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जुमा तुल विदा की अदा हुई नमाज

सभी मस्जिदों में उमडे हजारों मुस्लिम समाजबंधु

* माहे रमजान के आखिरी जुमे की नमाज को लेकर दिखा उत्साह
अमरावती/दि.28 – इस समय मुस्लिम समाजबंधुओं का पवित्र रमजान माह चल रहा है. जो अब अपने आखिरी चरण में पहुंच चुका है. आज माहे रमजान के 27 वे रोजे पर रमजान माह का आखिरी जुमा यानी शुक्रवार रहा. जिसके चलते शहर के सभी मस्जिदो में जुमा तुल विदा की नमाज अदा करने हेतु मुस्लिम समाजबंधुओं की अच्छी-खासी उपस्थिति देखी गई और सभी मुस्लिम समाजबंधुओं ने बडे उत्साह के साथ माहे रमजान के आखिरी जुमे की नमाज में हिस्सा लिया. साथ ही जुमे की नमाज अदा करने के उपरांत सामूहिक रुप से दुवाएं भी पढी गई.
बता दें कि, मुस्लिम समाजबंधुओं द्वारा रमजान माह के आखिरी शुक्रवार को अलविदा जुम्मा के तौर पर मनाते हैं. इसे जुमातुल विदा, जुमा-उल-विदा या जमात उल विदा भी कहा जाता है. उल्लेखनीय है कि, शुक्रवार के दिन को अरबी भाषा में जुमा कहते हैं, जो कि यौम अल जुमा से लिया गया है और इसका अर्थ शुक्रवार होता है. यह मुसलमानों के लिए सप्ताह का सबसे पवित्र दिन माना जाता है और पूरे सालभर के दौरान जुमे के दिन मस्जिदों में विशेष नमाज अदा की जाती है. इस्लाम धर्म में वैसे तो शुक्रवार यानी जुम्मे के दिन का खास महत्व होता है. लेकिन माहे रमजान में पड़ने वाले जुमे का महत्व कई गुना अधिक बढ़ जाता है. अलविदा जुमा पर जुम्मे की नमाज से पहले मस्जिदों के पेश इमाम जुमातुल-विदा का खुतबा पढ़ते हैं. नमाज के बाद अमन, चैन और खुशहाली की दुआएं मांगी जाती हैं. जिसके तहत आज शुक्रवार 28 मार्च को शहर सहित जिले की सभी मस्जिदो में जुमे की नमाज अदा करने हेतु मुस्लिम समाजबंधुओं की अच्छी-खासी भीड उमडी और अब मुस्लिम समाजबंधुओं द्वारा बडी बेसब्री के साथ रमजान ईद के पर्व का इंतजार किया जा रहा है.

