अमरावती

बाबासाहब के वैचारिक मूल्यों से ही पत्रकारिता मूल्यपरक बनेगी : डॉ. बनसोड

डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की जयंती पर आईआईएमसी पश्चिम क्षेत्रीय परिसर में विशेष व्याख्यान

अमरावती/दि.15- संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के डॉ. बाबासाहब आंबेडकर अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रो.(डॉ.) संतोष बनसोड का ऐसा मानना है कि बाबासाहब के वैचारिक मूल्यों से ही पत्रकारिता मूल्यपरक बनेगी. उन्होंने अपनी पत्रकारिता के माध्यम से सभी समाज के लोगों का उत्थान किया. उन्हें सामाजिक समता, स्वतंत्रता व सुरक्षा प्रदान की है. उन्हें जीवन चरित्र को जानने के लिए यह बेहद जरूरी है कि उनके कार्यों का गहन अध्ययन किया जाए.
डॉ. बाबासाहब अंबेडकर की 132वीं जयंती के मौके पर शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) पश्चिम क्षेत्रीय परिसर अमरावती की ओर से एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया. व्याख्यान का विषय डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के पत्रकारिता के मूल्य था. संस्थान के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी के मार्गदर्शन में विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता आईआईएमसी के पश्चिम क्षेत्रीय निदेशक प्रो. (डॉ.) वीरेंद्र कुमार भारती ने की. डॉ. बन्सोड ने डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की पत्रकारिता कब और क्यों शुरू हुई इस पर विस्तार से प्रकाश डाला. साथ ही उनके 18 जनवरी 1943 को पत्रकारिता के संबंध में किए गए वक्तव्य को दोहराते हुए कहा कि आज पत्रकारिता क्या है इसका चित्र उन्होंने आज से 79 वर्ष पूर्व ही स्पष्ट किया था. उनके कहे एक-एक शब्द आज भी चरितार्थ हो रहे है. उन्होंने पत्रकारों के लिए मानक तय करते हुए कहा था कि पत्रकारों को नायक की पूजा नहीं करना चाहिए. भेदभाव से खुद को दूर रखकर पत्रकारिता करनी चाहिए.
कार्यक्रम में पश्चिम क्षेत्रीय निदेशक प्रो. (डॉ.) वीरेंद्र कुमार भारती ने कहा कि डॉ.आंबेडकर ने समाज में व्याप्त जातिभेद को समाप्त कर समता और बंधुत्व का भाव लाने के लिए अपना जीवन लगा दिया. वंचितों, शोषितों एवं महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए बाबासाहेब ने अलग-अलग स्तर पर जागरुकता आंदोलन चलाए. डॉ आंबेडकर ये बात समझ चुके थे कि लंबे समय तक चलने वाली सामाजिक क्रांति की सफलता के लिए एक प्रभावी समाचार-पत्र का होना आवश्यक है. इसलिए उन्होंने कहा भी था कि जैसे पंख के बिना पक्षी होते हैं, वैसे ही समाचार-पत्र के बिना आंदोलन होते हैं.
कार्यक्रम का प्रास्ताविक वरिष्ठ शिक्षक अनिल जाधव ने प्रस्तुत की. कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. विनोद निताले ने किया. आभार प्रदर्शन डॉ. राजेश सिंह कुशवाहा ने किया. अतिथि का परिचय डॉ. आशीष दुबे ने कराया. इस अवसर पर प्रभात कुमार, विकास अधिकारी संजय पखोड़े प्रमुख रूप से उपस्थित थे. कार्यक्रम के दौरान हिंदी पत्रकरिता की छात्रा प्राची ओले ने कविता प्रस्तुत की.

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