अमरावतीमहाराष्ट्र

कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड स्वाभिमान व सशक्तिकरण योजना

18 वर्षों में जिले के 357 लाभार्थियों को दिया गया लाभ

* अनुसूचित भूमिहीनों को 100 प्रतिशत अनुदान
अमरावती/दि.17– सरकार की ओर से गरीबी रेखा के नीचे आनेवाले भूमिहीन अनुसूचित जाति व नवबौद्ध खेतिहर मजदूर परिवारों का आय का स्त्रोत बढें, उनका जीवनमान सुधरे और मजदूरी पर उनकी निर्भरता कम होने के उद्देश्य से कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड स्वाभिमान व सशक्तिकरण योजना चलाई जा रही है. इस योजना के माध्यम से भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को 100 प्रतिशत अनुदान पर कृषि भूमि दी जाती है. जिले में 18 वर्षों में 357 लाभार्थियों को इस योजना का लाभ दिया गया है.

* क्या है योजना?
गरीबी रेखा से नीचे आने वाले भूमिहीन एससी और नवबौद्ध खेत मजदूर परिवार की आय के स्रोत को बढ़ाने और उनके जीवन स्तर में सुधार करने के लिए दादासाहेब गायकवाड स्वाभिमान और सशक्तिकरण योजना लागू की है.

* कहां करें आवेदन?
कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड स्वाभिमान व सशक्तिकरण योजना का लाभ लेने के लिए संबंधित सहायक आयुक्त कार्यालय समाजकल्याण विभाग में अनुसूचित जाति व नवबौद्ध भूमिहीन खेतमजदूर आवेदन कर सकते है. इसमें महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है.

*योजना के मानदंड क्या हैं?
कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड स्वाभिमान और सशक्तिकरण योजना के लिए लाभार्थी गरीबी रेखा के नीचे का भूमिहीन हो. तथा लाभार्थी की आयु 18 वर्ष तथा अधिकतम आयु 60 वर्ष होनी चाहिए.

* भूमिहीनों को कितनी खेती मिलती है?
अनुसूचित जाति व नवबौद्ध भूमिहीन परिवार को 4 एकड कोरडवाहू खेती अथवा 2 एकड सिंचाई के नीचे बागबानी कृषि भूमि उपलब्ध कराई जा रही है.

* 1213 एकड भूमि का आवंटन
जिले में योजना का 2005 से 2023 तक इस अठारह वर्ष की अवधि के दौरान 357 लाभार्थियों को लाभ दिया गया. उन्हें 1213 एकड भूमि आवंटित की गई है.

357 लाभार्थियों को दिया लाभ
गरीबी रेखा से नीचे भूमिहीन अनुसूचित जाति और नव-बौद्ध खेत मजदूर परिवारों की आय का स्रोत बढ़ाने, उनके जीवन स्तर में सुधार लाने और मजदूरी पर उनकी निर्भरता को कम करने के लिए सरकार की ओर से कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड स्वाभिमान और सशक्तिकरण योजना लागू की जा रही है. अब तक 357 लाभार्थियों को लाभ दिया गया है.
-सुनील वारे, प्रादेशिक उपायुक्त,
समाजकल्याण विभाग.

* कार्यान्वयन में कठिनाइयां
पिछले कुछ वर्षों से योजना के कार्यान्वयन में कठिनाइयां आ रही है. लाभार्थियों को कृषि भूमि उपलब्ध कराना कठिन हो गया है. सरकार के पास कृषिभूमि कम है.

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