गुरुकुंझ में पहला सतपुडा साहित्य सम्मेलन
तिवसा/ दि.3 – मराठी भाषा से नया दमदार साहित्य निर्माण होता है. ऐसे ही नवनिर्माण होते रहने के लिए मराठी भाषा को और अधिक समृध्द बनाने की जरुरत है. इसलिए मराठी भाषा का आदर और सम्मान होना चाहिए. इसके लिए साहित्यीक को लडते रहने की जरुरत है, ऐसा प्रतिपादन प्रा. डॉ. शोभा रोकडे ने व्यक्त किया.
संवेदना बहुउद्देशीय संस्था संचालित सतपुडा साहित्य परिषद की ओर से आयोजित पहले राज्यस्तरीय सतपुडा साहित्य सम्मेलन का 26 फरवरी को गुरुकुंझ मोझरी स्थित गुरुकुल अध्यात्म केंद्र के सभागृह में आयोजन किया गया, इस समय वे बोल रही थी. बतौर अध्यक्ष के रुप में साहित्यीक प्रा. डॉ. शोभा रोकडे, स्वागताध्यक्ष श्यामसुंदर निकम, उद्घाटक के रुप में पूर्व शिक्षाधिकारी पंडित पंडागडे, प्रमुख मेहमान के रुप में राजीव ठाकुर, गुरुकुल अध्यात्म के संचालक रवि मानव, संवेदना बहुउद्देशीय संस्था के अध्यक्ष गजानन काकडे उपस्थित थे. ग्रंथ दींडी से सम्मेलन की शुरुआत की गई. इसके बाद सत्कार, पुरस्कार वितरण और पुस्तक प्रकाशन का समारोह लिया गया. इस समय विभिन्न क्षेत्र के 20 मान्यवरों को सतपुडा जीवन गौरव पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया.
मराठी साहित्य के भूमिनिष्ठ जानकार इस विषय पर ज्ञानेश्वर रक्षक की अध्यक्षता में आयोजित परिसंवाद में डॉ. राजेश मिरगे, डॉ. राजेंद्र कुंड ने विचार व्यक्त किये. प्रसिध्द कवी व गजलकार विष्णु सोलंके की अध्यक्षता में कवी सम्मेलन लिया गया. प्रमुख अतिथि भाऊसाहेब थुटे, आबासाहब कडू उपस्थित थे. इसके बाद गजल मुशायरा के अध्यक्ष प्रसिध्द गजलकार अनंत नांदुरकर के प्रमुख अतिथि के रुप में विजया मारोतकर, विजय मिरासे, रजिया सुलताना उपस्थित थे. सम्मेलन को सफल बनाने के लिए आयोजक, संवेदना बहुउद्देशीय संस्था अध्यक्ष गजानन काकडे, उपाध्यक्ष विशाल मोहोड, सचिव सुयोग राजनेकर, सहसचिव सारंग ताथोडे, कोषाध्यक्ष अजय अडिकणे, सदस्य तुषार गुल्हाने, विशाल कन्हेरकर, अंकुश वानखडे, गौरव कांडलकर, पार्षद अमर वानखडे, प्रशांत सुरोसे, रोशन ठाकरे, पवन खरासे, अनुप देशमुख, साक्षी पवार, जान्हवी राउत, सुमित उगेमुगे, सेजल फेंडर, समीर सैयद, अनिल वाघमारे, प्रफुल्ल रामपुरे, अतुल तिखे, तहसील कांग्रेस महासचिव गौरव ढोरे आदि ने अथक प्रयास किये.