के नेतृत्व में परिवर्तन पैनल ने अपने अपने उम्मीदवार खडे किये है तथा दोनों पैनलों द्वारा नामांकन की प्रक्रिया के बाद से ही अपना-अपना प्रचार भी शुुरु कर दिया है. परंतु जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे यह चुनाव राजनीतिक रंग अख्तियार करता दिखाई दे रहा है. साथ ही दोनों पैनलों के बीच इस समय जिस तरह से ‘पोस्टर वॉर’ चल रहा है और दोनों पैनलों द्वारा जिस तरह से एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगाये जा रहे है. उसे देखते हुए यह भी कहा जा सकता है कि, सहकार क्षेत्र का यह चुनाव अब काफी हद तक हाईप्रोफाइल रुप ले चुका है.
उल्लेखनीय है कि, अभी दो दिन पहले सहकार क्षेत्र में ही कार्यरत रहने वाली महात्मा फुले अर्बन को-ऑप बैंक के चुनाव हुए और गत रोज मतगणना की प्रक्रिया भी निपट गई. लेकिन इसे लेकर शहर सहित जिले में कोई होहल्ला नहीं हुआ. बल्कि बैंक से जुडे मतदाताओं व लोगों के बीच ही इस चुनाव की चर्चा रही. वहीं केवल 6 हजार 676 मतदाता संख्या रहने वाली जिजाउ अर्बन को-ऑपरेटीव बैंक के चुनाव को लेकर विगत एक-दो माह से शहर सहित जिले में अच्छा खासा हंगामा मचा हुआ है. इस चुनाव को लेकर बैंक के सत्ताधारी दल सहित विपक्षी संचालकों द्वारा अब तक एक-एक बार पत्रवार्ता बुलाई जा चुकी है और अपने-अपने विरोधकों पर जमकर आरोप लगाये जा चुके है. वहीं बैंक के आगामी 31 दिसंबर को होने जा रहे चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने वाले बैंक के मौजूदा संचालक राजेंद्र जाधव को अपनी दावेदारी कायम रखने के लिए डीडीआर ऑफिस से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक दौड लगानी पडी और सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद राजेंद्र जाधव की दावेदारी बच पायी है. विशेष उल्लेखनीय है कि, राजेंद्र जाधव विगत 23 वर्षों से जिजाउ बैंक के संचालक निर्वाचित होते आये है और इस बार के चुनाव में पहली मर्तबा विपक्षी संचालकों द्वारा राजेंद्र जाधव की दावेदारी पर आपत्ति उठाते हुए उन्हें बैंक का चुनाव लडने के लिए अपात्र घोषित किये जाने की मांग की गई थी. जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अदालती लडाई का दौर चला.
बता दें कि, सन 2000 में स्थापित हुई जिजाउ अर्बन को-ऑप बैंक में अब तक प्रत्येक चुनाव निर्विरोध ही होता आया है. साथ ही अध्यक्ष-उपाध्यक्ष जैसे पदाधिकारियों का चयन भी संचालक मंडल की सभा में सर्वसम्मति से होता रहा. परंतु यह पहली बार है, जब जिजाउ बैंक के 15 सदस्यीय संचालक मंडल हेतु 2 पैनल आमने-सामने है और दोनों पैनलों के बीच जबर्दस्त टकराव वाली स्थिति बनी हुई है. साथ ही दोनों पैनलों द्वारा आपसी वर्चस्व की इस लडाई में शह और मात का खेल खेलते हुए हर तरह के दांव भी चलाये जा रहे है. यहीं वजह है कि, करोडों रुपयों का टर्नओवर रहने वाली इस बैंक पर दोनों ही पैनल अपना कब्जा चाहते है. जिसके लिए अब यह चुनाव राजनीतिक रंग लेने के साथ ही हाईप्रोफाइल भी हो गया है.
अमूमन सहकार क्षेत्र से वास्ता रखने वाली संस्थाओं के चुनाव में प्रत्याशियों द्वारा अपने मतदाताओं से उनके घर जाकर प्रत्यक्ष संपर्क किया जाता है और अपने दावेदारी के संदर्भ में पॉम्प्लेट व ब्राउशर जैसी लिखित सामग्री वितरीत की जाती है. साथ ही साथ अपनी दावेदारी के पक्ष में समर्थन मांगा जाता है. इसके अलावा पैनलों के मुख्य जनसंपर्क कार्यालय पर ही प्र्रत्याशियों के नाम व फोटो वाले बैनर-पोस्टर व फ्लैक्स लगे दिखाई देते है. परंतु जिजाउ बैंक में होने जा रहे चुनाव के लिए दोनों ही पैनलों द्वारा शहर के बीचोबीच स्थित राजकमल चौराहे पर अपने प्रचार हेतु अपने प्रत्याशियों के नाम व फोटो वाले विशालकाय होर्डिंग्स लगाये गये है. जिन्हें देखकर एक बार भी यह ऐहसास होता है मानों यह किसी सहकार क्षेत्र की बैंक का नहीं, बल्कि लोकसभा या विधानसभा जैसा कोई बडा चुनाव होने जा रहा है.