* कल रातभर चला तिलावत व दुआओं का दौर
26 वें रोजे की रात मनाई गई शबे कद्र, पूरी रात मस्जिदों में चली इबादत
माहे रमजान के आखिरी अशरे में शब-ए-कद्र को सबसे खास और मुबारक रात माना जाता है, जिसे 26 वें रोजे की रात मनाया जाता है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, यही वह रात है जब आसमान से जमीन पर रहमतें बरसती हैं और बंदों की दुआएं कुबूल होती हैं. 26 वां रोजा शब-ए-कद्र की खास रातों में सबसे अहम माना जाता है, ऐसे में इस रात को बड़ी संख्या में लोग पूरी रात जागकर इबादत करते हैं. शहर की मस्जिदों में शबे कद्र की रात खास नमाजें, तिलावत-ए-कुरान और जिक्र-ए-इलाही का आयोजन हुआ. लोगों ने नफिल नमाज, तस्बीह, तिलावत और दुआओं में पूरी रात गुजारी. मुस्लिम समाज का मानना है कि, इस रात की इबादत का सवाब हजार महीनों की इबादत से भी ज्यादा होता है. मस्जिदों में रौनक देखते ही बन रही थी, जहां हर कोई अल्लाह से रहमत और मगफिरत की दुआएं मांग रहा था. रमजान के आखिरी अशरे की सबसे मुकद्दस रात शब-ए-कद्र की लेकर अमरावती शहर के पश्चिम इलाके में जबरदस्त रौनक देखने को मिली. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इस रात की गई इबादत के चलते गुनाहों की माफी होती है और दुआएं कुबूल की आती हैं. इसी वजह से 26वें रोजे को खासतौर पर शब ए-कद्र की सबसे अहम रात माना जाता है, जब मस्जिदों और दरगाहों में बड़ी संख्या में लोग इबादत के लिए जुटते हैं. इसे खास रात को लेकर जबरदस्त जोश और श्रद्धा देखने को मिली. शहर की सभी मस्जिदों में बड़ी संख्यामें लोग नमाज, तिलावत और दुआओं में शामिल हुए, पूरे शहर की मस्जिदों में लाइटिंग और सजावट की गई, जिससे रमजान की यह मुबारक रात और भी रोशन हो उठी. शहर के प्रमुख इलाकों, पठान चौक और चांदनी चौक पर देर रात तक चहल-पहल बनी रही. इबादत के बाद लोगों ने बाजारों में भी रौनक बनाए रखी. मस्जिदों के आस-पास ठेले और स्टॉल्स पर गर्मागर्म सेवइयां, शरबत, फल और दूसरी खाने-पीने की चीजें लोगों को परोसी गई, जहर की प्रमुख मस्जिदों में विशेष नमाज, तिलावत ए-कुरान और तकरीर का आयोजन किया गया. इमामों और उलेमाओं ने इस रात वर्ग फजीलत (महत्व) पर तकरीर करते हुए बताया कि, शब ए-कई हजार महीनों से ज्यादा की इमदत के बराबर है. इस रात अल्लाह अपने बंदों की हर जायज दुआ कुबूल करता है और जो सच्चे दिल से तौबा करता है, उसके गुनाह माफ कर दिए जाते हैं, लोगों ने नफिल नमाज अदा की, तस्बीह पढी, कुरान की तिलावत की और दुआएं मांगी. खासतौर पर सहमत, बरकत और मगफिरत की दुआएं की गई. शब-ए-कद्र की इस खास रात में अमरावती के मुस्लिम बंधुओं ने पूरी रात जागकर इबादत की. मस्जिदों के अलावा कई घरों में भी खास इंतजाम किए गए, जहां परिवार के लोग मिलकर तिलावत और दुआ में शामिल हुए, इस मौके पर मस्जिदों के आस-पास कई समाजसेवी संगठनों और लोगों ने गरीबों और जरूरतमंदों में खाने-पीने की चीजें बांटी. कई जगहों पर इफ्तारी और सहरी का इंतजाम भी किया गया, जिससे हर कोई इस मुबारक रात का हिस्सा बन सके, अमरावती में शब-ए-कद की यह रात सिर्फ इबादत की नहीं, बल्कि अमन, भाईचारे और मोहब्बत का पैगाम देने वाली भी रही. मस्जिदों में उमड़ी भीड के बीच हर चेहरे पर सुकून और रूहानी खुशी नजर आई. लोग एक-दूसरे से मिलकर दुआएं मांगते दिखे और पूरे शहर में रमजान की इस पाक रात का खास अहसास बना रहा. शब-ए-कद्र की यह मुबारक रात पश्चिम क्षेत्र में पूरी रौनक के साथ मनाई गई, जहां लोगों नेअल्लाह की रहमत और मगफिरत की दुआएं मांगी और इस को सोदसार बना दिया.

* पुलिस महकमा रहा पूरी तरह मुस्तैद
कल रात शबे कद्र रहने के चलते मस्जिदों में रातभर रहनेवाली चहल-पहल और आज जुमा तुल विदा की नमाज के चलते मस्जिदों में उमडने वाली मुस्लिम समाजबंधुओं की भीड को ध्यान में रखते हुए शहर पुलिस विभाग भी पूरी तरह से मुस्तैद रहा तथा सुरक्षा व व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए पुलिस विभाग द्वारा शहर की प्रमुख मस्जिदों के आसपास अच्छा-खासा बंदोबस्त भी तैनात किया गया. जिसके चलते शबे कद्र की रात और जुमा तुल विदा की नमाज जैसे मौके शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए.

* वक्फ बिल संशोधन के खिलाफ काले फीते लगाकर अदा की गई नमाज
केंद्र सरकार द्वारा वक्फ बिल के खिलाफ लाए जा रहे संशोधन का विरोध करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश के तमाम मुस्लिम समाजबंधुओं से आवाहन किया था कि, वे आखिरी जुमे की नमाज के समय अपनी दाहिनी बांह पर काला फीता बांधे और काला फीता बांधकर ही नमाज अदा करें. इस अपील के चलते शहर के कई मुस्लिम समाजबंधुओं ने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने हेतु काले फीते बांधकर जुमा तुल विदा की नमाज अदा की. साथ ही जिला वकील संघ के पूर्व अध्यक्ष एड. शोएब खान ने बताया कि, आज अमरावती कोर्ट में मुस्लिम समाज से वास्ता रखनेवाले कई अधिवक्ताओं ने भी काले फीते लगाकर ही काम किया.

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