अमरावती

टीईटी पात्र नहीं रहनेवाले 500 शिक्षकों की नौकरियां खतरे में

बार-बार बदलनेवाले निर्णयों का लगेगा फटका

  • अंतिम तिथी बढाकर देने की मांग

अमरावती/दि.1 – विगत दिनों मुंबई हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने केवल टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों के ही सरकारी व अनुदानित शाला की सेवा में बने रहने को मान्यता प्रदान की. ऐसे में अब टीईटी उत्तीर्ण नहीं रहनेवाले शिक्षकों की नौकरियां खतरे में आ गई है. जिनमें अमरावती विभाग की अनुदानित शालाओं में कार्यरत 125 शिक्षकों का समावेश है. वहीं बिना अनुदानित तथा कायम बिना अनुदानित शालाओं में अधिकांश शिक्षक टीईटी उत्तीर्ण नहीं है.
बता दें कि, सरकार द्वारा शिक्षा सेवा में कार्यरत रहनेवाले शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अथवा केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) उतीर्ण होना अनिवार्य किया है. वर्ष 2019 के बाद सरकारी सेवा में शामिल होनेवाले शिक्षकों को दिसंबर 2019 तक यह परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया गया था. किंतु सेवा में रहनेवाले अधिकांश शिक्षकों ने यह परीक्षा नहीं दी अथवा वे यह परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाये. ऐसे शिक्षकों की सेवाओं को खत्म करने का निर्णय औरंगाबाद खंडपीठ द्वारा दिया गया है. ऐसे में अमरावती संभाग के करीब 500 शिक्षकों की नौकरी पर अब खतरे की तलवार लटक रही है. जिसके चलते शिक्षक संगठनों द्वारा शिक्षकों की सेवा खत्म करने संबंधी हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया जा रहा है तथा ऐसे शिक्षकों को एक और अवसर उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है.
जानकारी मिली है कि, अमरावती संभाग में जिला परिषद शालाओं के सभी शिक्षक टीईटी उत्तीर्ण है. वहीं बिना अनुदानित शालाओं में केवल 125 शिक्षक टीईटी पात्रता धारक नहीं है और बिना अनुदानित व कायम बिना अनुदानित शालाओं में कितने शिक्षक पात्रताधारक है अथवा नहीं, इस बारे में शिक्षा विभाग के पास किसी भी तरह की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.

500 – टीईटी उत्तीर्ण नहीं रहनेवाले शिक्षक
125 – अनुदानित शालाओं के अपात्र शिक्षक
210 – बिना अनुदानित शालाओं के अपात्र शिक्षक
165 – कायम बिना अनुदानित शालाओं के अपात्र शिक्षक

जिला परिषद शालाओं में शिक्षक – 5,968
अनुदानित शालाओं में शिक्षक – 7,903
बिना अनुदानित शालाओं में शिक्षक – 505
कायम बिना अनुदानित शालाओं में शिक्षक – 3,207
कुल शिक्षक – 17,583

अपात्र शिक्षकों को 2019 के बाद सेवा से हटाने की हलचले शुरू हुई है. इसके पश्चात वर्ष 2020 में हुई परीक्षा में कई शिक्षक उत्तीर्ण हुए. ऐसे शिक्षकों को सेवा में कायम रहने की छूट मिलनी चाहिए, इस हेतु यह तमाम उठापटक चल रही है. साथ ही सरकार की बार-बार बदलनेवाली भुमिका की वजह से भी शिक्षकों को काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. ऐसे में टीईटी उत्तीर्ण नहीं रहनेवाले शिक्षकों को परीक्षा देने और उत्तीर्ण होने के लिए समयावृध्दि दी जानी चाहिए.
– राजेश सावरकर
प्राथमिक शिक्षा समिती

कई संस्था के संचालकों द्वारा नियमों की अवहेलना कर शिक्षकों की नियुक्ति करते हुए उन्हें मान्यता दिलाये जाने की वजह से यह समस्या उत्पन्न हुई है. लेकिन फिलहाल कई शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड गई है. ऐसे में इन सभी शिक्षकों को टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण होने हेतु कम से कम एक अंतिम अवसर उपलब्ध कराया जाना चाहिए. जिसके लिए सरकार द्वारा मध्यस्थता करते हुए कोई पर्याय खोजे जाने की जरूरत है.
– शेखर भोयर
अध्यक्ष, शिक्षक महासंघ

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