गर्मी के मौसम में मवेशियों का रखें विशेष ध्यान
कृषि विशेषज्ञों ने किया मवेशी पालकों से आवाहन
अमरावती/दि.31– मौसम विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक आगामी 3 अप्रैल तक तेज ग्रीष्मलहर रहने की पूरी संभावना है. ऐसे में इस दौरान दुधारू व पालतू मवेशियों व जानवरों की ओर विशेष ध्यान दिये जाने की सख्त जरूरत है, क्योंकि लगातार बढती गर्मी की वजह से सभी जानवरों को स्वास्थ्य संबंधी तकलीफों का सामना करना पड सकता है. इस आशय की जानकारी देते हुए कृषि विशेषज्ञों द्वारा मवेशी पालकों से आवाहन किया गया है कि, वे जानवरों के तबेले में सफेद रंग की रंगाई-पुताई करे. साथ ही जानवरों को ठंडी छांव में रखते हुए उनके लिए चारे व पानी का नियोजन करे.
इसके अलावा मुर्गियों के शेड में हवा आती-जाती रहने के लिए छोटी-छोटी खिडकियों के वेंटिलेटर की व्यवस्था करना बेहद महत्वपूर्ण है. साथ ही उन्हें गर्मी की वजह से कोई नुकसान न हो, इस बात के मद्देनजर शेड और छत पर घास का आच्छादन करे. जिस पर थोडी-थोडी देर में पानी का छिडकाव किया जाना चाहिए, ताकि शेड के भीतर तापमान नियंत्रित रहे और मूर्गियों को गरमी की वजह से कोई तकलीफ न हो. इसके अलावा गर्मी के मौसम दौरान मूर्गियों को रोजाना सुबह-शाम तय समय पर कुक्कुट खाद्य दिया जाना चाहिए.
इसके साथ ही दुधारू गाय व भैसों को नियमित रूप से स्वच्छ पानी व जीवनसत्व युक्त दवाईयां देना चाहिए और पाचनसंस्था के विकार टालने हेतु एक ही समय पर अत्याधिक खाद्य देने की बजाय उसे थोडे-थोडे हिस्से में विभाजीत करना चाहिए. इसी तरह केवल गिला या सूखा चारा देने की बजाय दोनों तरह के चारे योग्य प्रमाण में दिये जाने चाहिए. ऐसा भी दुर्गापूर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि विशेषज्ञों द्वारा कहा गया है.
इसके अलावा मौसम की मौजूदा स्थिति को देखते हुए खेतों में खडी फसलों पर रसशोषक कीटकों का प्रभाव बढने की भी पूरी संभावना है. जिनके नियंत्रण हेतु लेबल क्लेम की सिफारिशों के अनुसार कीटनाशकों का प्रयोग किया जाना चाहिए. साथ ही पूरी तरह से पककर तैयार गेहूं की फसल की कटाई करते हुए उसकी साफ-सफाई कर उसे सुरक्षित स्थान पर रखना चाहिए और फसल कटाई के बाद खेत में हल जुताई करनी चाहिए, ताकि मिट्टी में मौजूद कीटकों और उनकी वजह से होनेवाले रोगों को रोकने में सहायता मिले.
* ये काम भी है जरूरी
सूखे मौसम व बढते तापमान की वजह से खेतों व फल बागानों में पानी को लेकर कोई समस्या न हो. इस बात के मद्देनजर नियमित तौर पर ठिंबक व तुषार सिंचन पध्दति से सिंचाई की जानी चाहिए. पूरी तरह पककर तैयार हो चुके तरबूज व खरबूज के फलों को तोडकर उन्हें ठंडी छांववाले स्थान पर रखा जाना चाहिए. साथ ही कीडे लगे हुए व सडे हुए फलों को अलग निकालकर अच्छे फलों को बाजारों में ले जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए.
* खेतों में काम करते समय रखे स्वास्थ्य का ध्यान
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि, खेतों में काम करते समय किसानों व खेतीहर मजदूरों ने भरपूर पानी पीना चाहिए. साथ ही तेज धूप रहते समय दोपहर के वक्त खेतों में काम करना टालना चाहिए. इसके अलावा मिट्टी परीक्षण हेतु फसलों की कटाई के बाद व हल जुताई से पहले मिट्टी का सैम्पल लेना चाहिए. इसकी रिपोर्ट के अनुसार योग्य खाद व्यवस्थापन करते हुए बेहतरीन फसल ली जा सकती है. साथ ही रासायनिक खादों पर होनेवाले खर्च को टाला जा सकता है.