अचानक हुई बारिश से भिगी कपास को रखे या कम किमत में बेचें
हमी से भी कम भाव 6500 रुपयें में हो रही बिक्री
अमरावती /दि.12– हमेशा की तरह कम बारिश के कारण कपास का उत्पादन पहले ही कम होने के बाद अचानक बारिश ने भी उत्पादन पर प्रभाव किया है. फुटे हुए बोंड फुलों में से कपास के भिगने के कारण क्रमवारी बहुत ही कम हुई है. जिसके कारण भिगे हुए सफेद सोने की किमत मिट्टी मोल हो चुकी है. वर्तमान स्थिती में कपास को हमीभाव की अपेक्षा 6500 रुपये क्विंटल से भी कम मिलने से उत्पादन खर्च भी नहीं निकले की सच्चाई सामने आ रही है.
जिले में 26 नवंबर से लगभग पुरे 6 दिन तक अचानक बारिश का पुरे जिले में जोर रहा. रब्बी हंगामी के लिए जमीन में गिलापन बढने से अचानक बारिश पोषक साबित ठहरा. उसी समय बेचने के लिए रुके हुए किसानों के लिए यह घातक साबित हुआ. इस बारिश ने फुटे हुए कपास के बोंड को भी भिगा दिया. कई स्थानों पर निचे गिरने से क्रमवारी भी घटी. कपास के भिगने के कारण व्यापारी भी अब कम भाव में कपास को मांग रहे है. वर्तमान स्थिती में जिले में क्विंटल के पीछे 6500 रुपये की अपेक्षा कम भाव से मांग रो रही है. जिसके कारण उत्पादन खर्च भी नहीं निकलने से किसानों के सामने चिंता बढ गई है. जिसके बदले अच्छे दर्जे की कपास 7 हजार से 7200 रुपये के दरमियान बिक रही है. शासन व्दारा मध्यम से लंबी स्टेप के कपास को 6600 से 7000 रुपये के बीच हमीभाव की घोषणा की गई है. इसी पणन व सीसीआई की केंद्र अभी भी शुरु नहीं किए गए है. ऐसी परिस्थिती में कपास के भाव में भारी गिरावट होने से कपास जमा करने के लिए किसानों को अंधेरा नजर आ रहा है. जिसके कारण जिसके कारण निजी बाजार में आवक कम होती नजर आ रही है.
1 आंतराष्ट्रीय स्तर पर रुई व सरकी की मांग बढी नहीं है. इसी रुई का भाव 5300 से 5450 रुपये खंडी के दौरान है. जिसके बदले सरकी का भी भाव 2800 से 3000 रुपये क्विंटल के दौरान है.
2 देश में उत्पादन में काफी बढोत्तरी नहीं है. गठ्ठे के अंदाज में बढोत्तरी नहीं है. ऐसी परिस्थिती में कपास की किमत के भाव में वर्तमान में बढोत्तरी होने की आशंका नही होने की जानकारी व्यापारियों व्दारा दी जा रही है.
कपास में 30 फिसदी आर्द्रता
बारिश में भिगने के कारण कपास में अभी 30 प्रतिशत आर्द्रता है. जिसके कारण भाव में कमी है. रुर्ई व सरकी की किमत अभी स्थिर है व मांग भी बढी नहीं है. जिसके कारण कपास के भाव में ज्यादा बढोत्तरी होने की शंका नहीं है.
अनिल पनपालिया, कोर कमेटी मेंबर, विदर्भ जिनिंग एसोसिएशन