अमरावती/ दि.20 – जिला परिषद व 11 पंचायत समितियों में विगत 9-10 माह से प्रशासक राज चल रहा है. इस दौरान अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, विषय समिति सभापति व सदस्यों तथा पंचायत समिति सभापति, उपसभापति व सदस्यों सहित पदाधिकारियों के वाहन खर्च व मानधन पर होने वाला 55 से 60 लाख रुपए का खर्च बच गया है.
बता दें कि, जिला परिषद व 11 पंचायत समितियों के पंचवार्षिक चुनाव मार्च 2022 में होना अपेक्षित था, लेकिन निवर्तमान सभागृह का कार्यकाल खत्म होेने तक चुनाव नहीं कराये जा सके, बल्कि ओबीसी आरक्षण की समस्या को हल करने के लिए विविध वजहों के चलते चुनाव आगे मुल्तवी किये गए. वहीं अब चुनाव का मामला न्यायालयीन प्रक्रिया में अटका हुआ है. इस बीच जिला परिषद का कार्यकाल 21 मार्च को व 11 पंचायत समितियों का कार्यकाल 23 मार्च को खत्म होने के चलते जिला परिषद पर मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को तथा पंचायत समितियों में संबंधित गटविकास अधिकारियों को पशासक के तौर पर नियुक्त किया गया. जिसके तहत पहले प्रशासक की नियुक्ति केवल 6 माह के लिए की गई थी. परंतु इस दौरान चुनाव नहीं होने के चलते प्रशासक को समयावृध्दि दी गई. जिसके चलते अमरावती जिला परिषद सहित 11 पंचायत समितियों में विगत 9-10 माह से प्रशासक राज चल रहा है. ऐसे में जिप व पंस के पदाधिकारियों के कार्यालय व वाहन पर होने वाले खर्च सहित सभी सदस्यों के मानधन पर होने वाले खर्च की राशि खर्च ही नहीं हो रही. जिसे सीधे-सीधे जिप व पंस के लिए बचत कहा जा सकता है.
सभाओं में चायपानी पर होने वाला खर्च बचा
जिला परिषद में सत्ताकाल के दौरान प्रतिमाह होेने वाली आमसभा विषय समिति सभा व विशेष सभा के समय उपस्थित रहने वाले सदस्यों के चाय-पानी पर हजारों रुपयों का खर्च हुआ करता था, परंतु प्रशासक राज जारी रहने के चलते यह सभाएं भी विभाग प्रमुखों व अधिनस्थ प्रशासक तक मर्यादित है. ऐसे में सभाओं पर आदर-आतिथ्य के चलते होने वाला लाखों रुपयों का खर्च भी बच गया है. यह पूरा खर्च जिला निधि से किया जाता है. जिसके लिए अलग-अलग लेखाशिष के तहत बजट में प्रावधान किये जाते है.
ऐसेे मिला करता था मानधन
पद मानधन (रुपए)
जिप अध्यक्ष 20,000
जिप उपाध्यक्ष 15,000
विषय सभापति 12,000
सदस्य भत्ता 3,000
पंस सभापति 10,000
उपसभापति 8,000
सदस्य भत्ता 1,200