अमरावती

युवाओं में भी हो रहा जोडो का दर्द

अमरावती/दि.27– इन दिनों कई युवाओं में हाथ व पांव के जोडों में दर्द व अकडन रहने के मामले सामने आ रहे है. कई लोगोें में पैदायशी तौर पर जोडों के दर्द की तकलीफ होती है, तो कुछ लोगों ने किशोरावस्था से लेकर युवावस्था के दौरान यह तकलीफ शुरु होती है. इसके साथ ही पेट संबंधित बीमारियों व व्यायाम के अभाव की वजह से भी जोडों के दर्द की तकलीफ हो सकती है. ऐसे में जोडों के दर्द का लक्षण दिखाई देते ही तुरंत किसी योग्य डॉक्टर से मिलकर उनकी सलाह लेनी चाहिए.

* क्या है जोडों का दर्द?
जोडो का दर्द यानि शरीर की हड्डियों के जोड में रहने वाली अस्वस्थता या वेदना है. जिस स्थान पर 2 अथवा उससे अधिक हड्डिया आकर मिलती है. उन्हें जोड कहा जाता है. जिनमें नितंब, घुटना, कंधा, रीढ तथा हाथ व पांव सहित उंगलियों का समावेश रहता है. जिनमें से कई बार किसी भी स्थान पर हड्डियों के जोड वाली जगहों पर तकलीफ होनी शुरु होती है.

* कारण व लक्षण
– कारण
जोडों का दर्द यह किसी आघात या चोट के साथ ही संक्रमण की वजह से भी हो सकता है. साथ ही कई लोगों में पैदायशी तौर पर जोडों के दर्द की तकलीफ होती है.
– लक्षण
जोडों पर सुजन आना, जोडो में लगातार तेज दर्द रहना हाथ व पांव में तेज दर्द रहना, सुबह के समय हाथ, पैर का अकडना, चलते समय घुटने में तकलीफ होना आदि को जोडों के दर्द के लक्षण कहा जा सकता है.

* कौनसी सतर्कता जरुरी?
यदि किसी भी तरह की कोई जख्म होती है, तो उसका तुरंत इलाज किया जाना चाहिए. एक ही जगह पर बैठे रहने की बजाय काम करने की बजाय शरीर की हलचल करनी चाहिए. साथ ही जोडों के दर्द व कमरदर्द के लिए अपने मन से दवाई लेने की बजाय अस्थिरोग विशेषज्ञों के सलाह लेते हुए इलाज करवाना चाहिए.

* क्या कहते है अस्थिरोग विशेषज्ञ?
कुछ लोगों में पैदायशी जोडों की दर्द की तकलीफ होती है. वहीं कुछ लोगों में पेट की बीमारियों के चलते हड्डियों के जोडों में स्निग्धता कम होकर हड्डियों के बीच में सूखेपन की तकलीफ होती है. ऐसी तकलीफ होने पर विशेषज्ञ की सलाह लेकर योग्य उपचार करवाना चाहिए.
– डॉ. किशोर सोनवने,
अस्थिरोग विशेषज्ञ

* जोडों के दर्द की समस्या
युवावस्था में भी बढ रही है. बदलती जीवनशैली के चलते एक जगह पर बैठकर काम करने और व्यायाम का अभाव कम रहने की वजह से जोडों की दर्द की तकलीफ का प्रमाण बढ रहा है. साथ ही आनुवांशिकता एवं रक्त की आपूर्ति नहीं होने के चलते भी यह समस्या दिखाई देती है.
– डॉ. नितिनि सोनवने,
अस्थिरोग विशेषज्ञ

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