* सालभर में 10 प्रतिशत बढे भाव
अमरावती/ दि.5 – दक्षिण भारत में चावल प्रमुख खाद्य है. इसके नाना प्रकार के व्यंजन भी बनाए जाते हैं. चावल की खपत अमरावती में भी कम नहीं. सभी रेस्तरा में रोटी के बाद जीरा राईस शौक से खाया जाता है. अमरावती के शक्करसाथ बाजार के जानकारों ने बताया कि, चावल प्रतिदिन के भोजन का महत्वपूर्ण घटक है. अमरावती में चावल की सभी प्रजाति कोलम, बासमती, चिन्नोर, कालमूछ पसंद की जाती हैं. फिर भी कालीमूछ अमरावतीवासियों की चावल में प्रमुख पसंद कह सकते है.
बीते वर्ष दौरान चावल के सभी किस्म के रेट अमूमन 10 प्रतिशत बढने की जानकारी व्यापारियों ने दी. कुछ किस्म के रेट प्रतिकिलो 10 रुपए तक बढे है. अमरावती में सभी प्रकार के चावल विक्री के लिए उपलब्ध है. यहां मुख्य रुप से गोंदिया, बालाघाट और तेलंगना की राईसमिल से चावल आने की जानकारी प्रमुख व्यापारी अग्रवाल ने दी.
* और महंगा होगा
अमरावती में चिन्नोर, कोलम, एचएमटी, बासमती, सुगंधी चिन्नोर की किस्म भी बडी पसंद की जाती है. कैटरर और रेस्तरा संचालक बासमती के साथ ही कालीमूछ में लंबा दाना पसंद करते है. समारोह के लिए भी कालीमूछ ही पहली पसंद माना जाता है. बासमती चावल चुनिंदा लोगों की पसंद है. कदाचित यहीं कारण है कि, पिछले वर्षभर में सर्वाधिक तेजी बासमती के रेट में आयी है. 95 रुपए किलो का चावल फिलहाल 110 रुपए किलो हो जाने की जानकारी व्यापारियों ने दी. उनका यह भी कहना है कि, दो वर्षों से दाम में तेजी रही है. इस बार भी मांग की तुलना में आपूर्ति कम होने से चावल के रेट बढने की संभावना है. हालांकि पहले ही जनवरी 2022 की तुलना में अभी करीब 10 से 15 प्रतिशत रेट बढे है.
* चावल के रेट
किस्म 2022 2023
काली मूछ 58-62 70-75
बासमती 90-95 110-120
कोलम 48-52 56-60
एचएमटी 38-42 48-52
गेहूं में नरमी के आसार
रुस-यूके्रन के बीच 10 माह से शुरु जंग के कारण गेहूं के रेट में तेजी का माहौल है. 18-20 रुपए किलो का गेहूं 26-28 रुपए तक पहुंच गया. बाजार सूत्रों ने कहा कि, सरकार के पास 21 लाख मेट्रिक टन गेहूं का भंडार पडा है. उसे खुले बाजार में बेचने से निश्चित ही गेहूं के दर में कमी आ सकती है. एक सूत्र ने दावा किया कि, सरकार निर्णय ले चुकी है. शीघ्र ही वह गेहू मार्केट में आयेगा. तब दाम 22 रुपए प्रति किलो तक आने की संभावना है. गेहूं के रेट बढने से आटा भी 35 रुपए किलो तक जा पहुंचा है.
तुअर में आयेगी तेजी
अमरावती संभाग में केवल 8-10 दिनों में तुअर की फसल का चित्र बदल गया. कहां तो अच्छी पैदावार के संकेत थे. उत्पादक किसान थोडा संतोष जता रहे थे. अचानक मौसम ने करवट बदली जिसके कारण पौधों पर भरी फल्लियां रोगग्रस्त हो गई और सप्ताहभर में ही फसले चौपट हो गई. जिससे माना जा रहा है कि, इस बार तुअर में बडी तेजी आ सकती है. बाजार के अधिकांश जानकार इस बात से सहमत नजर आ रहे हैं.