* कोठाले व गावंडे के बीच चल रही वर्चस्व की लडाई
बता दें कि, वर्ष 2000 में स्थापित जिजाउ कमर्शियल को-ऑप बैंक में वर्ष 2011 तक अविनाश कोठाले ने अध्यक्ष पद का जिम्मा संभाला था. जिसके बाद वर्ष 2011 से 2017 तक अरविंद गावंडे इस बैंक के अध्यक्ष रहे. वहीं वर्ष 2017 में अविनाश कोठाले एक बार फिर जिजाउ बैंक के अध्यक्ष बने, जो इस समय तक अध्यक्ष पद पर विराजमान है. उल्लेखनीय है कि, वर्ष 2000 में अविनाश कोठाले तथा वर्ष 2011 में अरविंद गावंडे का बैंक के अध्यक्ष पद पर सर्वसम्मति के साथ निर्विरोध तरीके से चयन किया गया था. परंतु वर्ष 2017 में संचालक मंडल के गठन पश्चात अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों का चयन करने हेतु संचालक मंडल की पहली सभा में कुछ संचालकों ने मतदान कराये जाने की मांग की थी और उस समय अध्यक्ष पद के लिए अविनाश कोठाले व अरविंद गावंडे के नाम दावेदार के तौर पर सामने आये थे. पश्चात अविनाश कोठाले को 11 व अरविंद गावंडे को 4 वोट मिले थे, जिसके चलते बहुमत के आधार पर अविनाश कोठाले बैंक के अध्यक्ष निर्वाचित हुये थे, लेकिन तब से ही कोठाले व गावंडे के बीच वर्चस्व की लडाई शुरु हो गई थी, जो अब तक जारी है और अब दोनों ही अध्यक्ष पद के दावेदार के तौर पर अपने-अपने पैनलों के साथ मैदान में है. साथ ही दोनों ने इस लडाई को जितने के लिए अपनी पूरी ताकत भी झोंक दी है.

* 11 शाखाओं के साथ 4 जिलों में बैंक का कारोबार
वर्ष 2000 में मुख्य कार्यालय एवं 2 शाखा कार्यालय ऐसी 3 शाखाओं के साथ शुरु हुई जिजाउ कमर्शियल बैंक का आगे चलकर बडी तेजी के साथ विस्तार हुआ था तथा वर्ष 2017 आते-आते इस बैंक की जहां अमरावती शहर में 5 शाखाएं हो गई थी, वहीं दर्यापुर, अचलपुर, चांदूर बाजार तहसीलों सहित अकोला, नागपुर व यवतमाल जिलों में भी एक-एक शाखा खुल गई थी. इस तरह से आज 4 जिलों में जिजाउ बैंक की कुल 11 शाखाएं चल रही है तथा बैंक द्वारा सालाना करोडों रुपयों का टर्नओवर भी किया जाता है. जिसके चलते जिजाउ बैंक को संभाग के सहकार क्षेत्र में बेहद प्रतिष्ठित व धनी बैंक माना जाता है. संभवत: यहीं वजह है कि, करोडों रुपयों का टर्नओवर रहने वाली इस बैंक को अपने कब्जे में रखने हेतु बैंक के संस्थापक अध्यक्ष अविनाश कोठाले व पूर्व अध्यक्ष अरविंद गावंडे के बीच जमकर ठनी हुई है और इस चुनाव में जीत हासिल करने हेतु अपनाये जा रहे हथकंडों की वजह से यह चुनाव राजनीतिक रंग लेने के साथ-साथ हाईप्रोफाइल भी बन गया है.

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