ज्योति ने ले रखा है बेघरों की सेवा का संकल्प
178 महिलाओं को बनाया रोजगारक्षम

* आज भी उनके केन्द्र में 69 बेघर का पालन पोषण
अमरावती/ दि. 6-जिस उम्र में युवतियां अपने भावी जीवन को लेकर सपने देखती है और करियर को लेकर बडी चौकन्नी हो जाती है. उसी उम्र में शहर से सटे बडनेरा में लालखेड से आयी पढी लिखी युवती बेघरों को घर दे रही है. उनका पालन पोषण कर रही है. बल्कि ज्योति बेनीसिंह राठोड ने इसे ही जीवन का लक्ष्य बना लिया है. ज्योति ने संकल्प कर लिया है पिछले 12-13 वर्षो में ज्योति राठोड द्बारा किए गये कार्यो पर सहज विश्वास नहीं होता कि एक अकेली युवती इतना सब कर सकती है. उनके कार्य संंबंधी आंकडे आपको दांतों तले अंगुली दबा लेने विवश कर देंगे. इतनी विस्मयकारी यह संख्या हैं.
महिला दिवस उपलक्ष्य अमरावती मंडल से चर्चा करते हुए ज्योति राठोड ने बताया कि वे सडक किनारे पडे बेघर लोगों को देख बडी दु:खी होती थी. आरंभ में इन बेघरों को उनका घर परिवार खोजकर उन्हें संभलाना का काम किया. किंतु देखा कि कई दिव्यांग, निराधार के कोई नहीं है. तब उन्होंने उनका हक का घर आधार बना लिया. बडनेरा नई बस्ती में यह बसेरा स्थित है. आज लोगों के योगदान से ही उसे संचालित करने की बात ज्योति राठोड साफगोई से कहती है. पहले शासकीय अनुदान प्राप्त होता था. अब कोई शासकीय मदद नहीं है.
कर देती कटिंग, शेविंग भी
ज्योति राठोड के पिता बेनीसिंह वन महकमे में अधिकारी रहे. वह सडक किनारे पडे बेघरों को अपने केन्द्र पर लाती. कई बार उनकी बालों की कटिंग और शेविंग भी कर देती. सेवा का कोई काम करने में ज्योति को परहेज नहीं है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि उन्होंने विवाह न कर इन्ही लोगों की सेवार्थ जीवन समर्पित कर दिया है.
उत्थान का भी प्रयत्न
ज्योति राठोड ने बेघरों को संभाला ही नहीं तो उन्हें रोजगारक्षम बनाने का भी यथोचित प्रयत्न किया है. शासकीय योजनाओं के माध्यम से निराधारो को कार्यकुशल कर उन्हें रोजगार दिलवाया है. उनकी भी संख्या आपको चकित कर सकती है. 178 बेघरों को ज्योति राठोड ने कामकाज दिलवाया है. यह आंकडा सेवा करनेवाली अनेक संस्थाओं को भी पछाडने की क्षमता रखता है.