अमरावती

प्रशासक राज के चलते जिप को हुई 71 लाख की बचत

अध्यक्ष व सभापति को दी जाने वाली मानधन की रकम बची

अमरावती/दि.22 – जिला परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सभापतियों तथा सदस्यों को प्रतिमाह मानधन के साथ ही अपने निर्वाचन क्षेत्र में दौरे के लिए भत्ता दिया जाता है. जिसके लिए जिला परिषद के बजट में हर साल रकम का प्रावधान किया जाता है. परंतु विगत एक वर्ष से जिला परिषद में प्रशासक राज चल रहा है. ऐसे में मानधन व भत्ते पर एक वर्ष के दौरान खर्च होने वाली 71 हजार 41 लाख रुपए की बचत हुई है और बचत की इस रकम को जिला परिषद द्बारा विकास कामों के लिए उपयोग में लाया जा रहा है.
बता दें कि, ग्रामीण क्षेत्र के विकास हेतु जिला परिषद, पंचायत समिति व ग्रामपंचायत ऐसी त्रिस्तरीय रचना है. यह व्यवस्था लगभग पूरी तरह से सरकार द्बारा दी जाने वाली निधी पर निर्भर करती है. साथ ही इन स्वायत्त संस्थाओें द्बारा खुद भी निधी अर्जित की जाती है. इस सभी पर नियंत्रण रखने वाले पदाधिकारियों को विकास कामों हेतु कितनी निधी दी जाए. इसका प्रमाण भी तय है. हालांकि सत्ताधारी दलों के पदाधिकारियों द्बारा इस पर अपना कुछ अधिक हक जताया जाता है. वहीं विपक्षी सदस्यों को इसके लिए थोडी ज्यादा दौडभाग व मेहनत करनी पडती है. इसके साथ ही जिप के पदाधिकारियों व सदस्यों के लिए प्रतिमाह मानधन व भत्ते की राशि भी तय की गई है. जनता की सेवा के लिए इन ‘जनसेवकों’ द्बारा अपना समय खर्च किया जाता है. जिसके बदले में उन्हें मानधन दिया जाता है. इस मानधन पर प्रतिवर्ष 71 लाख 41 हजार रुपए खर्च होते है.
उल्लेखनीय है कि, डेढ वर्ष पहले मार्च 2022 में जिला परिषद के पदाधिकारियों व सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया था. जिसके चलते जिला परिषद में प्रशासक की नियुक्ति की गई और विगत डेढ वर्ष से जिला परिषद के चुनाव नहीं होने के चलते जिला परिषद सहित सभी स्थानीय स्वायत्त निकायों में पंचायत राज चल रहा है. ऐसे में पदाधिकारी व सदस्य नहीं रहने के चलते उनके मानधन व भत्तों पर खर्च होने वाली 71 लाख 41 हजार रुपए के रकम की बचत हो रही है. ऐसे में जिला परिषद प्रशासन ने इस निधी को अन्य विकास कामों पर खर्च करने का निर्णय लिया है.
* पदाधिकारियों को मिलने वाला मानधन
जिप अध्यक्ष 20 हजार रु.
जिप उपाध्यक्ष 15 हजार रु.
जिप सभापति 12 हजार रु.
जिप सदस्य 3 हजार रु.
पंस सभापति 10 हजार रु.
पंस उपसभापति 8 हजार रु.

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