* लाखो श्रद्धालूओं की उमडती है भीड
अमरावती/दि.16 – समीपस्थ बडनेरा उपनगर के पूर्वी दिशा में विगत 5 हजार वर्षों से कौंडेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है. जहां पर प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि का पर्व बडी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. साथ ही यहां पर महाशिवरात्रि पर्व निमित्त भव्य यात्रा का आयोजन होता है. साथ ही महाशिवरात्रि पर्व पर कौंडेश्वर मंदिर में लाखो भाविक श्रद्धालूओं की भीड उमडती है. इस बात के मद्देनजर आगामी 18 फरवरी को पडने वाले महाशिवरात्रि पर्व को ध्यान में रखते हुए श्री क्षेत्र कौंडेश्वर में तमाम आवश्यक तैयारियां की जा रही है.
उपलब्ध जानकारी के मुताबिक सम्राट भरत के भाई विदर्भ के हिस्से में जो प्रदेश आया था, उसे विदर्भ प्रदेश कहा जाता है. मूलत: काशी के निकट ब्रह्मवर्त के निवासी शिवभक्त विदर्भ राजा ने स्थापत्य विशारद कौंडण्यमुनी को काशी से बुलाकर अपने नये विदर्भ प्रदेश में भगवान शंकर के पिंड व लिंग की स्थापना व प्राणप्रतिष्ठा की थी. कौंडण्यमुनी द्बारा 5 हजार वर्ष पहले स्थापित महादेव को कौंडेश्वर का नाम दिया गया. वहीं 11 वे शतक के दौरान यादव घराने की राजसत्ता के समय रामदेवराव यादव व कृष्णदेवराव यादव के हेमाद्रीपंत ने श्री कौंडेश्वर का हेमाडपंथी कला वाला मंदिर बनाया. जिसका आगे चलकर भोसले राज घराने एवं माधवराव पेशवा द्बारा जतन किया गया. साथ ही इस परिसर में कई तीर्थस्थानों से ऋषिमुनी, साधुसंत व शिवभक्तों का आना-जाना लगा रहा.
करीब 5 हजार वर्ष पहले स्थापित कौंडेश्वर महादेव मंदिर में आने वाली भाविक श्रद्धालूओं की भीड को देखते हुए मंदिर के व्यवस्थापन द्बारा समय-समय पर यहां आवश्यक मूलभूत सुविधाओं का विकास किया गया. जिसके चलते यहां पर सभा मंडप, प्रार्थना मंदिर, परकोट, धरमशाला, पाकगृह, भोजन कक्ष व 3 महाद्बार सहित कैलास मंदिर का निर्माण किया गया. साथ ही मुख्य मंदिर का 71 फीट उंचा निर्माण किया गया. जहां से पास ही स्थित कैलास टेकडी पर सीढीया बनाई गई है और यहां पर काफी बेहतरीन निसर्गरम्य वातावरण है. जिसके चलते यहां पर महाशिवरात्रि के साथ ही साल भर भाविक श्रद्धालूओं का आना-जाना लगा रहता है.