21 जून होगा साल का सबसे बडा दिन

इस दिन की अवधि होगी 13 घंटे 14 मिनट

यवतमाल /दि.10– हम हमेशा दिन और रात की अवधि को छोटा या बडा अनुभव करते है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी धूरी 23.5 डिग्री झुकी हुई है. 23.5 डिग्री के झुकाव पर पृथ्वी सूर्य के चारो ओर लंबवत वृत्ताकार पथ पर घुमती है. इसलिए इसकी गति और कक्षा में सूर्य के सामने पृथ्वी की स्थिति दिन और रात की दैनिक अवधि को बराबर नहीं बनाती है. चूंकि पृथ्वी झुकी हुई स्थिति में घूम रही है. इसलिए हम सूर्य को उत्तरी गोलार्ध में 6 महिने और दक्षिणी गोलार्ध में 6 महिने आकाश में घुमते देखते है और इसके परिणामस्वरुप हम सूर्य के उत्तरायन और दक्षिणायन का अनुभव कर सकते है.
किसी भी वस्तू द्वारा डाली गई छाया को नियमित रुप से देखने से हम सूर्य के दक्षिणायन और उत्तरायन को आसानी से देख सकते है. सूर्य की उत्तर दिशा की यात्रा 22 दिसंबर से शुरु होती है. इसे उत्तरायन कहते है. जैसे-जैसे सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढता है, दिन व अवधि बढती जाती है और रात कम होने लगती है. सूर्य की उत्तर दिशा की यात्रा 21 जून तक जारी रहती है. इसी दिन सूर्य भूमध्य रेखा के अपने सबसे उत्तरी बिंदू पर होता है. इसलिए इस दिन पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य के ठीक विपरित होता है. बेशक इस दिन की अवधि अधिकतम और रात की न्यूनतम होती है. इसी दिन दक्षिणी गोलर्धा में स्थिति विपरित होती है.

* आर्कटिक में कभी अस्त नहीं होता सूर्य
उत्तरी गोलार्ध के प्रत्येक देश के लिए दिन की अवधि अलग-अलग होती है. आम तौर पर 20 जून से 22 जून के बीच का दिन साल का सबसे लंबा दिन होता है. इस दिन नार्वे, फिनलैंड, ग्रीनलैंड, अलास्का और उत्तरी ध्रुव के पास के अन्य क्षेत्रों में आधी रात को भी सूर्य देखा जा सकता है. जबकि आर्कटिक क्षेत्र में सूर्यास्त नहीं होता है. हमारे देश में शनिवार 21 जून 2025 को सूर्य सुबह 6.03 बजे उदय होगा और शाम 7.17 बजे अस्त होगा. इस दिन की अवधि 13 घंटे 14 मिनट होगी. 21 जून से दक्षिणायन शुरु हो जाएगा और इस दिन की अवधि कम होने लगेगी. यह दक्षिणायन 22 दिसंबर तक रहेगा.

* वर्षा ऋतू की शुरुआत का दिन
कई देशो में 21 जून को ऋतू परिवर्तन का दिन माना जाता है. मराठी पंचांगो में 21 जून की तिथि को वर्षा ऋतू की शुरुआत के रुप में भी लिखा जाता है. पृथ्वी पर ऋतुओं का निर्माण भी पृथ्वी की दूरी झुकाव के कारण होता है. राशि के आधार पर दिन की लंबाई का मानव जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पडता. इसलिए लोगों को इसके पीछे के विज्ञान को समझना चाहिए, ऐसा स्काई वॉच ग्रुप यवतमाल के अध्यक्ष रवींद्र खराबे, प्रमोद जिरापुरे, उमेश शेबाडे, भूषण ब्राह्मणे, जयंत कार्णिक, पूजा रेवलकर, मानसी फेंडर व शुभांगी झिलपे ने कहा.

Back to top button