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425 वर्षो से पूजे जा रहे अमरावती के कालाराम

देश में दो ही मंदिर

* छत्रपति शिवाजी महाराज ने दिया था अनुदान
* गंगादेवी उपासनी ने दशकों तक की पूजा-अर्चना
अमरावती/दि.17- शहर का सराफा परिसर अपने कालाराम मंदिर के कारण शतकों से जाना जाता है. इस मंदिर की अपनी अनेक विशेषताएं हैं. यहां अनेक दशकों तक त्रेता युग की शबरी समान गंगादेवी महादेव उपासनी ने कालाराम की पूजा, सेवा की है. ऐसे ही इस मंदिर को छत्रपति शिवाजी महाराज के निर्देश से रामनवमी उत्सव के लिए अनुदान मिलता था. आज भी मंदिर में नित्य पूजन तथा बारह माह के सभी उत्सव भाउ उपासनी परिवार करता है. अयोध्या में राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा को देखते हुए 22 जनवरी को विशेष उत्सव का आयोजन परिसर के भक्तों के उत्साहपूर्ण सहयोग से किए जाने की जानकारी भाउ उपासनी ने दी.
* शंकरपट रामदासी थे मंदिर प्रमुख
कालाराम मंदिर के प्रमुख शंकरभट बापूभट रामदासी थे. यह मंदिर श्री समर्थ रामदास स्वामी की परंपरा के अनुसार स्थापित किया गया. संपूर्ण जिले से हजारों श्रध्दालु यहां उमडते और दर्शन कर उन्हें बडा संतोष, सुख प्राप्त होता रहा है. उपासनी ने बताया कि पहले एलीचपुर राज्य था. जहां निजाम का शासन था. उस निजाम से यहां रामनवमी उत्सव के लिए प्रति वर्ष अनुदान प्राप्त होता था. ऐसी व्यवस्था छत्रपति शिवाजी महाराज ने कारंजा लाड लूटने के बाद जाते समय यहां के मंदिर व धार्मिक स्थल हेतु प्रावधान किया था.
* वाद्य यंत्र बजाकर भक्ति
उस समय लोग मंदिर में भजन गाते, कीर्तन करते . वाद्य यंत्र बजाकर अपनी भक्ति प्रदर्शित करते. ऐसा अनेक दशकों तक चलता रहा. भाविक यहां आकर बडा सुख संतोष की अनुभूति करते. रामदासी उपरांत श्रीमती गंगाबाई महादेव उपासनी ने मंदिर की जिम्मेदारी अनेक दशकों तक वहन की. बेशक उन्हें परिसर के प्रतिष्ठत मालपानी परिवार, स्वाधीनता सेनानी देवकिसन जी झंवर व क्षेत्र के लोगों का सहकार्य मिलता रहा.
* विलोभनीय मूर्ति
राम, सीता, लक्ष्मण की काले पाषाण से बनी अत्यंत विलोभनीय मूर्ति यहां स्थापित है. उसी प्रकार रामनवमी और अन्य उत्सवों पर मूर्ति के श्रृंगार का रुप मुग्ध करने वाला होता है. उसी प्रकार यहां शिव दरबार एवं हनुमानजी की प्रतिमाएं विराजमान हैं. अभी भाउ उपासनी के साथ उनके पुत्र श्याम उपासनी और राजीव उपासनी एवं पुत्रवधू कल्याणी तथा वैदेही संभाल रही हैं. क्षेत्र के लोगों का साथ सहयोग बढिया है. जिसके कारण मंदिर अपने चार शतक के बाद भी सुस्थिति में है. यहां रामनवमी पर महिला वक्ता द्बारा जन्मोत्सव की मनमोहक कथा की प्रस्तुति भी एक विशेषता कही जा सकती है.
* 22 को उत्सव, सज रहा देवालय
अवध में प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है. जिससे अंबानगरी के रामभक्त अत्यंत प्रसन्न हैं, उत्साहित हैं. अत: इस पुरातन राम मंदिर में भी युवा वर्ग आगे आकर उत्सव की तैयारी कर रहा है. देवालय सजाया जा रहा है. जाप और भजन मंगलवार से प्रारंभ हो गए. शनिवार 20 जनवरी को महिला मंडल का सुंदरकांड पाठ एवं रविवार 21 जनवरी को श्री संकरेश्वर महादेव मित्रमंडल के भजनों का एवं सोमवार 22 जनवरी की शाम कीर्तन महोत्सव आयोजित है. सोमवार की दोपहर अयोध्या से प्राण प्रतिष्ठा समारोह के समय परिसर में आतिशबाजी कर बडा उत्सव मनाया जायेगा.

* वनवासी राम
प्रभु राम के काले पाषाण स्वरूप के बारे में भाउ उपासनी ने बताया कि यह वनवासी राम हैं. वन में रहते समय राम, लक्ष्मण, जानकी के सुंदर मुखडे इस प्रकार श्याम वर्ण हो गये थे.

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