अमरावती

कर्म एक ऐसा रेस्टॉरेंट जहां ऑर्डर की जरूरत नहीं

जैसा बोएंगे वैसा प्रतिफल मिलेगा

अमित ज्योतिजी म. सा. के प्रवचन
अमरावती-/ दि. 30 स्थानीय अंबापेठ जैन स्थानक में तत्व चिंतिका प. पू. अमित ज्योतिजी म. सा. एवं संगीत साधिका प. पू. अनंतज्योतिजी म. सा. के पावन सानिध्य में पर्युषण महापर्व बडे हर्षोल्लास के एवं धार्मिक आयोजन के साथ मनाया जा रहा है. पर्युषण पर्व का आज 6 वां दिन है. प. पू. अमित ज्योतिजी म. सा. ने अपने प्रवर्चन में आज फरमाया कि, कर्म एक ऐसा रेस्टॉरेंट है, जहां पर हमें ऑर्डर देने की जरूरत नहीं होती. हम जैसा बोएंगे, वैसा प्रतिफल हमें मिलेगा. जैसी करनी वैसी भरनी कहा जाता है. वर्तमान में प्रभु हमारे कर्मो का हिसाब करने के लिए लॅपटॉप लेकर बैठे है. आपके कर्मो का हिसाब आज ही करना पडता है व यही करना पडता है. म. सा. ने अर्जुन माली का वर्णन करते हुए बताया कि अर्जुन माली के शरीर में किसी यक्ष ने प्रवेश लिया था. इसके कारण वह प्रतिदिन लोगों की हत्या करता था. उससे सभी भयभीत रहते थे. कोई भी घर से बाहर नहीं निकलता था. अर्जुन माली ने लगातार 6 महिनों तक जीव हिंसा की. 6 माह में 1141 जीवों को मारा. एक बार जब सेठ सुदर्शन महाराज के दर्शन करके जा रहे थे, तब अर्जुन मालिक से उसका सामना हुआ. उन्हें पता था कि वे अब नहीं बचेंगे. इसलिए उन्होंने सागारी संतारा धारण कर लिया. अर्जुन माली ने उन पर मुद्दगल से चारों दिशा से वार किया किंतु सेठ सुदर्शन पर उसका कोई भी असर नहीं हुआ. बल्कि मुुद्दगल हवा में उडने लगा और अर्जुन माली धडाम से जमीन पर गिर गया, क्योंकि उसके शरीर के भीतर जिस यक्ष ने प्रवेश किया था, वह उसके शरीर को छोडकर जा चुका था. फिर सेठ सुदर्शन और अर्जुन माली दोनों ही साथ में महाराज श्री के दर्शन के लिए गये. वहां पर अर्जुन माली ने महाराज से दीक्षा ली तथा प्रतिदिन बेले, तेले की तपस्या करने लगे. किंंतु जब वे भिक्षा के लिए जाते . लोग उन्हें तरह-तरह की बातें सुनाते.
कोई पत्थर से मारता, किंतु फिर भी उन्होंने संयम रखा और 6 माह तक उग्र तपस्या करके तथा संयम रखकर अपने कर्मो का नाश किया. इसलिए हमें यदि कर्म खपाना और पापों से बचना है तो संयम रखना होगा, तब जप तप करना होगा. यदि हमने संयम रखा और समता से सहन किया तो कर्मो से बच सकते है.
पर्व का राजा आया है, धर्मज्ञान ,तप जप करना है. जिनवाणी को दिल में बसाकर भव सिंधु से तरना है.
कहा जाता है कि कर्म आठ प्रकार के होते है. जैसे सैटेलाईट के माध्यम से सारी तरंगे आती है और हमारे टी.वी. मोबाइल चलते है. जिस तरह बारिश पडने से धूम जमीन पर चिपक जाती है, इसी तरह सारे कर्म हमारी आत्मा में चिपक जाते है. पूज्य अनंत ज्योति म. सा. ने बेल, ब्रेक, बॅलेन्स , बाउंड्री इन चार शब्दों का अर्थ बताते हुए कहा कि, पर्युषण पर्व हमारी आत्मा की बेल बजाने आया है. हमारे अंर्तआत्मा को क्लीन करता है.
ब्रेक कहता है कि किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए ब्रेक जरूरी होता है. उसी तरह पापो से डरने के लिए ब्रेक जरूरी है. हमें पांच इंद्रियों पर बे्रक लगाना है. पुण्य का बैलेन्स बनाए रखना है. इन 8 दिनों तक जितने पदार्थ है. उसके उपयोग की मर्यादा की हमें लक्ष्मण रेखा बनाए रखना है. प्रतिदिन म. सा. के सामने तप, तपस्या जारी है.

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