अमरावती

पत्रकारों को लोकमंगल के साथ आत्ममंगल पर भी विचार करना चाहिए

आईआईएमसी महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी का प्रतिपादन

अमरावती/ दि.19 – यदि मन स्वस्थ्य रहेगा तो विचार स्वस्थ्य रहेंगे. मन और शरीर पर ध्यान देना जरुरी है. परंतु अतिरिक्त स्वास्थ्य की चिंता भी तनाव का बडा कारण है, ऐसा प्रतिपादन आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय व्दिवेदी ने व्यक्ति किया. भारतीय जन संचार संस्थान, पश्चिमी क्षेत्रीय केंद्र, अमरावती एवं यूनीसेफ के संयुक्त तत्वावधान में ‘मेंटल हेल्थ आफ यंग मीडिया प्रोफेशनल्स’ विषय पर 18 जुलाई 2022 को एक दिवसीय सेमिनार का शुभारंभ नागपुर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सभागार में किया गया. इस समय वे बोल रहे थे.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, विशिष्ट अतिथि कार्यकारी परिषद सदस्य एवं वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के प्रो. कृपाशंकर चौबे रहे. दैनिक भास्कर के समूह सम्पादक श्री प्रकाश दूबे ने अध्यक्षता की. भारतीय जन संचार संस्थान, पश्चिमी क्षेत्रीय केंद्र, अमरावती एवं यूनीसेफ के संयुक्त तत्वावधान में ’मेंटल हेल्थ आफ यंग मीडिया प्रोफेशनल्स’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने अपने सम्बोधन में कहा कि यदि मन स्वस्थ रहेगा तो विचार भी स्वस्थ रहेंगे. मन और शरीर पर ध्यान देने की जरूरत है परंतु अतिरिक्त स्वास्थ्य की चिंता भी तनाव का बड़ा कारण है. अपने कार्य को बड़ा मानने से अहंकार पैदा होता है, जो तनाव का प्रमुख कारक है.पत्रकारिता को सेवा मानकर काम करेंगे तो तनाव दूर रहेगा. महात्मा गांधी के आदर्श से हम शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं. जीवन और जीविका का संतुलन बनाए रखने की जरूरत है. सकारात्मक होने के लिए सकारात्मक जीवन जीना होगा. पत्रकारों को लोकमंगल के साथ आत्ममंगल पर भी विचार करना चाहिए. इस दिशा में ध्यान, प्राणायाम और नेचुरोपैथी को अपना कर मानसिक तनाव को दूर कर सकते हैं और अपने पत्रकारिता कर्म को श्रेष्ठ बना सकते हैं.
प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए दैनिक भास्कर के समूह सम्पादक श्री प्रकाश दूबे ने कहा कि प्राय: जीवन में गिरावट तनाव का प्रमुख कारक है. हताशा से बचना चाहिए, मीडियाकर्मियों को भाषाओं को सीखने की जरूरत है, भाषा न जानने से हताशा होती है. उन्होंने पत्रकारों एवं उनके परिवार के सदस्यों की शारीरिक एवं मानसिक जांच कराने की पुरजोर मांग की. भारतीय जन संचार संस्थान के कार्यकारी परिषद के सदस्य एवं मीडियाविद उमेश उपाध्याय ने कहा कि दुनिया चलाने की सोच से पत्रकारों में तनाव पैदा होता है. अन्य व्यवसाय की तुलना में पत्रकारिता में तनाव, अनिद्रा, हताशा एवं उद्विग्नता ज्यादा है. जीवन एवं जीविका में अंतर करना सीखें तो यह तनाव कम हो सकता है. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रो. कृपाशंकर चौबे ने कहा कि पत्रकारों को कई काम एक साथ करने होते हैं इसलिए तनावग्रस्त ज्यादा होते हैं. तनाव से रचनात्मकता कम होती है. इससे मुक्ति के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए.
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने की. प्रख्यात मनोचिकित्सक एवं साइकिएट्रिक सोसायटी नागपुर के अध्यक्ष डॉ. सागर चिद्दलवार ने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व एवं आवश्यकता का विस्तार से रेखांकन किया. विशिष्ट अतिथि प्रेस सूचना कार्यालय के शशिन राय, तरुण भारत के डिजिटल हेड शैलेश पांडे और द हितवाद के चीफ रिपोर्टर कार्तिक लोखंडे ने भी सम्बोधित किया. कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं अतिथियों के स्वागत के साथ किया गया. विषय प्रवर्तन आईआईएमसी के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. प्रमोद कुमार ने किया. धन्यवाद ज्ञापन क्षेत्रीय निदेशक प्रो. वी. के. भारती ने किया. इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के एनबीबीएस एलयूपी के निदेशक डॉ. बी. एस. द्विवेदी, यूनीसेफ की संचार विशेषज्ञ स्वाति महापात्र एवं शिक्षक गण सहित मीडियाकर्मियों तथा विद्यार्थियों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही.

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